-सिटी में अचानक से बढ़ गई कोरोना संक्रमितों की संख्या

-16 दिनों में 350 से अधिक मरीज आए सामने

-प्राइवेट हॉस्पिटल्स को बेड रिजर्व रखने को कहा था सरकार ने

कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार मिल रहे मरीजों से गवर्नमेंट हॉस्पिटलों के बेड फुल हो चुके हैं। ऐसे में अब कोरोना का इलाज सिटी के प्राइवेट हॉस्पिटल्स में होगा, जहां मरीजों को इलाज के लिए भेजा जाएगा। वहीं इलाज में होने वाला खर्च भी वहन करना होगा। चूंकि सरकार के आदेश पर पहले से ही प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने कोरोना से निपटने की तैयारी कर रखी है। वहीं कोरोना से लड़ाई के लिए एक मेडिकल टीम भी तैयार है। प्रबंधन की मानें तो उन्हें मौका मिला है तो अपना पूरा एफर्ट मरीजों के इलाज में लगा देंगे। लेकिन इसके लिए उन्हें हॉस्पिटल का चार्ज देना होगा। बताते चलें कि इससे पहले सिटी के दो गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स और एक प्राइवेट में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज चल रहा था। लेकिन मरीजों की बाढ़ आ जाने से डिपार्टमेंट की चिंता बढ़ गई है।

16 दिनों में 386 कोरोना पॉजिटिव

टेस्टिंग की रफ्तार में तेजी आने के बाद से कोरोना मरीज भी काफी संख्या में सामने आ रहे हैं। ऐसे में देखा जाए तो सिटी में 16 दिनों में 386 नए कोरोना के मामले सामने आए हैं, जबकि इससे पहले कोरोना मरीजों के मिलने की रफ्तार धीमी पड़ गई थी। हेल्थ डिपार्टमेंट को भी इसका अंदाजा नहीं था कि अचानक से मरीज बढ़ेंगे और हॉस्पिटल्स में बेड फुल होने की नौबत आ जाएगी।

रिम्स, सीसीएल, पारस सभी फुल

कोरोना संक्रमितों की संख्या जुलाई महीने में तेजी से बढ़ी है। सबसे ज्यादा रिकार्ड कोरोना के मामले जुलाई में आए हैं। मरीजों का इलाज पहले तो रिम्स फिर सीसीएल के गांधीनगर हॉस्पिटल में चल रहा था। अब अचानक से मरीज बढ़ने के बाद उन्हें पारस हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। लेकिन वहां भी बेड फुल हो चुके हैं।

10 बेड रखना था सभी को रिजर्व

कोविड 19 के कहर को देखते हुए सरकार ने सभी हॉस्पिटल्स को आदेश दिया था, जिसके तहत सभी को अपने हॉस्पिटल में 10-10 बेड कोरोना के मरीजों के लिए रिजर्व रखने को कहा गया था। अब हॉस्पिटलों में रिजर्व रखे गए इन बेड्स का इस्तेमाल हो सकेगा। जहां पर वेंटिलेटर के अलावा आईसीयू की भी सुविधा मरीजों को मिलेगी।

प्राइवेट हॉस्पिटल्स की फैसिलिटी

-वेंटिलेटर

-आईसीयू

-सेपरेट रूम

-अटैच्ड टॉयलेट

-क्लीन रूम

-प्राइवेसी

--

सरकार ने अबतक जिन हॉस्पिटल्स को भी ट्रीटमेंट के लिए लिया है उसे कोई सहयोग नहीं किया है। ऐसे में जो भी हॉस्पिटल मरीजों का इलाज करेंगे तो उनके चार्ज हैं। पेशेंट्स को ट्रीटमेंट के लिए जो चार्ज होगा, वो चुकाना होगा। अब सरकार कहेगी तो हमें पेशेंट्स का इलाज करना होगा।

-योगेश गंभीर, प्रेसिडेंट, झारखंड चैप्टर, एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर इंडिया