RANCHI : संत मदर टेरेसा के काम ने दुनिया को प्रभावित किया। उनके कार्यो से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। ये बातें कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहीं। वह सोमवार को डोरंडा स्थित ऑल सेंट्स चर्च में आयोजित धन्यवादी मिस्सा समारोह में बोल रहे थे। मदर टेरेसा को संत घोषित करने के उपलक्ष्य में मिशनरीज चैरिटी ऑफ सिस्टर्स की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मौके पर कार्डिनल ने कहा कि जो गरीब और दुखियों से प्रेम नहीं करता है, वो ईश्वर को नहीं जान सकता है। क्योंकि ईश्वर ही प्रेम है। उपवास का अर्थ है कि तुम भूखों के साथ अपनी रोटी बांटो। ईश्वर नहीं चाहता है कि हम सभी फलप्रद बनें। कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो कार्यक्रम के मुख्य अनुष्ठाता थे। उनके साथ फादर जस्टिन, फादर हेनरी, मिशनरीज चैरिटी ऑफ सिस्टर्स की सुपीरियर सिस्टर सेबेस्टीनो, सिस्टर यूजिनियास सहित तमाम धर्मबहनें, पुरोहित, ब्रदर और तमाम ºीस्तीय विश्वासी मौजूद थे।

डोरंडा चर्च में कैथोलिक धर्म की बुनियाद

कैथोलिक चर्च के रूप में ऑल सेंट्स चर्च डोरंडा का महत्वपूर्ण स्थान है। छोटानागपुर इलाके में कैथोलिक धर्म की बुनियाद रखने वाले फादर कांस्टेंट लीवंस की शुरुआत इसी चर्च से हुई थी। यहीं से विस्तारित होकर सभी क्षेत्रों में कैथोलिक धर्म का प्रचार हुआ था। मदर टेरेसा की ओर से स्थापित मिशनरीज चैरिटी ऑफ सिस्टर्स की विश्व की दूसरी शाखा यहीं पर खुली थी। मिशनरीज चैरिटी ऑफ सिस्टर्स विश्व के 133 देशों में फैला है। कोलकाता में सेंटर खोलने के बाद मदर टेरेसा ने रांची को रीजनल सेंटर बनाया था। मदर टेरेसा रांची में ही रहकर सेवा का प्रसार करना चाहती थीं, लेकिन मिशन कार्य से उन्हें कोलकाता जाना पड़ा था। मदर टेरेसा की उत्तराधिकारी सिस्टर निर्मला का लालन पालन भी यहीं हुआ था।

रांची में छह शाखाएं

रांची में मिशनरीज चैरिटी ऑफ सिस्टर्स की छह शाखाएं हैं। ईस्टर जेल रोड में निर्मल ह्रदय, हीनू में निर्मल शिशु आश्रम, इटकी रोड में राधा रानी कुष्ठ केंद्र, रीजनल हाउस डोरंडा, मिशनरीज ऑफ चैरिटी ब्रदर्स हरमू और कंटप्लेटिव सिस्टर्स डिबडीह में संचालित हो रहा है।