रांची (ब्यूरो)। सिटी में डेवलपमेंट के कई काम अधर में लटके हुए हैं। प्रोजेक्ट शुरू किए गए, इस पर लाखों-करोड़ो रुपए खर्च भी किए गए हैं। लेकिन सरकार इसका इस्तेमाल ही करना भूल गई। कुछ ऐसा ही हाल है हिंदपीढ़ी में बने हॉस्टल सह मल्टीपरपस बिल्डिंग का। करीब 11 साल पहले 2012 में इस बिल्डिंग के बनने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। पहले तो भवन बनकर तैयार होने में आठ साल लगे। किसी तरह 2020 में बिल्डिंग बनकर तैयार हुई, लेकिन फिर इसके उद्घाटन में ब्रेक लग गया। तीन साल बाद बिल्डिंग का सांकेतिक उद्घाटन हुआ, लेकिन अब तक इसका संचालन शुरू नहीं हो सका है। अब पब्लिक यह पूछ रही है कि यह हॉस्टल है या हॉस्टाइल।

नशाखोरों का अड्डा

स्टूडेंट्स के रहने और मल्टीपरपस इस्तेमाल के उद्देश्य से करीब 17 करोड़ की लागत से भवन तैयार किया गया है। यहां स्टूडेंट्स तो रहने नहीं आए लेकिन उनके इंतजार में बिल्डिंग कंडम हालत में जरूर पहुंचती जा रही है। इस बिल्डिंग में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने लगा है। हालांकि, उन्हें रोकने के लिए होमगार्ड के जवान जरूर तैनात किए गए हैं। फिर भी चोरी-छिपे लोग यहां आकर नशाखोरी कर रहे हैं। नशेबाजों के लिए यह पसंदीदा स्थान बना हुआ है। पांच यूनिट में तैयार इस भवन के एक भाग को छोड़ अन्य सभी में नशाखोरों की अड्डेबाजी रहती है।

2012 में हुआ शिलान्यास

कल्याण विभाग द्वारा मल्टीपरपस बिल्डिंग का निर्माण कार्य साल 2012 में आरंभ किया गया था। निर्माण में करीब 17 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। पांच यूनिट में तैयार इस बिल्डिंग के एक भवन को ट्रेनिंग सेेंटर के रूप में तैयार किया गया है तो वहीं अन्य बिल्डिंग को हॉस्टल बनाने की योजना थी। बिल्डिंग का निर्माण विशेष रूप से ट्राइबल कार्यक्रमों के लिए ही किया गया था। लेकिन ट्राइबल कार्यक्रम तो दूर किसी भी आयोजन के लिए इसका सदुपयोग नहीं किया जा सका है। अब इसकी हालत बिगड़ती जा रही है। हालत इतनी खराब हो चुकी है कि इसके इस्तेमाल से पहले फिर से इसका रेनोवेशन करना पड़ेगा, जिसमें फिर एक बार लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जाएंगे। बिल्डिंग में लगे खिड़की-दरवाजे चोरी हो चुके हैं। खिड़की के शीशे तोड़ दिए गए हैं। यहां तक कि वायरिंग में लगे इलेक्ट्रिक वायर, स्वीच, बल्ब, पंखा, बिजली के मीटर सब कुछ गायब हो चुके हैं।

हर शाम नशेडिय़ों का जमावड़ा

मल्टीपरपस बिल्डिंग का निर्माण अलग-अलग कल्चरल इवेंट्स और दूसरे आयोजनों के लिए किया गया था। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि यह सिर्फ आज नशेडिय़ों का अड्डा बन कर रह गया है। शाम ढलते ही आसपास के नशेड़ी यहां अड््डेबाजी शुरू कर देते हैं। सिगरेट, गांजा के धुएं से लेकर शराब की बोतलें भी खुलती हैं। लोकल लोगों ने बताया कि कई बार दारू पीने के बाद यहां मारपीट जैसी हालत हो गई। हर दिन शाम में इस जगह पर नशेडिय़ों का जमावड़ा लगता है।

सिक्योरिटी में 10 होमगार्ड जवान

बिल्डिंग की दुर्गति को देखते हुए और यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा न लगे, इसके लिए इस स्थान पर होमगार्ड के दस जवानों की तैनाती की गई है। पांच-पांच जवान अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं। यहां तैनात जवानों ने बताया कि जब से उन्हें तैनात किया गया बिल्डिंग में चोरी की घटनाओं पर विराम लगा है। लेकिन, अपराधियों ने सारा कुछ पहले ही चुरा लिया है। अब यहां चुराने के लिए कुछ बचा भी नहीं है। वहीं शाम में नशेडिय़ों का अड्डा जमता है। मना करने पर वे लोग गार्ड से ही उलझने लगते हैं। होमगार्ड के एक जवान ने बताया कि बाउंड्री छोटी है और सामने से पूरा खुला हुआ है। आसानी से असामाजिक तत्व अंदर आ जाते हैं। कई बार उन लोगों ने बाउंड्री के बाहर से पत्थरबाजी भी की है।

भवन के संचालन के लिए एजेंसी नहीं मिली है। इसकी प्रक्रिया जारी है। जल्द ही सरकार के ध्यान में लाकर इसका संचालन शुरू कराया जाएगा।

-लोकेश मिश्रा, कल्याण आयुक्त, रांची