रांची (ब्यूरो)।सिटी में आए दिन लूटमार और छिनतई की वारदातें तो होती ही रहती हैं। ऐसी ज्यादातर वारदातें नशेडिय़ों द्वारा अपनी नशाखोरी पूरी करने के लिए की जाती हैं। पुलिस भी लगातार छापेमारी अभियान चलाकर नशेड़ी और इसका कारोबार करने वालों को गिरफ्तार तो करती है। लेकिन नशे का यह अवैध धंधा बंद नहीं हो पा रहा है। तभी तो बीते साल पुलिस द्वारा 393 केजी गांजा, 129 ग्राम ब्राउन सुगर और 6615 केजी डोडा जब्त करने के बाद भी इस कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ा। आज भी सिटी के गली-मुहल्लों में बडी आसानी से गांजा समेत अन्य नशीले सामानों की बिक्री हो रही है। डीजे आईनेक्स्ट की टीम ने सिटी के विभिन्न इलाकों में जाकर इसकी पड़ताल की, जिसमें काफी आसानी से गांजे की पुडिय़ा उपलब्ध हो गई। न दुकानदारों ने कोई सवाल किया और न ही उनमें किसी तरह का भय दिखा। सिर्फ 20 वाला और 30 वाला पुडिय़ा या माल कहने पर पुडिय़ा निकाल कर दे दिया गया। छोटी-छोटी दुकानों के अलावा कुछ ऐसे भी लोग मिले, जो घूम-घूम कर इसका कारोबार कर रहे हैं। अपनी जेब में गांजे की पुडिय़ा लेकर ये लोग किसी खास जगह पर खड़े रहते हैं, जहां उनका नियमित कस्टमर आता है। पैसा देता है और पुडिय़ा लेकर चला जाता है।

बड़ी मछली पकड़ से दूर

रांची पुलिस ने बीते एक साल में करोड़ो रुपए के नशे के सामान जब्त किए और सैकड़ों लोगों को जेल भी भेजा है। लेकिन नशे के अवैध कारोबार पर पुलिस पूरी तरह से शिकंजा नहीं कस पाई है। सिटी के दर्जनों मुहल्लों के सैकड़ों स्थानों पर नशीले सामान बिक रहे हैं। चूना भट्ठा, न्यू मधुकम, विद्यानगर, करम चौक, किशोर गंज, पिस्का मोड़, आईटीआई समेत और भी कई इलाके हैं, जहां गांजा खुलेआम बिक रहा है। पुलिस छोटी मछलियों को तो पकड़ लेती है, लेकिन बड़ी मछली तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है। जांच अभियान में पुलिस कई बार सप्लायर्स को गिरफ्तार की है। लेकिन न तो इसे उपलब्ध कराने वाला व्यक्ति और न ही इसे बेचने वाले को पुलिस गिरफ्तार कर पाई है। सप्लायर भी कुछ ही दिनों में जमानत पर बाहर आ जाते है, इसके बाद फिर से वही धंधा शुरू हो जाता है।

महिलाएं व बच्चे भी शामिल

गांजा का बेखौफ कारोबार करने वालों ने इस धंधे में महिलाओं और बच्चों को भी झोंक रखा है। पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी नशे के सौदागर अपने कारोबार को बंद नहीं कर रहे हैं। गली की छोटी-छोटी दुकानों पर महिलाएं और बच्चे इस कारोबार को संभाल रहे हैं। सुखदेव नगर थाना के समीप ही एक झोपड़ीनुमा घर में महिला पुडिय़ा की बिक्री करती है। इसके अलावा हाईटेक तरीके से भी डोर टू डोर इसकी सर्विस दी जा रही है। डोर टू डोर सर्विस में ब्राउन शुगर भी शामिल है। गांजा का कश लगाने वालों में गरीब ही नहीं, बल्कि हाई सोसायटी के युवा भी शामिल हैं। चिल्लम के अलावा सिगरेट और ओसीबी (खास तरह की पन्नी) में इसे भरकर युवा कश लगा रहे हैं। सिटी के सबसे रिहायशी इलाका मोरहाबादी मैदान में हर शाम गांजे की महक आती है। मैदान के जिस साइड से गुजरिए गांजे की महक आती है। लेकिन पुलिस की यहां कोई कार्रवाई नहीं होती है।

ओडि़शा से हो रही तस्करी

गांजा की सबसे बड़ी खेप पड़ोसी राज्य ओडि़शा से सप्लाई हो रही है। ऐसा नहीं है कि इस पर रोक लगाने के लिए पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। कई बार एसटीएफ और लोकल पुलिस ने गांजा की बड़ी खेप बरामद की है। जिसमें अब तक करीब चार सौ केजी गांजा पकड़ा जा चुका है। गांजे का नशा कॉलेज में पढऩे वाले कई स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल संस्थान में पढऩे वाले बहुत से स्टूडेंट के साथ-साथ अलग-अलग फील्ड में जॉब वाले भी बड़ी संख्या में कर रहे हैं। हर इलाके में गांजे का कारोबार खुलेआम हो रहा है लेकिन पुलिस की कार्रवाई का न होना पुलिस की मौन सहमति दर्शाता है। नशीले पदार्थो का कारोबार करने वाले नई-नई ट्रिक अपनाते रहते हैं। कभी कुरियर ब्वाय बन कर, तो कभी सब्जी कारोबारी बन कर गांजा, अफीम और दूसरे नशीले सामानों की डिलीवरी एक जगह से दूसरे जगह की जा रही है। फलों और सब्जियों की आड़ में गांजे की सप्लाई किए जाने पर पुलिस को चकमा देना आसान हो रहा है। चेकनाकों पर उन्हें आसानी से गुजरने दे दिया जाता है।