RANCHI: रांची नगर निगम मच्छर मारने के लिए हर महीने एक लाख का डीजल जला रहा है। इसके बावजूद सिटी में मच्छर लोगों को डंक मार रहे हैं। अब तो बारिश भी सिर पर है और फागिंग के नाम पर केवल आईवाश चल रहा है। अगर यही स्थिति रही तो इस बार शहर में डेंगू-मलेरिया के मरीजों की लंबी लाइन लग जाएगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब शहर में फॉगिंग ही नहीं हो रही है तो किसकी मिलीभगत से डीजल का खेल चल रहा है।

फॉगिंग वाली गाडि़यां गायब

हर दिन स्टोर से 40 लीटर डीजल फॉगिंग करने वाली गाडि़यों को दिया जाता है। ये लोग फागिंग के लिए निकलते भी हैं। लेकिन कुछ मोहल्लों में फागिंग करने के बाद ये लोग कहां गायब हो जाते हैं, कोई नहीं जानता। इसके बाद गाडि़यों को वापस लाकर बकरी बाजार स्टोर में खड़ा कर दिया जाता है। फिर अगले दिन भी यही प्रक्रिया दोहराई जाती है। लेकिन मच्छरों का आतंक कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है।

15 गाडि़यों में दो अक्सर खराब

निगम के पास फागिंग के लिए 15 गाडि़यां है। जिसमें से दो गाडि़यां अक्सर खराब ही रहती हैं। वहीं बाकी बची 13 गाडि़यों में दो गाडि़यां वीआइपी इलाकों के लिए रिजर्व रहती हैं। ऐसे में फागिंग का रोस्टर भी कवर नहीं होता और हर दिन डीजल खर्च दिखा दिया जाता है।

क्या कहते हैं वार्ड पार्षद

हफ्ते में एक दिन फागिंग के लिए गाड़ी आती है। वह भी कुछेक मोहल्लों में फागिंग करके चली जाती है। फागिंग के नाम पर केवल दिखावा है। गाड़ी जब चलती ही नहीं तो डीजल कहां जाता है। आखिर कौन है जो डीजल का खर्च अपनी जेब में भर रहा है। बोर्ड में भी यह मामला उठाया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

-अर्जुन यादव, पार्षद, वार्ड-10

फागिंग के लिए अगर गाडि़यां आती तो मच्छरों का आतंक खत्म हो जाता। लेकिन गाडि़यां तो नजर ही नहीं आती है। कभी अपने एरिया के लोगों को भेजते हैं तो फॉागिंग होती है। लेकिन हर बार किसी को भेजना मुश्किल है। ऐसे में वे लोग क्या करते है पता नहीं। बोर्ड में मामला उठाने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है।

-जेरमिन टोप्पो, पार्षद, वार्ड-15