- शहरी पेयजलापूर्ति योजना का दूसरा चरण शुरू

- रांची के कई इलाकों में बिछायी जाएगी पाइपलाइन

- योजना की लागत करीब 505 करोड़ रुपये आंकी गयी

- रख-रखाव पर 35 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे

- जुडको ने जलापूर्ति योजना के कार्यान्वयन के लिए संवेदक के साथ किया एमओयू

राजधानी के बरियातू, कांटा टोली, कांके, मोरहाबादी, चिरौंदी और रुक्का डैम में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। इन जगहों पर नए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने के बाद शहर में गंदे पानी की सप्लाई की समस्या का बहुत हद तक निवारण हो जाएगा। जिन जगहों पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा, वहां से पूरे शहर को पानी भेजी जाएगी। शहरी पेयजलापूर्ति योजना के तहत इसका निर्माण किया जाएगा। झारखंड अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी (जुडको) की ओर से फेज टू का काम शुरू करने के लिए एजेंसी का चयन भी कर लिया गया है। जल्द ही यहां निर्माण कार्य शुरू होगा।

अभी कई इलाके में आता है गंदा पानी

फिलहाल शहर में अधिकतर इलाकों को सप्लाई पानी पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए डैम में ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है। एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बूटी बस्ती में भी लगाया गया है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बहुत पुराना हो जाने के कारण लोगों के घरों तक गंदे पानी की सप्लाई भी हो जाती है।

पाइप लाइन बिछाने के सर्वे का काम शुरू

रांची में शहरी पेयजलापूर्ति योजना का दूसरा चरण (फेज-2) शुरू हो चुका है। जुडको ने योजना के कार्यान्वयन के लिए संवेदक के साथ एमओयू कर लिया है। टोपोग्राफी के जरिये पाइप लाइन का सर्वे शुरू हो चुका है। इसके अलावा संबंधित इलाकों में हाउस होल्ड का भी मैनुअल सर्वे किया जा रहा है।

2007 में शुरू हुआ था काम

रांची शहरी जलापूर्ति योजना का पहला चरण (फेज-1) वर्ष 2009 में शुरू किया गया था। 2013 में योजना पूरी करने के निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध आज तक योजना अधूरी है। इस बीच 288 करोड़ रुपये की मूल लागत वाली योजना बढ़कर 472 करोड़ रुपए हो गयी है। यानी, योजना की लागत में अब तक 184 करोड़ रुपए की वृद्धि हो चुकी है। 14 साल पहले शुरू हुई इस योजना में देरी की वजह से इसकी लागत लगातार बढ़ती गयी।

इन इलाकों में पाइपलाइन बिछेगी

शहरी पेयजलापूर्ति योजना फेज-टू के तहत हरिहर सिंह रोड, बरियातू, पहाड़ टोली, खेलगांव, लोआडीह, कोकर, चुटिया, नामकुम, अनंतपुर, नेपाली बस्ती, कृष्णापुरी, सिरमटोली, रांची स्टेशन, कांटाटोली, पुरुलिया रोड, लालपुर, अहिरटोली, लोअर बाजार, चर्च रोड, कर्बला चौक व अरगोड़ा इलाके में लगभग 500 किमी तक पाइपलाइन बिछायी जाएगी।

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इस वजह से गंदे पानी की आपूर्ति

प्रदूषित कर रहे सात नाले

कांके डैम में राजधानी के सात बड़े नाले गिरते हैं। ये नाले कांके डैम के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं। इन नालों के पानी को शोधित करने के बाद डैम में गिराने के लिए यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया था। मगर, ये प्लांट भी खराब हो गया है। अब नाले का गंदा पानी सीधे कांके डैम में जा रहा है।

स्वर्णरेखा और हरमू नदी अब नाला

रांची में बहने वाली हरमू और स्वर्णरेखा नदियां नाला बन गईं हैं। दोनों नदियों में अब ठहरा हुआ गंदा पानी ही है। ये पानी बह नहीं रहा है। पानी इस कदर गंदा है कि कोई भी देख कर इसे नदी नहीं कह सकता है। हरमू नदी का जीवन लौटाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए, कई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए मगर, हालात नहीं सुधरे।

खत्म हो गई जमुनिया नदी

कोकर की जमुनिया नदी भी अब तकरीबन खत्म हो गई है। पहले ये नदी तकरीबन 15 फीट चौड़ी थी। इसमें साफ पानी बहता था। मगर अब नदी खत्म हो गई है। अब ये नदी नाला जैसी दिख रही है। अतिक्रमण कर इसे खत्म कर दिया गया है। इसकी चौड़ाई खत्म हो गई और लंबाई भी खत्म हो गई। अब ये नदी नाला जैसी ही नजर आती है।