रांची(ब्यूरो)। हाथ में किताब और खिलौने रखने की उम्र में झारखंड के बच्चे और टीन-एजर नशे की पुडिय़ा थाम चुके हैं। खासकर राजधानी रांची में पुलिस की नाक के नीचे खुलेआम टीन-एजर नशे का सामान खरीद रहे हैं। सिटी के हर इलाके और गली-गली तक नशे का सामान पहुंच चुका है। नशे के सामान की सप्लाई करने वाले भले पुलिस के हाथ लग रहे हैं। लेकिन यह धंधा घटने के बजाय और बढ़ता ही जा रहा है। सोमवार को भी ब्राउन शुगर की खरीद-बिक्री करते डोरंडा पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। सवाल यह है कि नशे के ये सामान शहर के अंदर पहुंच कैसे रहे हैं और पुलिस इसे रोकने के लिए क्या कर रही है। दरअसल, पुलिस नशे के सामानों की तस्करी रोकने पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। महज कुछ पुडिय़ा के साथ कुछ लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज देने भर से यह कारोबार नहीं थमेगा। जेल गए लोग भी कुछ ही दिनों में बाहर आ जाते हैं और फिर से इसी धंधे में लग जाते हैं। ऐसे में नशे की जद में जाती युवा पीढिय़ों को रोक पाना मुश्किल है।

70 में थिनर, 100 रुपए में गांजा

पांच से 15 साल के नाबालिग भी अफीम, गांजा और चरस के आदि लोग होते जा रहे हैं। सड़क किनारे नाबालिग बड़ी आसानी से गांजा और थिनर का सेवन करते दिखाई दे जाते हैं। सिटी के विभिन्न इलाकों में दुकानदार भी बड़ी आसानी से नशीले पदार्थों की खरीद-बिक्री करते हैं। 70 रुपए में थिनर और करीब 100 रुपए में गांजा की पुडिय़ा मिल जाती है। इसकी सप्लाई करने वाले गली-गली घूमकर नशीले सामान की बिक्री करते हैं। किशोरगंज में रहने वाले लोगों ने बताया कि इलाके में अक्सर लाल बाइक में एक युवक पुडिय़ा लेकर डिलीवरी करने आता है। पुलिस को भी इस बात की जानकारी है। फिर भी उस पर कार्रवाई नहीं की जाती है।

एम्फैटेमिन पाउडर भी

राजधानी रांची में ड्रग्स के नशे का काला कारोबार तेजी से फैलता जा रहा है। ब्राउन शुगर, अफीम और गांजा के साथ-साथ अब सिटी में अब एम्फैटेमिन पाउडर भी सप्लाई होने लगा है। एम्फैटेमिन पाउडर आमतौर पर पहले महानगरों या पंजाब आदि प्रदेशों तक सीमित था। लेकिन, अब झारखंड में भी इसकी बिक्री हो रही है। आलम यह है कि बड़ी संख्या में झारखंड के युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं। राज्य में एम्फैटेमिन पाउडर मिलने से झारखंड पुलिस प्रशासन भी गंभीर है और लगातार इसको लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं। नशे के अवैध धंधे और तस्करी पर नकेल कसने को लेकर एटीएस को भी विशेष जिम्मेवारी दी गई है। पिछले दिनों एटीएस ने रांची और चतरा के अफीम कनेक्शन को डिकोड करते हुए भारी मात्रा में अफीम के साथ 3 तस्करों को दबोचा था। वहीं, बरकाकाना में जीआरपी की मदद से 1 करोड़ से च्यादा की नशे की खेप बरामद की गई थी। जो यह बताता है कि नशे का अवैध कारोबार पूरे राज्य के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुका है।

3 फॉर्म में एम्फैटेमिन

बताया जा रहा है कि कोकिन काफी महंगा होता है जिसे देखते ही उसके विकल्प के तौर पर एम्फैटेमिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। एम्फ़ैटेमिन 3 फॉर्म में मिलता है जिसमें सिरप, टेबलेट और पाउडर फॉर्म है। पाउडर काफी नशीला होता है। अब तक लिंक और जानकारी के अनुसार ये पंजाब के रास्ते झारखंड तक आता है। हालांकि नारकोटिक्स विभाग और एटीएस इसको लेकर जांच का दायरा बढ़ा रहे हैं। राजधानी में ज्यादा गांजा, अफीम और ब्राउन शुगर क सप्लाई होती है। च्यादा मुनाफा और पकड़े जाने के भय के कारण माफिया ने स्थानीय स्तर पर ही नशे की फैक्ट्री खड़ी कर ली है। बाहर से हायर कारीगर स्थानीय युवाओं को अफीम से ब्राउन शुगर प्रॉसेस करने की ट्रेनिंग देते हैं। नशे के सौदागर रांची, सरायकेला और खूंटी के सीमावर्ती इलाकों में पुलिस से छिपकर अफीम उगाते हैं। अफीम उगाने के बाद स्थानीय स्तर पर ही इसको प्रॉसेस करके ब्राउन शुगर तैयार किया जाता है, जिसके बाद तैयार ब्राउन शुगर पूरे राच्यभर में सप्लाई हो रहा है।

नशीले सामान का कारोबार करने वालों पर पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। सूचना मिलते ही फौरन कार्रवाई की जाती है। कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। शिक्षण संस्थान, लॉज, हॉस्टल के आसपास विशेष अभियान चलेगा।

-राजकुमार मेहता, सिटी एसपी, रांची