रांची(ब्यूरो)। अब डॉक्टर की लिखी पर्ची आप भी पढ़ सकेंगे। जी हां, सदर हॉस्पिटल की ओर से यह पहल की जा रही है, जहां डॉक्टर की पर्ची अब मरीज या अटेंडेंट को प्रिंटेड मिलेगी। इससे मरीज या उनके परिजन भी पर्ची में लिखी दवा को आसानी से पढ़ सकेंगे। राजधानी के दूसरे सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल को हाईटेक बनाने को लेकर प्रबंधन लगातार काम कर रहा है। इसी के तहत सदर अस्पताल में नई सुविधा शुरू करने की तैयारी है। मरीजों को अब प्रिंटेंड प्रिस्क्रिप्शन दिया जाएगा। जिसमें मेडिसीन, इंजेक्शन और सभी प्रकार के टेस्ट भी क्लियर लिखे रहेंगे। इससे मरीजों को दवा खरीदने में परेशानी नहीं होगी। वहीं नाम देखकर मेडिकल स्टोर वाले भी दवा बिना किसी झंझट के दे सकेंगे।

रिम्स से आगे सदर

बता दें कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स में भी आजतक ऐसी व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है। सदर हॉस्पिटल मेें लगातार नई-नई पहल हो रही है। खुद सिविल सर्जन रांची भी इसे लेकर उत्साहित हैं। उनका सपना है कि सदर हॉस्पिटल रांची की गिनती देश के बेहतरीन हॉस्पिटल्स में हो।

सिर्फ केमिस्ट ही समझ पाते हैं

मरीजों को अक्सर शिकायत रहती है कि डॉक्टर पर्ची साफ और स्पष्ट नहीं लिखते हैं। कोड वर्ड में मेडिसीन का नाम लिख दिया जाता है, जिसे मेडिकल स्टोर वाला ही समझ सकता है। कुछ डाक्टरों द्वारा लिखी गई पर्ची तो सिर्फ उनके ही केमिस्ट समझ पाते हैं। दूसरा कोई व्यक्ति सिर पटक ले लेकिन नहीं समझ पाता। सिटी के दो बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स और सदर का भी ऐसा ही हाल है। यहां भी डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन समझना टेढ़ी खीर के समान है। मरीज या उनके अटेंडेंट चुपचाप वह पर्ची लेकर मेडिकल स्टोर पहुंच जाते हैं और केमिस्ट जो दवा देता है वह लाकर मरीज को देना शुरू कर देेते हैं। कुछ तो पर्ची में लिखी दवा का नाम समझना ही नहीं चाहते तो कुछ चाह कर भी नहीं समझ पाते। सिर्फ डॉक्टर और केमिस्ट के भरोसे पर यह बिजनेस चलता है।

डॉक्टर संग ओपीडी में ऑपरेटर भी

सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार की मानें तो हर ओपीडी में डॉक्टर के साथ एक ऑपरेटर रहेगा। जो डॉक्टर की बताई दवाएं कंप्यूटर में टाइप करेगा। वहीं प्रिस्क्रिप्शन मरीजों को प्रिंट करके दे दिया जाएगा। इससे मरीज के पास प्रिंटेड प्रिस्क्रिप्शन तो होगा। साथ ही हॉस्पिटल के डेटा में भी पेशेंट की जानकारी स्टोर हो जाएगी, जिससे भविष्य में मरीजों का सारा डेटा एक क्लिक पर उपलब्ध होगा। वहीं डॉक्टर को यह बताने की जरूरत नहीं होगी कि पिछली बार किस बीमारी का इलाज कराया गया था और कौन सी दवाएं उसे दी गई थी। उसके आधार पर मरीजों का इलाज डॉक्टर कर सकेंगे। यह सारी जानकारी आभा ऐप में भी मौजूद होंगी।

एक क्लिक पर सारी जानकारी

नई व्यवस्था के बाद मरीजों के इलाज से लेकर जांच तक सारी सुविधाएं एक क्लिक पर उपलब्ध होंगी। टेस्ट की भी सभी रिपोर्ट आनलाइन रहेंगी। चूंकि हॉस्पिटल में भी मरीजों की टेस्ट रिपोर्ट अब आनलाइन ही रखी जा रही है। ये सभी रिपोर्ट मरीजों के आभा कार्ड से लिंक रहेंगी। इससे मरीजों को कहीं जाने पर कागजात रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। केवल आभा की आईडी से डॉक्टर उनकी मेडिकल हिस्ट्री देख सकेंगे। इससे एक और फायदा होगा कि कहीं बाहर में किसी व्यक्ति की अचानक तबीयत खराब होती है तो उसका इलाज करने वाले डॉक्टर आभा आईडी से पूरी हिस्ट्री देखते हुए इलाज करेंगे। मरीज को कोई वैसी दवा नहीं दी जाएगी, जिससे कि उसे एलर्जी हो।

आभा कार्ड में मरीजों का पूरा डिटेल

सिविल सर्जन रांची डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि यह पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हो रहा है, जिसमें मरीजों को बहुत सारी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा। वहीं दवा के नाम क्लियर रहने से किसी को परेशानी नहीं होगी। ये सारे रिकार्ड आभा कार्ड में रहेंगे। डॉक्टर एक क्लिक पर पूरी डिटेल्स देख सकेंगे। आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) कार्ड एक आईकार्ड है, जिसमें आपकी हेल्थ से जुड़ी सभी जानकारी उपलब्ध रहेगी। इसे बनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि मरीज भारत में किसी भी हॉस्पिटल में इलाज के लिए जाए तो उसे कागजात ले जाने की जरूरत न पड़े। यही वजह है कि हॉस्पिटल में क्यूआर कोड वाले साइनेज बोर्ड हॉस्पिटल कैंपस में लगाए गए हैं, जिससे कि मरीज अपना रजिस्ट्रेशन कर आभा कार्ड बना लें। काफी संख्या मेें लोग आभा में रजिस्ट्रेशन करा भी रहे हैं। शुरुआत में लोगों को थोड़ी परेशानियां जरूर हुईं। लेकिन अब सब सामान्य हो चुका है।