राजधानी में जन्माष्टमी की धूम, देर रात मंदिरों में गूंजे कान्हा के जयकारे

-श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर की पूजा-अर्चना, आज सूर्योदय के बाद होगा पारण

-वैष्णव संप्रदाय आज मनाएगा जन्मोत्सव, बालाजी मंदिर में होगा विशेष अनुष्ठान

रांची: भाद्र कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि सोमवार को हर्षोल्लास पूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनायी गई। भगवान विष्णु के कृष्ण रूप में धरती पर अवतरण की खुशियां मनायी गई। राजधानी के विभिन्न मंदिरों में कान्हा का झूला सजाया गया। सुबह से ही पूजा-अर्चना आरंभ हो गई। मध्य रात बजे रोहिणी नक्षत्र में कान्हा के जन्म का विधान पूरा किया गया। शंख और घंटे की ध्वनि और जयकारे के बीच आरती उतारी गई। माखन मिश्री का भोग लगाया गया। नन्हे कान्हा को झूला झुलाया गया। श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर अपने-अपने घरों में भी भगवान कृष्ण के बालरूप की पूजा की। रात्रि पूजा के बाद फलाहार किया। मंगलवार को सूर्योदय के बाद पारण होगा। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर लोअर चुटिया राधा बल्लभ मंदिर, बोड़ेया मदन मोहन मंदिर, चुटिया श्रीराम मंदिर, डोरंडा शिव मंदिर धर्मशाला पथ स्थित श्रीकृष्ण-राधा मंदिर, अग्रसेन पथ स्थित श्रीश्याम मंदिर, हरमू श्रीश्याम मंदिर, सेवा सदन स्थित लक्ष्मी-नारायण मंदिर सहित शहर के अन्य मंदिरों में देर रात तक भजन-कीर्तन चलता रहा। हालांकि, कोरोना संक्रमण के कारण भीड़-भाड़ नहीं दिखी।

वैष्णव संप्रदाय आज मनाएंगे

वैष्णव संप्रदाय के लोग मंगलवार को श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे। रातू रोड बालाजी मंदिर के व्यवस्था रंजन सिंह ने कहा कि वैष्णव परंपरा के अनुसार आज पूजा होगी। इस अवसर पर प्रात:काल भगवान वेंकटेश का अभिषेक किया जाएगा। शाम में सादगीपूर्वक जन्मोत्सव की पूजा होगी। पूजा के दौरान आम श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा। मंदिर के पुजारी ही समस्त पूजन संपन्न कराएंगे।

चांदी के झूले पर झुलाया

अग्रसेन पथ स्थित श्री श्याम मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव श्रद्धा व उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर लड्डू गोपाल को नवीन कलात्मक पोशाक पहना कर स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत किया गया। चांदी के झूले पर विराजमान कराकर मनमोहक श्रृंगार किया गया। मंदिर में रंग बिरंगी झालरों व बैलूनों से सजाया गया। हजारों भक्तों ने श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का ऑनलाइन दर्शन किया। मध्य रात्रि मंदिर के प्रधान आचार्य राजेश शर्मा ने शंख ध्वनि व ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनि के बीच भगवान की आरती की। लड्डू गोपाल को माखन, मिश्री, पेड़ा, पंजीरी व पंचामृत का भोग अर्पित किया गया।