रांची(ब्यूरो)। धुर्वा में बन रहे लाइट हाउस प्रोजेक्ट को लेकर लाभुक परेशान हैं। दरअसल लाभुक दोहरीमार झेल रहे हैं। लाभुकों को घर तो मिला नहीं अब बैंक का किस्त भी देना पड़ रहा है। लाभुकों का कहना है कि आवास का आवंटन अब तक नहीं हुआ है। इधर, बैंक का किस्त देने के साथ-साथ घर का किराया भी देना पड़ रहा है। किराया व किस्त में ही पूरा पैसा चला जा रहा है। बीते वर्ष ही प्रोजेक्ट का काम पूरा होना था, लेकिन अबतक प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है। लगातार निगम का चक्कर लगाने पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हालत यह हो गई है कि 100 से अधिक लाभुकों ने निगम में घर सरेंडर करने के लिए आवेदन दे दिया है। पैसों की तंगी के कारण लोगों ने आवास सरेंडर करने के लिए आवेदन दिया है। लाभुकों का कहना है कि गरीब लोगों के लिए बनाया जा रहा आवास महंगा हो गया है। इसके साथ ही प्रोजेक्ट की गुणवत्ता को लेकर भी संशय है।
नगर निगम की वसूली चालू
लाभुकों को अब तक घर नहीं मिला है लेकिन नगर निगम ने होङ्क्षल्डग टैक्स वसूलना शुरू कर दिया है। लाभुकों से होङ्क्षल्डग टैक्स के अलावा दो हजार का फाइन भी लिया जा रहा है। इससे भी लाभुक परेशान हैं। लाभुकों का कहना है कि पहले से होङ्क्षल्डग का पैसा लिया जा रहा है जबकि ऐसी कोई सूचना तब नहीं दी गई थी। अगर सूचना मिलती तो पहले ही होङ्क्षल्डग टैक्स का भुगतान कर देते। इसके अलावा बिजली कनेक्शन के लिए 4200 व रजिस्ट्री के लिए एडवोकेट चार्ज 5 हजार लिया जा रहा है। इन सबका भुगतान करने में लाभुकों के पसीने छूट रहे हैं। इसके अलावा लगभग 300 लाभुकों को अबतक बैंक से लोन नहीं मिल पाया है। लोन न मिलने से लाभुक परेशान हैं।
1008 रेसिडेंशियल यूनिट
लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत रांची में 315-315 वर्गफीट की कुल 1008 आवासीय इकाइयों का निर्माण कार्य चल रहा है। प्रोजेक्ट के तहत नई तकनीक का इस्तेमाल कर कम लागत में टिकाऊ और आपदारोधी मकान तैयार करने की योजना है। प्रोजेक्ट के तहत हर आवासीय इकाई पर करीब 13 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं। प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार प्रति आवास 5.5 लाख रुपये की सहायता प्रदान कर रही है, जबकि राज्य का हिस्सा प्रति आवास एक लाख रुपये ही है। लागत की शेष राशि लगभग सात लाख रुपये लाभुक से ली जा रही है।
क्या कहते हैं आवेदक
आवास आवंटन के बाद भी घर नहीं मिला है। बैंक का किस्त व घर का किराया एक साथ देने से बहुत परेशानी हो रही है। होङ्क्षल्डग टैक्स को लेकर भी दो हजार का फाइन लिया जा रहा है।
संजय रत्न

नगर निगम होङ्क्षल्डग के नाम पर दो माह का फाइन वसूल रहा है। पहले इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। अब पैसे देने को कहा जा रहा है। मजबूरन लोग आवास सरेंडर कर रहे हैं।
कृष्णा प्रसाद

गरीबों के लिए बनाए जा रहे आवास बहुत महंगे पड़ रहे हैं। घर का किराया के साथ-साथ बैंक का किस्त देने में आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। अब तक प्रोजेक्ट का काम भी पूरा नहीं हो पाया है। इन सबके कारण लाभुक आवास सरेंडर कर रहे हैं।
सुधीर तिवारी