रांची(ब्यूरो)। रांची में न्यू मेडिकल हब कांके बन रहा है। जी हां, पहले से टाटा का कैंसर हॉस्पिटल बड़े कैंपस में बनकर तैयार है। वहां मरीजों का इलाज भी होने लगा है। वहीं, भारत सरकार की ओर से सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्रि(सीआईपी) में 500 बेड का नया अस्पताल बनाने का प्रस्ताव रेडी है। सीसीएल की ओर से भी 100 बेड का अस्पताल कांके एरिया में बनाने की तैयारी है। और अब झारखंड सरकार भी अपना मेडिकल कॉलेज बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कैंपस में ही बनाने की ओर कदम बढ़ा चुकी है। जबकि देश भर में प्रसिद्ध रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकियाट्री एंड अलाइड साइंसेज(रिनपास)पहले से ही मौजूद है। इस तरह आने वाले समय में कांके का एरिया बड़ा मेडिकल हब के रूप में डेवलप हो जाएगा।

बीएयू में बनेगा न्यू मेडिकल कॉलेज

न्यू मेडिकल कॉलेज की सरकार की घोषणा के बाद रांची जिला प्रशासन ने कांके के बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की खाली पड़ी 140 एकड़ जमीन नए मेडिकल कॉलेज के लिए चिन्हित कर लिया है। जिला प्रशासन द्वारा जमीन चिन्हित करके सरकार को पत्र भी भेज दिया गया है। राजधानी के आसपास इतनी अधिक जमीन सिर्फ बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पास ही है। इसलिए इस जमीन में मेडिकल कॉलेज खुलने से इसका सही उपयोग हो सकेगा।

कुछ जमीन पर है एन्क्रोचमेंट

जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि नया मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए सरकार की ओर से जिला प्रशासन से जमीन चिन्हित करने को कहा गया था। जिला प्रशासन ने बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कैंपस में 140 एकड़ जमीन चिन्हित की है। हालांकि, इस जमीन के कुछ भाग में लोगों ने एन्क्रोचमेंट कर लिया है। इसकी जानकारी भी सरकार को दे दी गई है। कितनी जमीन पर अतिक्रमण किया गया है, इसका सर्वे करके रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

लोगों को रोजगार भी मिलेगा

बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की जमीन पर अतिक्रमण करने वाले लोगों का सर्वे करने के बाद उन्हें उनकी स्किल के अनुसार ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षण का जिम्मा झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसाइटी को दिया गया है। जेएसएलपीएस सर्वे के दौरान यह पता लगाएगा कि लोगों के पास क्या टेक्निकल अनुभव और स्किल है। जेएसएलपीएस प्रशिक्षण मिलने के बाद सभी लोगों को मेडिकल कॉलेज में नौकरी भी दी जाएगी।

रिम्स पर जरूरत से ज्यादा लोड

झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में बेड से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। यहां जमीन पर मरीज का इलाज करना पड़ता है। राज्यभर से आए मरीज बेड की कमी की वजह से रिम्स में जमीन पर इलाज करवाने को मजबूर रहते हैं। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर डायनेमिक बेड सिस्टम लागू करने की बात कही गई थी लेकिन वह भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। इस व्यवस्था के अंतर्गत जिस वार्ड में मरीज ज्यादा हैं, उस वार्ड के मरीज को वैसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है जिसमें मरीज कम हों। इसके बाद उस विभाग के डॉक्टर दूसरे वार्ड में जाकर मरीज का इलाज करेंगे।

मरीजों की संख्या बढ़ रही

जमीन पर मरीज का इलाज अत्यधिक मरीज होने की वजह से होता है। न्यूरो वार्ड में 200 मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था है लेकिन प्रतिदिन 200 से ज्यादा मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं, जिस वजह से बेड कम पड़ जाते हैं। समय-समय पर बेड की खरीदारी की जाती है लेकिन मरीजों की संख्या इतनी अधिक है कि नए बेड खरीदने के बाद भी कम पड़ रहे हैं।

रिम्स पर लोड कम होगा

कांके में नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बन जाने के बाद अभी रिम्स पर जो मरीजों का बोझ है, वह काफी कम हो जाएगा। राज्य के अलग-अलग शहरों से आने वाले मरीज रिम्स के अलावा इन अस्पतालों के बनने के बाद यहां भी ईलाज करा सकेंगे।