रांची (ब्यूरो) : कभी यहां एडमिट मरीजों की सुरक्षा में लापरवाही नजर आती है, तो कभी रिम्स के चिकित्सक ही खुद को असुरक्षित बताते हंै। सबसे गंभीर मामला रिम्स के कैदी वार्ड का है। जिन कैदियों को पुलिस एड़ी-चोटी एक कर पकड़ती है, उन कैदियों पर नजर रखने के मामले में भी रिम्स लापरवाह नजर आता है। तभी तो जिस स्थान पर सीसीटीवी जैसे उपकरण की सबसे ज्यादा जरूरत है, उसी स्थान पर रिम्स और प्रशासन की ओर से अबतक कैमरा नहीं लगाया गया है। इस वजह से यहां से भागने वाले कैदियों का कोई फुटेज पुलिस के पास नहीं होता। रिम्स के कैदी वार्ड के आस-पास अबतक सीसीटीवी कैमरा इंस्टाल किया गया है। इसका सीधा फायदा यहां इलाज के लिए आने वाले कैदी उठाते हैं। कई बार रिम्स के कैदी वार्ड या इलाज कराते हुए कैदी के रिम्स से फरार होने की घटना घटी है, लेकिन इसके बावजूद न तो रिम्स एडमिनिस्ट्रेशन और न ही जिला प्रशासन इससे सबक ले रहा है।

बढ़ी मरीजों की कैपिसिटी

रिम्स में दिनोंदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। कुछ साल पहले तक जहां इसकी क्षमता 1500 मरीजों की ही थी। वहीं आज रिम्स में 2000 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं। इसके अलावा ओपीडी में हर दिन सैकड़ों मरीज इलाज कराने आते हैैं। समय के साथ काफी कुछ बदला है, लेकिन आज भी सुरक्षा को लेकर रिम्स में कुछ इंतजाम नजर नहीं आता। सुरक्षा के नाम पर यहां आउटसोर्सिंग कर दिया गया है, जिसके कर्मचारी खुद ही मरीज और परिजनों से ठगी में व्यस्त रहते हैं। वहीं हॉस्पिटल में एक थाना है, जहां सिपाही तो बैठते हैं, लेकिन बाहर निकल कर निगरानी करने की जहमत नहीं उठाते। कई स्थानों पर अब भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। उसमे रिम्स का कैदी वार्ड भी शामिल है। जिन स्थानों में कैमरे लगे हैं, उनमें आधे से अधिक खराब हैं। जानकारी के मुताबिक रिम्स परिसर मेें करीब 150 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैैं, जिनमें सौ से अधिक खराब हैं। इनकी रिपेयरिंग भी नहीं कराई जा रही है।

हैैं कई खामियां

रिम्स में किसी प्रकार की अनहोनी होने या किसी मामले से निबटने के लिए थाना बनाया गया है। जहां हर दिन मोबाइल चोरी से लेकर दूसरे मामले दर्ज कराए जाते हंै। राज्य में कहीं भी किसी के पकड़े जाने पर उसका मेडिकल कराने के लिए रिम्स लाया जाता है। इलाज में विलंब होने या दूसरे कारणों से कभी-कभी कैदी को रिम्स में ही रखना पड़ जाता है। इसके लिए ग्राउंड फ्लोर पर कैदी वार्ड बनाया गया है। लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से अब भी यहां कई कमियां हैं। डीजे आईनेक्स्ट ने पहले भी कैदी वार्ड का रियलिटी चेक किया था। उस समय कैदी वार्ड के दरवाजे खुले हुए पाए गए थे। साथ ही सुरक्षा प्रहरी कार्ड खेलने में बिजी थे। अब भी सुरक्षा पर कोई खास ध्यान यहां नहीं दिया जा रहा है।

भाग चुके हैं एक दर्जन कैदी

रिम्स में वर्ष 2016 से अबतक करीब एक दर्जन कैदी भागने में सफल रहे हंै। कुछ को दोबारा पकड़ा गया है। बीते महीने इसी वार्ड से दो कैदी भाग गए थे, जिन्हें दोबारा नहीं पकड़ा गया है। दोनों कैदियों ने पहले बाथरूम की ग्रिल तोड़ी और वहां से भाग गए। रिम्स की खिड़कियां काफी पुरानी हो चुकी हैं। इनमें जंग लग गया है। खिड़कियों के जंग और खराब पड़े सीसीटीवी कैमरे कैदियों को भागने मेें काफी मदद करते हैं।

रिम्स से कब-कब भागे कैदी

18 अक्टूबर 2022

बाथरूम का ग्रिल काट कर अमित उरांव और मसरुर आलम फरार हुआ था। अमित उरांव उग्रवादी है। गुमला जेल से इलाज के लिए रिम्स कैदी वार्ड में भर्ती कराया गया था।

28 अप्रैल 2022

हजारीबाग के पेलावन थाने से पेट दर्द की शिकायत के बाद रिम्स इलाज के लिए लाया गया कैदी बाथरूम जाने के बहाने हआ था फरार।

20 सितंबर 2021

रिम्स के मेडिसीन आईसीयू कैदी वार्ड से कुख्यात कैदी कृष्णा मोहन झा उर्फ अभय, उर्फ धनंजय उर्फ काली झा भागा था।

फरवरी 2020

दुमका जेल से मर्डर के आरोपी को इलाज के लिए रिम्स लाया गया था। मौका देखकर हथकड़ी समेत कैदी हुआ था फरार।

अक्टूबर 2019

रिम्स मेडिसीन आईसीयू से ही कैदी हुआ था फरार।

मई 2018

मर्डर केस के आरोपी बुधराम उरांव रिम्स से पुलिसकर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया था।

जनवरी 2018

रिम्स में इलाजरत पिंटू नामक कैदी खिडक़ी तोडक़र हुआ था फरार।

रिम्स के कैदी वार्ड और उसके इर्ग-गिर्द सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही यहां सीसीटीवी कैमरा लगवा दिया जाएगा।

किशोर कौशल, एसएसपी, रांची