रांची(ब्यूरो)। फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट की सेहत भी ठीक नहीं है। यहां हमेशा से मैन पॉवर की समस्या बनी रही है। इसके अलावा मशीनरी के मामले में भी विभाग कुछ खास अपडेट नहीं है। न तो अत्याधुनिक मशीनें हैं और न ही हाइड्रोलिक फायर सेफ्टी व्हीकल्स। अग्निशमन विभाग में व्याप्त खामियों को कई बार सामने लाया गया है, लेकिन इसके सुधार में कभी खास पहल नहीं की गई। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ मुद्दे उठाए गए फिर ठंडे बस्ते में डाला दिया जाता है। इसका नतीजा है कि सिटी में कहीं आगजनी होने पर कभी समय पर वाहन नहीं पहुंचा तो कभी बिना पानी के ही व्हीकल्स आग बुझाने निकल पड़ते हैं। इससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जहां कम नुकसान होने को होता है, वहां भी विभाग की कमी के कारण नुकसान का दायरा बढ़ जाता है।

आधे से भी कम मैनपावर

ठंड के मौसम में अक्सर आग लगने की शिकायत आती रहती है। शहर में आगजनी की घटनाएं भी बढ़ जाती है। रांची के डोरंडा स्थित अग्निशमन विभाग की ओर से खाली पड़े पदों के लिए कई बार सरकार को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन अभी तक रिक्तियों को भरा नहीं जा सका है। मतलब साफ है कि मैन पावर के जुगाड़ तंत्र के भरोसे झारखंड राज्य का अग्निशमन विभाग चल रहा है। फायर डिपार्टमेंट में कुल 875 पद सृजित हैं, जबकि विभाग 433 पदाधिकारियों और कर्मचारियों से ही काम चला रहा है। यानी विभाग के पास वर्तमान में आधे से ज्यादा यानी 442 कर्मचारियों की कमी है। हालांकि कांट्रैक्ट पर कर्मचारी बहाल करने का निर्णय लिया गया है। राज्य अग्निशमन पदाधिकारी, अपर राज्य अग्निशमन पदाधिकारी, प्रमंडलीय अग्निशमन पदाधिकारी, सहायक प्रमंडलीय अग्निशमन पदाधिकारी के पद भी संविदा पर ही भरे जाएंगे। ये सभी प्रोन्नति से भरे जाने वाले पद हैं। इनमें सीधी बहाली का प्रावधान नहीं है।

तीन दशक से बहाली नहीं

अग्निशमन विभाग में 1989 के बाद से अब तक बहाली नहीं हो सकी है। करीब 34 वर्ष से कोई बहाली नहीं होने से इन पदों पर प्रोन्नति के लायक विभाग में कोई पदाधिकारी ही नहीं बचा है। कर्मचारी एक-एक कर रिटायर होते चले गए। आज आधे से भी कम मैनपावर के साथ यह विभाग काम कर रहा है। बता दें कि स्टेट फायर ऑफिसर के पद पर एएसआई स्तर का पदाधिकारी काबिज है, जबकि इस पद पर कुछ राज्यों में डीआईजी स्तर के पदाधिकारी तैनात हैं। इन्हीं कारणों के चलते इन सभी पदों पर संविदा पर बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखी जाएगी, जब तक इस पद पर प्रोन्नत होने लायक पदाधिकारी स्थाई रूप से तैयार नहीं हो जाते हैं। अन्य पदों पर स्थाई बहाली की प्रक्रिया भी शुरू होने वाली है।

बड़ी संख्या में खाली हैं पद

झारखंड में राज्य अग्निशमन पदाधिकारी का एक, अपर राज्य अग्निशमन पदाधिकारी का दो, प्रमंडलीय अग्निशमन पदाधिकारी का छह, सहायक अग्निशमन पदाधिकारी का 12 पद सृजित है। राज्य अग्निशमन पदाधिकारी का पद प्रभार में चल रहा है, जिसपर वर्तमान में एक एएसआई स्तर के पदाधिकारी हैं। इसके अतिरिक्त सभी पद वर्तमान में रिक्त पड़े हुए हैं। झारखंड अग्निशमन विभाग के पास आधारभूत संरचना की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन संसाधनों के एक्सपर्ट की कमी है, जो उपलब्ध मैन पावर हैं वो एग्जिस्टिंग सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं।

स्टेट में है 35 फायर स्टेशन, रांची में 5

झारखंड में कुल 35 फायर स्टेशन हैं, जिसमें रांची में पांच अलग-अलग स्थान पर पांच स्टेशन शामिल हैं। जहां वाटर टेंडर, वॉटर वॉयजर, होम वाटर टेंडर, मिनी वाटर टेंडर, इमरजेंसी रेस्क्यू टेंडर, ब्रांडों स्काई लिफ्ट जैसे वाहनों के जरिए आग पर काबू पाया जाता है, लेकिन इन सभी जगहों पर कर्मचारियों की भारी कमी है। शहर में ऊंची इमारतों के बनने से यह परेशानी और बढ़ गई है। शहर में कई जगह गली-मोहल्लों में बड़े-बड़े अपार्टमेंट खड़े हो गए हैं। अगर कहीं आग लगने जैसी घटना होती है तो वहां फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों को घुसने तक में परेशानी होती है। विभाग के पास वैसे उपकरण नहीं हैं, जिससे 15 से अधिक मंजिली इमारतों तक पहुंचा जा सके। दूसरी ओर अन्य महानगरों में आधुनिक अग्निशमन उपकरण से लैस होता है विभाग। लेकिन अपने शहर में सरकार का ध्यान शायद इस ओर नहीं गया है।