रांची(ब्यूरो)। यदि आप राजधानी रांची के सब्जी बाजारों से सब्जी की खरीदारी कर रहे हैं तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि सब्जी की जगह आप बीमारी खरीद कर घर ले आएं। दरअसल सिटी के सब्जी बाजारों में सब्जियों को रंग कर बेचने का मामला सामने आया है। राजधानी के सबसे प्रमुख सब्जी बाजार नागा बाबा खटाल से ऐसी शिकायतें सामने आई हैं। सिर्फ शिकायत ही नहीं, बल्कि इससे संबंधित एक वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है, जिसमें महिला सब्जी विक्रेता सब्जी को रंगती हुई नजर आ रही है। लोगों ने इससे जुड़़ी शिकायत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी की है। इसके बाद आम पब्लिक भी अलर्ट हो गई है। लेकिन सब्जी विक्रेताओं द्वारा इस तरह से केमिकल मिलाकर सब्जियों की बिक्री करना कहीं न कहीं बीमारी परोसने जैसा है।

केमिकल का भी इस्तेमाल

यह कहानी किसी एक मार्केट की नहीं, बल्कि सभी सब्जी बाजार में ऐसा खेल चल रहा है। सब्जी विक्रेता सब्जी को ताजा दिखाने के लिए इस प्रकार के गलत काम करते हैं। सिर्फ रंग ही नहीं, बल्कि सब्जियों को फ्रेश रखने के लिए सब्जी विक्रेता केमिकल का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सेहत के लिए काफी खतरनाक हो सकता है। आप अनजाने में हरी-हरी और ताजा दिखने वाली सब्जियों के साथ जहर भी खरीद रहे हैं। जैसे ही सब्जियों का रंग फीका पड़ता है, दुकानदार उसे रंगों में डुबोकर फिर से ताजा कर देता है। ऐसी सब्जियां सेहत के लिए काफी नुकसानदेह हैं।

हरी सब्जियों में मिलावट

नागा बाबा खटाल सब्जी मार्केट से पहले मोरहाबादी सब्जी मंडी और लाहकोठी सब्जी मार्केट से भी सब्जी में केमिकल मिलाने का गंभीर मामला सामने आ चुका है। इससे जुड़ा वीडियो भी वायरल हो चुका है। यही नहीं खादगढ़ा, लालपुर एवं दूसरे बाजारों में भी कुछ विक्रेता ऐसे ही गलत काम को अंजाम दे रहे हैं। कुछ पैसे कमाने की चाहत में आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। खेकसा, करेला, परवल, भिंडी, नेनुआ आदि सब्जियों में रंग मिला कर इसे ताजा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। दुकानदार बाल्टी में केमिकल युक्त रंग मिला कर रखते हैं। किसी भी हरी सब्जी को सिर्फ इसमें एक बार डूबाकर निकाल देना होता है। सब्जी पहले जैसी ताजी हो जाती है। लोग भी आसानी से धोखे में फंस जाते हैं।

रंग चढ़ते ही बढ़ रहा भाव

वैसी सब्जियां जो फीकी पड़ जाती हैं, जो फेंकने लायक हो जाती हैं उन्हें भी केमिकल और रंग डाल कर फिर से फ्रेश कर लिया जाता है। बासी सब्जियों पर रंग चढ़ते ही उसका भाव बढ़ जाता है। जिसे कोई 20 रुपए केजी के भाव से खरीदना पसंद नहीं करता, वही 50 रुपए के भाव में बिक जाती है। हरी-हरी सब्जियां देखकर किसी भी व्यक्ति का मन उसे खरीदने का हो जाता है। सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए जिस रंग का प्रयोग होता है, उसमें कॉपर सल्फेट मिला होता है, जिसके शरीर में अधिक मात्रा में जाने से जान भी जा सकती है। सिर्फ ऐसा नहीं है कि सब्जियों को ही रंग कर ताजा दिखाने का प्रयास हो रहा है। बल्कि फलों के साथ भी ऐसी ही स्थिति है। फलों के सबसे पहले पकने के लिए उसमें रासायन मिलाया जाता है। इसके बाद फ्रेश और चमक दिखाने के लिए भी इसमें केमिकल मिलाए जाते हैं।

हो सकती है गंभीर बीमारी

रिम्स के डॉ विकास कुमार बताते है कि रंगी हुई हरी सब्जियां खाने से डायरिया, उल्टी, चक्कर और पेट की कई बीमारियां हो सकती हैं। केमिकल युक्त सब्जी खाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। कुछ दुकानदार सब्जियों का वजन बढ़ाने के लिए उसमें ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन भी लगा देते हैं। सब्जी कारोबारी वजन बढ़ाने और अधिक पैसा कमाने के लालच में प्रतिबंधित ऑक्सीटॉसिन का इंजेक्शन लगा कर सब्जी को रातों रात बड़ा और वजनी बना देते हैं। इससे इनका वजन बढ़ जाता है। यह सेहत के लिए नुकसानदेह है।

नहीं होती कभी जांच

रांची की सब्जी मंडियों में मिलावटखोर इसलिए भी हावी हैं कि यहां कोई जांच नहीं होती है। रांची में फूड लेबोरेट्री जो जरूर है, लेकिन वह किसी काम का नहीं है। सिस्टम की खामियों ने इसे अपंग बना दिया है। यहां मशीन तो एक से बढ़कर एक लगा दी गई है। लेकिन फूड टेस्ट करने वाले कर्मचारी ही नहीं हैं। जिस वजह से रांची के बाजारों में बिकने वाली खाने-पीने की चीजों की कभी जांच नहीं होती। खासकर सब्जी और फल मंडी तक लैब की टीम पहुंच ही नहीं पाती। जबकि हाईकोर्ट ने ही खाने-पीने की चीजों में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दे रखा है। फिर भी कहीं इसका पालन नहीं हो रहा है।