RANCHI : जीएसटी के बाद ई-वे बिल एक अप्रैल से पूरे देश में लागू हो जायेगा। ई वे बिल को लेकर एक तरफ जहां व्यवसायी वर्ग संतुष्ट नजर आ रहा है वहीं तकनीकी स्तर को सुधारने की भी मांग कर रहा है। चेंबर ऑफ कॉमर्स के आनंद गोयल ने बताया कि यह फरवरी में ही लागू होना था, लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से इसे लागू नहीं किया गया। चूंकि अब लागू हो रहा है तो सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी प्रकार की तकनीकी स्तर पर व्यापारियों को परेशानी न झेलनी पड़े।

डीलर्स पर रहेगी नजर

ई वे बिल को लागू होने से किसी भी सामान की आवाजाही पर विभाग की नजर रहेगी। ट्रांसपोर्टर्स, विक्रेता और क्रेता तीनों को 50 हजार से ऊपर की वस्तुओं के लिये ई वे बिल जेनरेट करना होगा। अगर राज्य के अन्दर माल की आवाजाही पर यह बिल लागू हो जाता है तो 15 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर सामान भेजने पर भी ईवे बिल लागू करना होगा।

विक्रेता को देनी होगी जानकारी

इस बिल के अंतर्गत विक्रेता को जानकारी देनी होगी की वो किस वस्तु को बेच रहा है, वहीं खरीदने वाले व्यक्ति को जीएसटीन पोर्टल पर जानकारी देनी होगी कि उसने या तो गुड्स को खरीद लिया है या फिर उसे रिजेक्ट कर दिया है।

अब तक 13 हजार रजिस्ट्रेशन

राज्य कर आयुक्त अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि ई वे बिल से पारदर्शिता। उन्होंने कहा कि जीएसटीएन के तहत करीब एक लाख व्यवसायी रजिस्टर्ड है लेकिन ई वे बिल में अब तक मात्र 13 हजार लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है।

क्या है ई-वे बिल?

अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं।

कैसे काम करेगा

जब आप विक्रेता ई.वे बिल को जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करेंगे तो एक यूनीक ई- वे नंबर ईबीएन जनरेट होगा। यह सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और क्रेता तीनों के लिए होगा।

क्या होता है ई-वे बिल में?

इस बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और क्रेता या ग्राही करने वाले की डिटेल दी जाती है। अगर जिस गुड्स का मूवमेंट एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के भीतर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो सप्लायर को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी।

कितनी अवधि के लिए वैलिड ?

अगर किसी गुड्स का मूवमेंट 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड होता है। अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए मान्य होगा।

एक्सीडेंट होने पर क्या करना होगा?

जिस व्हीकल से सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाया जा रहा है वह अगर किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो इस सूरत में आपको सामान दूसरे व्हीकल में ट्रांसफर करने के बाद एक नया बिल जनरेट करना होगा।