RANCHI:इरबा स्थित मेदांता हॉस्पिटल के हाउसकीपिंग स्टाफ मन्नू पाहन (52 वर्ष) की मौत हो गई। मौत के बाद दिन भर यह चर्चा रही कि उसकी मौत कोविड वैक्सीन लेने के कारण हुई है। परिजनों के कहने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भी लाया गया। हालांकि, पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक ने कहा कि मन्नू की मौत वैक्सीन लगने के कारण नहीं हुई है।

हॉस्पिटल ने किया खारिज

मेदांता के चिकित्सा अधीक्षक डॉ मदन मोहन पांडेय ने कहा कि मन्नू पाहन अस्पताल के ही इंडोस्कोपी विभाग में कार्यरत था। एक फरवरी को उसने भी 150 स्वास्थ्यकर्मियों के साथ वैक्सीन ली थी। वैक्सीन लेने के बाद 24 घंटे से भी अधिक समय तक वह बिल्कुल स्वस्थ था और लगातार अस्पताल में सेवा दे रहा था। ऐसे में उसकी मौत का कारण वैक्सीन के होने का कोई सवाल ही नहीं है। डॉ पांडेय ने कहा कि शव का पोस्टमॉर्टम रिम्स में किया गया है, रिपोर्ट आने के बाद मौत का कारण सामने आ जाएगा। इधर, सिविल सर्जन डॉ वीबी प्रसाद ने कहा कि पहली नजर में मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट लग रहा है।

हाई बीपी की थी परेशानी

मेदांता हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा जारी मन्नू पाहन के प्रारंभिक हेल्थ रिकॉर्ड के अनुसार वह हाई बीपी का मरीज था और ब्लडप्रेशर भी बढ़ा रहता था। दस दिन पहले सांस लेने में परेशानी हुई थी जो स्वत: ठीक हो गई थी। शव का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड के द्वारा किया गया है, ताकि मौत के सही कारणों का पता चल सके। मेदांता अस्पताल में अब तक 351 स्वास्थ्यकर्मियों को कोविडशील्ड का टीका लगाया जा चुका है। किसी को कोई परेशानी नहीं हुई।

टीका लगने के बाद था स्वस्थ

स्वास्थ्य विभाग से जारी बयान के अनुसार, मन्नू पाहन को एक फरवरी को दोपहर 12:55 बजे कोविशील्ड का पहला डोज मेदांता अब्दुर्रज्जाक अंसारी मेमोरियल हॉस्पिटल में (कोविडशील्ड बैच नंबर 4207070) दिया गया था। इसकी एक्सपायरी डेट 29 अप्रैल 2019 थी। उसी बैच नंबर के वायल से 9 और स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया गया था। टीका लगवाने के अगले दिन दो फरवरी को मन्नू सामान्य तरीके से अपने कार्य पर उपस्थित था। शाम को सही सलामत घर भी लौटा था। रात 9:30 बजे लघु शंका के लिए घर से बाहर निकलने के क्रम में वह गिर पड़ा। परिजन आनन फानन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां इसीजी के बाद चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।

50 हजार से ज्यादा को टीका

देशभर में कोरोनावायरस की काट के लिए बीते 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण महाअभियान चलाया जा रहा है। अब तक झारखंड में 50,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है। वैक्सीन से किसी को भी कोई खास परेशानी नहीं हुई है। वैक्सीन को हर तरह से सुरक्षित बताया गया है।