RANCHI : आई नेक्स्ट के अभियान 'नवरात्रि में लीजिए संकल्प, बेटियों को बचाओ' को रांची में जबर्दस्त सपोर्ट मिल रहा है। हर समाज और संस्था के लोग इस अभियान में शामिल होकर इसकी तारीफ कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिस तरह आज देश में लड़कियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं। देश में कुछ जगहों पर कन्या भ्रूण हत्या की जा रही है। सख्त कानून बनने के बाद भी दहेज के लिए बेटियों को मारा जा रहा है। आए दिन छेड़खानी और हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में बेटियों को बचाना आज की जरूरत है। रविवार को गार्जियन ग‌र्ल्स हॉस्टल की लड़कियां इस अभियान में शामिल हुई। उन्होंने कहा कि नवरात्रि के पावन पर्व के मौके पर आई नेक्स्ट ने जो अभियान शुरू किया है, इसमें सबको शामिल होना चाहिए और बेटियों को बचाने का संकल्प लेना चाहिए।

सिर्फ कानून बनाने से नहीं बनेगी बात

आज देश में लड़कियों के खिलाफ होनेवाली सभी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया गया है, लेकिन इसके बाद भी देखने में आता है कि घटनाएं कम होनी की बजाय बढ़ ही रही हैं। आज भी देश में बेटों की चाह में कुछ लोग गर्भ में ही बेटियों को मार रहे है। वर्किंग प्लेस पर लड़कियों के साथ भेदभाव जारी है। यह घटनाएं इसलिए रुक नहीं पा रही हैं कि लेागों के अंदर कानून का डर नहीं है। क्योंकि हमारे देश में किसी को सजा देने की प्रक्रिया इतनी लंबी है कि आरोपी आराम से बच जाते हैं और पीडि़ता का न्याय नहीं मिलता है। ऐसे में कानून का सही ढंग से और तय समय में पालन हो। दोषियों को कड़ी सजा मिली। तब जोकर बेटियां समाज में सुरक्षित रहेंगी

स्वाति

बेटियों के साथ खत्म हो भेदभाव

बेटियों को बचाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि उनके साथ होने वाला भेदभाव समाप्त किया जाए। आज भी कुछ लोग बेटियों को कमतर आंकते है। बेटे के साथ जैसा ट्रीट करते हैं, वैसा वह बेटी के साथ नहीं करते हैं। जितना मौका बेटों को दिया जाता है उतना बेटी को नहीं दिया जाता है। ऐसे में बेटियां कैसे आगे बढेंगी। यह सोचने की बात है। बेटियों के साथ भेदभाव की शुरुआत घर से ही होती है। ऐसे में सभी को अवेयर रहकर यह कसम खाने की जरूरत है कि वह कभी भी बेटी और बेटे में अंतर नहीं करेंगे.

तनुश्री

अवेयरनेस की है जरूरत

पहले के मुकाबले आज समाज में बेटियों को मान-सम्मान, पढ़ाई-लिखाई को लेकर ज्यादा अवेयर हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी अब भी समाज में बेटियों के मुकाबले बेटों को अधिक मौका दिया जाता है। परिवार के स्तर पर ही बेटियों के साथ भेदभाव शुरू किया जाता है। ऐसे में आज जरूरत इस बात की है कि इसके लए नव-विवाहित जोड़ों को सबसे पहले इस बात की काउंसलिंग की जाए कि वह अपने होने वाले बच्चों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगे। समाज में बेटियों को सुरक्षित बनाने के लिए काम करेंगे। बेटी को मान-सम्मान देने के साथ ही उसकी पढ़ाई लिखाई और कॅरियर में उसे पूरा मौका देंगे। इसके लिए समाज को भी जागरूक करेंगे। ऐसा होने पर निश्चित रूस से बेटियों को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा।

श्रेया पल्लवी

सोसाइटी की मानसिकता बदलनी होगी

आज सरकार बेटियों को सुरक्षित बनाने के लिए बहुत सारे अभियान चला रही है। पिछले साल को तो बेटी वर्ष भी घोषित किया गया था। बेटियों को बचाने के लिए समय-समय कई सारी योजनाएं भी चलती हैं। लेकिन इसके बाद भी अगर समाज में बेटियां असुरक्षित हैं तो यह सोचने का समय है कि आखिर कमी कहां रह जा रही है। आखिर बेटियों के खिलाफ होने वाली हिंसा थमने का नाम क्यों नहीं ले रही है। कहीं न कहीं इसके पीछे समाज भी जिम्मेदार है। क्योंकि बेटियों को बचाने और सुरक्षित बनाने में जितना उसका रोल होना चाहिए, वह नहीं निभा पा रहा है। ऐसे में अब जरूरत है ऐसे ही अभियान की जो आई नेक्स्ट चला रहा है। बेटियों को बचाया जाए यानी सभी लोग अपने-अपने स्तर से बेटियों को बचाने और उनको आगे बढ़ाने के लिए काम करें।

प्रियंका

इस अभियान में सभी लोग श्ामिल हों

आई नेक्स्ट ने बेटियों को बचाओ नाम से जो अभियान शुरू किया है वह बहुत ही अच्छा है। इस अभियान में सबको शामिल होकर बेटियों को बचाने का संकल्प लेना चाहिए। क्योंकि आज समाज में अवेयरनेस के बाद भी बेटियों की स्थिति में जितना बदलाव आना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। ऐसे में बेटियों को बचाने के लिए जो अभियान चल रहा है उसके महत्व को सभी लोग समझें। अपने आसपास के लोगों को इस अभियान में शामिल करने के साथ ही बेटियों को बचाने के लिए अवयेर करें। बेटियां समाज के लिए कितनी जरूरी हैं, यह भी बताएं। अगर ऐसा होगा तो समाज की तस्वीर बदलेगी। बेटियां समाज में मान-सम्मान के साथ सुरक्षित रहकर अपने करियर में ऊंचाई को छूते हुए अपना योगदान देंगी।

कोमल सिंह

करना होगा सामूहिक प्रयास

समाज में लड़कियों के खिलाफ जो भेदभाव और हिंसा होती है। उसको रोकने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। सरकार और समाज के साथ ही हर परिवार को इसमें शामिल होकर सामाजिक बुराईयों को मिटाने के लिए काम करना होगा। आई नेक्स्ट ने बेटियों को बचाओ नाम से जो अभियान शुरू किया है, इसमें शामिल होकर सभी लोगो को इस मुहिम को आगे बढ़ाना चाहिए। ऐसे अभियान से ही लोगों की मानसिकता बदलेगी और बेटियों सुरक्षित बनेंगी। अगर सब लेाग ऐसा कर लिए तो समझ लीजिए बेटियां सुरक्षित हो गई।

अंकिता कुमारी

चुप नहीं रहना होगा

लड़की हो या महिला अगर उसके साथ कहीं भी किसी भी स्तर पर अगर अत्याचार हो रहा है तो उसे चुप नहीं रहना चाहिए। उसे आवाज उठानी चाहिए। लेकिन अभी तक को जो सिस्टम है उसमें अधिकतर मामलों में वह चुप रहकर अन्याय सह लेती हैं। यही कारण है कि जो अन्याय करने वाले असामाजिक तत्व हैं, उनका हौसला बढ़ जाता है। इसमें लड़कियों का कोई दोष नहीं है, क्योंकि हमारे देश में पीडि़ता को न्याय दिलाने का जो सिस्टम है वह इतना खराब है कि कोई भी सभ्य समाज का आदमी पुलिस और कोर्ट के चक्कर में नही पड़ना चाहता है। क्योंकि न्यायिक प्रणाली में पीडि़ता को ही प्रताडि़त किया जाता है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि इस सिस्टम में भी बदलाव किया जाए। आई नेक्स्ट ने जो अभियान चलाया है, उसमें शामिल होकर हम लोग सिस्टम बदलने के लिए काम करें।

चहक गोयल