RANCHI: टॉयलेट की फोटो भी जियोटैग से वेबसाइट पर अपलोड कर दी। इसके ख्फ् मिनट बाद ही लाभुक को फ‌र्स्ट इंस्टालमेंट का पेमेंट भी हो गया। और कुछ सेकेंड बाद सेकेंड इंस्टालमेंट को भी अप्रूवल मिल गया। यानी रांची नगर निगम ने राजधानी को ओडीएफ घोषित करने के लिए हजारों टॉयलेट्स का निर्माण मोबाइल पर ही करा दिया। वहीं कई लोगों का टॉयलेट कागजों पर ही बन गया। बताते चलें कि क्भ् सितंबर तक रांची को ओडीएफ घोषित करने की डेडलाइन रखी गई है। इसे पूरा करने के लिए हजारों फर्जी टॉयलेट्स का निर्माण करा दिया गया है।

 

सिटी मैनेजरों को टारगेट

स्वच्छ भारत मिशन के तहत राजधानी में टॉयलेट बनाने के लिए अधिकारियों ने दिन-रात एक कर दिया है। नगर आयुक्त ने सभी सिटी मैनेजरों को टारगेट भी दे रखा है। ताकि क्भ् सितंबर तक पूरी राजधानी को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा सके। इसके लिए सुबह से लेकर रात तक सिटी मैनेजर कड़ी मेहनत करके हजारों टॉयलेट्स भी बना रहे हैं। लेकिन टारगेट के चक्कर में कई ऐसे टॉयलेट बन गए हैं, जिसका धरती पर नामोनिशान तक नहीं है।

 

फ्0 के बाद जाएगी जॉब

डायरेक्टर नगर विकास विभाग राकेश कुमार शर्मा ने रांची के अलावा धनबाद, देवघर, विश्रामपुर, रामगढ़, सिमडेगा, मिहिजाम, मधुपुर, पाकुड़, नगर उंटारी, मंझिआंव, हुसैनाबाद, और बासुकीनाथ निकायों को पत्र लिखा है। जिसमें फ्0 सितंबर तक निकायों को ओडीएफ घोषित करने को कहा गया है। अगर फ्0 सितंबर तक इन निकायों को ओडीएफ घोषित नहीं किया जाता है टॉयलेट का काम देख रहे सिटी मैनेजरों को हटाने का निर्देश दिया गया है।


फ‌र्स्ट इंस्टालमेंट के कुछ सेकेंड बाद सेकेंड अप्रूव्ड

केस वन

लालपुर में एक लाभुक ने टॉयलेट बनाने के लिए रांची नगर निगम में आवेदन दिया था। स्वच्छ भारत मिशन के तहत उसका सेलेक्शन भी कर लिया गया। इसके बाद काम शुरू कराने के बाद भी आजतक उसके अकाउंट में एक रुपया ट्रांसफर नहीं किया गया। इस इंतजार में लाभुक ने अपने खर्च पर टॉयलेट बनवा लिया। अब लाभुक को रांची नगर निगम से मैसेज भेजा गया कि आपके टॉयलेट का फोटो अपलोड हो गया है। फिर थोड़ी देर बाद ही लाभुक को फ‌र्स्ट इंस्टालमेंट ट्रांसफर का मैसेज आ गया। इसके कुछ सेकेंड बाद ही सेकेंड इंस्टालमेंट अप्रूवल का भी मैसेज आ गया।

 

केस टू

टॉयलेट बना नहीं, कंप्लीट का आ गया मैसेज

वार्ड ब्ब् की रहने वाली गीता देवी का नाम टॉयलेट निर्माण के लिए सेलेक्ट कर लिया गया। इसके बाद संबंधित अधिकारी उनका आधार कार्ड ले गए। टॉयलेट बनाने के लिए अकाउंट में पैसा तो नहीं आया, लेकिन टॉयलेट कंप्लीट होने का मैसेज आ गया और उसका फोटो भी अपलोड हो गया। इस मामले में गीता देवी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कंप्लेन की कि बिना काम कराए ही उनका टॉयलेट कैसे तैयार हो गया।