रांची(ब्यूरो)। राजनीति में कई मुद्दे होते हैं, जिसके लिए एक आम नागरिक नेता का चयन करता है। एक उम्मीद और भरोसे से लोग वोट देते हैं। आने वाले इलेक्शन में यूथ की अहम भागीदारी बिना किसी के बहकावे में और लोभ-लालच में आए यूथ अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे। ये बातें दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा आयोजित राजनी-टी परिचर्चा में सिटी के यूथ ने कहीं। राजनी-टी का आयोजन सेंट जेवियर्स कॉलेज में किया गया, जिसमें मॉस कम्यूनिकेशन के स्टूडेंट्स ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। युवाओं ने कहा कि चुनाव में वोट देने के लिए पार्टी भी अहम भूमिका निभाती है। किसी पार्टी के तहत कोई उम्मीदार चुनाव लड़ रहा है, यह देखना जरूरी है। क्योंकि मेनिफेस्टो पार्टी का होता है, और उसे पूरा चुनकर आने वाले लीडर करते हैं। इसलिए वोट देने से पहले कैंडिडेट्स के अलावा उसका सिंबल भी जरूर देखना चाहिए। इसके अलावा पिछले कामों का आकलन भी जरूरी है। कोशिश यही रहनी चाहिए। साफ-सुथरी छवि वाले, ईमानदार और क्लियर विजन वाले व्यक्ति ही चुन कर आएं।
मजबूत सरकार जरूरी
राम मंदिर को लेकर भी युवाओं के अलग-अलग विचार सामने आए हैं। कोई इसे काफी ज्यादा अहमियत देता दिखा तो किसी ने इसे चुनावी मुद्दा मानने से इन्कार कर दिया। यूथ ने कहा कि राम मंदिर एक धार्मिक मुद्दा भले हो सकता है। लेकिन इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया जा सकता है। राम मंदिर के अलावा देश में कई सीरियस टॉपिक हैं। गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा जैसे मुददे आज भी देश की समस्या हैं। इसे दूर करने के बारे में सोचना चाहिए। मंदिर-मस्जिद अपनी जगह ठीक हैं, लेकिन इससे नौजवानों को रोजगार नहीं मिल सकता है। रोजगार के लिए एक मजबूत सरकार का आना जरूरी है। जो इच्छा शक्ति के साथ युवाओं के हित में काम करे।
क्या कहते हैं यूथ
ऑनलाइन वोटिंग के बारे में सोचना अभी जल्दबाजी है। चुनाव जैसे मामले में ऑनलाइन पद्धति अपनाना सही नहीं होगा। क्योंकि जिस तरह टेक्नोलॉजी का विस्तार हुआ है, उससे जहां इसके पॉजिटिव पहलू तो देखे जा सकते हैं, लेकिन इसके दुष्परिणाम को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज सबसे ज्यादा अपराध साइबर फ्राड में हो रहे हैं। इसलिए ऑनलाइन वोटिंग होने से साइबर अपराधी इलेक्शन को प्रभावित कर सकते हैं।
-सुमित कुमार

परिवारवाद अब खत्म होना चाहिए। ये जरूरी नहीं कि परिवार का बेटा, या कोई सदस्य है तो उसमें टैलेंट होगा ही। वह राजनीति में रुचि रखता ही हो। दूसरे लोग जो इसके वास्तविक हकदार हैं उन्हें मौका मिलना चाहिए। चुनाव में जो पार्टी परिवारवाद को बढ़ावा देती है, उनसे दूर रहने में ही फायदा है। मेरा वोट देश और समाज के विकास के लिए होगा। इसलिए मैं सोच-समझ कर अपने वोट का इस्तेमाल करूंगा। कई लोग चुनावी मैदान में आ जाते हैं जिन्हें कोई अनुभव भी नहीं होता, वे लोग उम्मीदवार बन जाते हैं। इसलिए हमें अपने वोट का प्रयोग करने से पहले कैंडिडेट की छानबीन करनी चाहिए।
-अंश अरोड़ा

महिलाओं के लिए फिलहाल जो कानून बने हैं, उसमें और सुधार की जरूरत है। आजाद देश में महिलाएं आज भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। महिलाओं के प्रति होने वाले गंभीर अपराध के लिए सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अपराधी को सजा देने में काफी वक्त निकल जाता है, जिससे आराम से रहता है। यही वजह है कि महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय कम नहीं हो रहे हैं। अपराधियों को कम समय में कठोर सजा दी जाए तो यह एक मिशाल होगा, और दूसरे अपराधियों के मन में कानून के प्रति डर भी होगा।
-आंचल

यूनिफार्म सिविल कोड देश हित में है। इस निर्णय को जल्द से जल्द लागू होना चाहिए। यूसीसी के लागू होने से सभी धर्म-संप्रदाय के लोगों के लिए एक कानून होगा। जिससे सभी के प्रति एकसमान न्याय हो सकेगा। आज जातिगत जनगणना कराने की बात चल रही है। कुछ राज्यों ने यह करवाया है। एक ओर तो हम एक देश एक कानून की बात करते हैं। दूसरी और जातिगत जनगणना कराकर खुद ही देश को जात-पात में बांट रहे हैं। यह गलत है ऐसा नहीं होना चाहिए। राजनीति में परिवार वाद की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
- तौकिर

शादी की उम्र 18 साल निर्धारित है, जो गलत है। इस उम्र्र तक एक लड़की में सोचने समझने की शक्ति नहीं होती है। लड़की अपना अच्छा-बुरा भी नहीं सोच सकती है। सबसे जरूरी इस उम्र तक किसी भी लड़की की स्टडी भी पूरी नहीं हो पाती है। इसलिए इसे बढ़ाकर 21 साल कर देना चाहिए। आज भी देश में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। आने वाली सरकार से उम्मीद होगी कि वह युवाओं के लिए रोजगार के अवसर लाएगी। इसी भरोसे के साथ मैं वोट दूंगी।
- वंदना कुमारी

एजुकेशन पॉलिसी में सुधार करनी चाहिए। दूसरे देश की एजुकेशन पॉलिसी हर तीन महीने में अपडेट होती हैं। लेकिन हमारे यहां एक बार नीति बन गई सो बन गई। क्वालिटी एजुकेशन की ओर सरकारी को ध्यान देना चाहिए। युवा को अच्छी शिक्षा और फिर नौकरी इसी से मतलब है। आज कई विदेशी भारत आ रहे हैं, यह एक अच्छी पहल है। उन्हें अपने देश में जगह मिलनी चाहिए। इससे स्टूडेंट को स्टडी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन अपने देश का एजुकेशन सिस्टम जो काफी स्लो है, इसे भी ठीक करना जरूरी है।
-आयुष गुरुंग

राम मंदिर एक अति गंभीर मुद्दा है। सैकड़ों साल से जिसका इंतजार था, वह सपना पूरा हुआ है। न जाने कितने ही लोगों ने प्राणों की आहूति दी तब जाकर इस मंदिर का निर्माण संभव हो पाया है। लोकसभा और विधानसभा दोनों इलेक्शन में यह एक अहम मुद्दा होगा। सिर्फ राम मंदिर ही नहीं देश में और भी कई इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के काम हुए हैं और हो रहे हैं। काम के आकलन पर ही अपना नेता चुनेंगे।
- यश कुमार

किसी भी इलेक्शन में शिक्षा, रोजगार और चिकित्सा सबसे प्रमुख मुद्दे होते हैं। इन मुद्दों के साथ राजनीतिक पार्टियां चुनावी मैदान में आती हैं। आम नागरिक भी इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए वोट करते हैं। लेकिन हर बार लोग खुद को ठगा सा महसूस करते हैं। आज भले ही विकास के कई काम हुए हैं। लेकिन शिक्षा और बेरोजगारी आज भी समस्या बनी हुई है। इसके अलावा महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। आने वाली सरकार से उम्मीद है रोजगार देने और महंगाई कम करने की दिशा में काम करेगी।
- अंकुर सिंह

वोट फोर बेस्ट
सिर्फ खानापूर्ति के लिए वोट न करें। समाज में सुधार के दृष्टिकोण से वोटिंग राइट का इस्तेमाल करना चाहिए। अपने वोट से बेहतर से बेहतर लीडर चुनने की सोच होनी चाहिए। बेहतर नेता ही देश और समाज का भला कर सकता है। वोट फोर बेस्ट के लिए ही वोट का इस्तेमाल करना चाहिए। वोट देने से पहले उम्मीदवार और उसकी पार्टी की पड़ताल जरूरी है। बीते कार्यकाल में किए गए काम की समीक्षा, मेनिफेस्टो के आधार पर ही वोट का इस्तेमाल करें।
- अंश अरोड़ा

मेरा मुद्दा
-बेरोजगारी दूर हो। रोजगार के अवसर मिलें।
-गरीबी मुक्त राष्ट्र का निर्माण हो। आर्थिक स्थिति सुधारें।
-क्वालिटी एजुकेशन मिले। पलायन न करना पड़े।
-राम मंदिर भी इलेक्शन में मुद्दा होगा। सदियों बाद मंदिर बना है।
-लोगों को बेहतर मेडिकल फैसिलिटी मिले। इलाज की समुचित व्यवस्था हो।