(रांची)। नगर निगम जमीन रिकॉड्र्स के डिजिटाइजेशन की कोशिश में लगा हुआ है। रांची शहर की 93 साल पुरानी जमीन के कागजात को डिजिटाइज्ड किया जाएगा। इसके लिए सर्विस प्रोवाइडर की तलाश की जा रही है। तीसरी बार इस काम के लिए ई- टेंडर नोटिस जारी किया गया है। सर्विस प्रोवाइडर को निगम के रिकॉर्ड रूम में उपलब्ध जमीन के पुराने रिकॉड्र्स की स्कैनिंग और डिजिटलाइजेशन का काम करना होगा। इसके अलावा रिकॉर्ड रूम की इंप्लीमेंटेशन का काम भी एजेंसी को करना होगा। डिजिटलाइजेशन के काम होने के बाद राजधानी रांची के नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों को उनकी जमीन से संबंधित तमाम जानकारियां ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएंगी।

खतियान के लिए खत्म होगी परेशानी

रांची नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अभी अगर खतियान लेना है तो नगर निगम का चक्कर लगाना पड़ता है। साथ में बाबू की चिरौरी भी करनी पड़ती है। इसके बावजूद समय पर खतियान मिलेगा या नहीं, इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती है। अब रांची नगर निगम इस समस्या का हल जल्द ही निकाल रहा है। नगर निगम की ओर से 93 वर्ष पहले किए गए इस सर्वे की जमीन के सारे रिकॉर्ड ऑनलाइन किए जाएंगे।

सभी 53 वार्ड की मिलेगी जानकारी

राजधानी रांची के म्यूनिसिपल एरिया में जमीन या घर के कागजात पहले से ही पता चल जाएंगे। जमीन किस नेचर की है, कितनी जमीन है, घर है या नहीं सहित तमाम जानकारियां एक क्लिक पर मिल जाएंगी। रांची नगर निगम द्वारा अपने सभी 53 वार्ड क्षेत्रों में जितनी भी म्यूनिसिपल सर्वे की जमीन है, उसका डिजिटलाइजेशन किया जाएगा।

1929 में हुआ था सर्वे

रांची नगर निगम द्वारा 93 वर्ष पहले म्यूनिसिपल सर्वे एमएस कराया गया था। अब निगम इस जमीन के सारे रिकॉर्ड ऑनलाइन करेगा, एमएस सर्वे वर्ष 1929 में हुआ था। डिजिटल मोड पर जमीन के रिकॉर्ड होने से लोगों को एमएस सर्वे का खतियान एक क्लिक पर मिलेगा। नगर निगम ने ई-रिकॉर्ड रूम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत म्यूनिसिपल सर्वे के बाद बने खतियान की स्कैनिंग की जाएगी और उसे डिजिटलाइज्ड किया जाएगा।

एजेंसी चयन में आई तेजी

जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल करने और उसकी स्कैनिंग के लिए सर्विस प्रोवाइडर की तलाश की जा रही है। निगम ने इसके लिए कंपनियों से तीसरी बार प्रस्ताव मांगा है। इसमें सफल होने वाली कंपनियों की फाइनेंशियल बिड खुलेगी। इसके बाद चयनित कंपनी म्यूनिसिपल सर्वे की सभी जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड करेगी।

एक महीने का समय लगता है

वर्तमान में खतियान लेने के लिए लोगों को 10 दिन से एक महीने तक इंतजार करना पड़ता है। अभी इसकी जानकारी लेने के लिए पहले आवेदन देना होता है। उसके बाद कार्यालय का चक्कर लगाते रहिए। इसके बाद लोगों को कागजात मिल पाते हैं। जमीन के रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से लोगों को बड़ी राहत होगी।

खतियान में भी हेराफेरी

म्यूनिसिपल सर्वे से बने खतियान की स्थिति वर्तमान में काफ खराब है। जिस कागज पर खतियान बनाया गया था, वह अब गलने लगा है। छूने से खतियान टुकड़ों में बंट जाता है। कई क्षेत्र की जमीन के खतियान रिकार्ड रूम से गायब हैं। निगम के रिकॉर्ड रूम में तैनात कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से कई क्षेत्र की जमीन के खतियान में हेरफेर की गई है। राजधानी बनने के बाद से रांची में जमीन की हेराफेरी खूब हो रही है। गलत कागजात तैयार करके जमीन बेची जा रही है। ईडी भी इस मामले की जांच कर रही है।

बिना खतियान नक्शा पास नहीं

आरएस प्लॉट से संबंधित जमीन की जानकारी लोगों को जरूरी है। किसी की प्रॉपर्टी खरीदनी हो या कोर्ट में या घर का नक्शा पास कराने में खतियान की प्रति मांगी जाती है। प्रति नहीं मिलने पर लोगों को काफी परेशानी होती है। रांची नगर निगम द्वारा घर का नक्शा पास कराने के लिए खतियान जरूरी है, इसके बिना नक्शा पास नहीं किया जाता है। बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके पास जमीन है लेकिन खतियान उनको नहीं मिल पाता है क्योंकि निगम के कार्यालय से या तो गायब हो चुका है या सड़ गल गया है। ऐसे में सभी कागजात रहने के बाद भी उनका नक्शा पास नहीं हो पाता है क्योंकि उनके पास आरएस खतियान उपलब्ध नहीं है।

दस साल पर होना है सर्वे

1929 के सर्वे के बाद नगर निगम क्षेत्र का नक्शा बदल गया और जमीन का नेचर भी। समय के साथ शहर का फैलाव हो गया। इसके बावजूद इतने वर्षों में नए सिरे से जमीन का सर्वे नहीं हुआ, जबकि हर 10 वर्ष के अंतराल पर जमीन का सर्वे करने का प्रावधान है।