>RANCHI : बार-बार बंद की वजह से आमलोगों को परेशानी तो होती ही है, साथ में कॉमर्शियल व बिजनेस सेक्टर को भी नुकसान उठाना पड़ता है। स्कूल-कॉलेज समेत एजूकेशनल इंस्टीट्यूटस को भी बंद का खामियाजा झेलना पड़ता है। एक दिन के बंद से बिजनेस में करोड़ों रुपए का ट्रांजैक्शन प्रभावित होता है। चाहे कोई भी सेक्टर हो, बंद से हर किसी को नुकसान ही होता है।

बंद से हर किसी को नुकसान

रांची की बात करें तो पिछले ख्म् दिनों में यह शहर तीन बार बंद की मार झेल चुका है। सोमवार को विहिप ने तारा शाहदेव मामले में बंद बुलाया, तो उससे पहले एक अगस्त को डोमिसाइल के मुद्दे पर कई संगठनों द्वारा बुलाए गए झारखंड बंद का व्यापक असर रांची में देखने को मिला था। इतना ही नहीं, झारखंड बंद के ठीक एक दिन पहले फ्क् जुलाई को चान्हो के सिलागाईं में दो गुटों के बीच हुई हिंसक झड़प को लेकर बुलाए गए रांची बंद के दौरान जमकर सड़कों पर बंद समर्थकों ने जमकर उत्पात मचाया था।

बिजनेस पर पड़ता है असर

बंद चाहे जिस वजह से और जिसने भी बुलाया हो, इसका सबसे ज्यादा नुकसान कॉमर्शियल सेक्टर को होता है। चैंबर ऑफ कॉमर्स के जेनरल सेक्रेटरी पवन शर्मा ने बताया कि एक दिन के बंद से शहर में स्थित व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को करीब 7भ् करोड़ रुपए का नुकसान होता है। ऐसे में पिछले एक महीने से भी कम वक्त में तीन बार रांची के बंद होने की वजह से ख्ख्भ् करोड़ रुपए का बिजनेस प्रभावित हो चुका है। इतना ही नहीं, बैंकों में ट्रांजेक्शन का भी काम प्रभावित होता है, सो उसमें भी करोड़ो रुपए का नुकसान होता है।

स्कूलों का बिगड़ रहा शिड्यूल

बार-बार के रांची बंद से स्कूलों का शिड्यूल भी बिगड़ रहा है। बंद के भय से स्कूलों में छुट्टी कर दी जाती है। वैसे में बच्चों की पढ़ाई पर तो असर पड़ता ही है, कई बार एग्जाम भी कैंसिल करने की नौबत आ जाती है। सेंट जेवियर्स स्कूल के प्रिंसिपल फादर अजीत खेस के मुताबिक, सेशन के शुरू में ही पूरे साल की पढ़ाई का शिड्यूल तैयार कर लिया जाता है। ऐसे में अगर बंद के कारण छुट्टी देनी पड़ती है तो फिर उसकी भरपाई करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो फिर से शिड्यूलिंग की नौबत आ जाती है, जिसका खामियाजा टीचर्स के साथ स्टूडेंट्स को भी भुगतना पड़ता है।