भुवन भास्कर से सुख-समृद्धि व सौभाग्य की कामना की

-दीप व आकर्षक लाइट की रोशनी से नहाया रहा छठ घाट

-पारंपरिक लोकगीत की गूंज, सेवा में जुटे रहे स्वयंसेवी संगठन

-छठ घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब

रांची : उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ रविवार को लोक आस्था का चार दिनी छठ महापर्व संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं ने सर्वमंगल की कामना के लिए सूर्य देव की आराधना की। भुवन भास्कर से परिजनों के निर्मल काया की प्रार्थना की। इस दौरान शहर के विभिन्न छठ घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ा। हर ओर भक्ति व उल्लास का दिख रहा था। उग हे सूरज देव भईल अरग के बेर, सुन ली पुकार छठी मैया हमार, केलवा के पात पर उगे न सूरज देव आदि लोकगीत गूंज रहे थे। 3.30 बजे से ही छठ घाट पर श्रद्धालु आने लगे। चार बजते-बजते सड़कें श्रद्धालुओं से पट गई। हर सड़क छठ घाट की ओर मुड़ रहा था। आगे-आगे व्रती पीछे पारंपरिक गीत गुनगुनाती महिलाएं की मंडली जब सड़क पर चल रही थी तो पूरा वातावरण आनंदित हो रहा था। किसी के सिर पर डाला, तो किसी के हाथ में केले का कांदा। कोई दंडवत प्रणाम देते छठ घाट तक पहुंचा। टिमटिमाते दीये और रंग-बिरंगी लाइट से घाट जगमग कर रहे थे। इधर, व्रती जलाशय में प्रवेश कर सूर्य की अराधना में लीन हो गये। 5.30 बजे आसमान में सूर्य की लालिमा दिखते ही घाट पर सूर्यदेव के जयकारे लगने लगे। जयकारे के बीच लोगों ने सूर्य देव को दूध, गंगाजल का अ‌र्घ्य दिया। व्रतियों ने फल, मिष्ठान, पकवान आदि भोग समर्पित किये। कोसा भरने की रस्म निभायी गई। बाजरा प्रसाद बांटे गए। इसी के साथ व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत संपन्न हुआ। वहीं, जलाशय से बाहर निकलने पर व्रतियों के पैर छूने के लिए होड़ मची रही।

इससे पूर्व शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया गया। दोपहर तीन बजे के बाद से ही घाटों पर श्रद्धालु जुटने लगे। सबसे ज्यादा भीड़ हटनिया तालाब, बड़ा, तालाब, करमटोली तालाब, बटन तालाब, चडरी तालाब, मधुकम तालाब, धुर्वा डैम, कांके डैम आदि में रही। यहां जगह सुनिश्चित करने के लिए आपाधापी मची रही।