रांची(ब्यूरो)। राज्य के सबस बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स में सिर्फ मरीज और उनके परिजनों को ही अव्यवस्थाओं का सामना नहीं करना पड़ता, बल्कि रिम्स में काम करने वाले मेडिकल स्टाफ्स भी कुछ कम परेशान नहीं हैं। दरअसल, सात साल से रिम्स के पारा मेडिकल स्टूडेंट्स हॉस्टल की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक इन स्टूडेंट्स के लिए रिम्स में हॉस्टल नहीं बनाया गया। पारामेडिकल स्टूडेंट्स ने कई बार इसके लिए आंदोलन भी किया, लेकिन सब बेअसर रहा। बीते तीन दिनों से फिर एक बार स्टूडेंट्स हॉस्टल की मांग लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलन में शामिल स्टूडेंट्स ने बताया कि हॉस्टल नहीं होने से कई तरह की परेशानियां हो रही हैं। स्टूडेंट्स को रेंट के रूम में रहना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी तो लड़कियों को हो रही है।
छात्रा का बना था अश्लील वीडियो
कुछ दिनों पहले किराये के रूम में रहने वाली एक छात्रा का कुछ लड़कों ने अश्लील वीडियो बना लिया था, जिसे वायरल करने की धमकी भी दी जा रही थी। काफी मशक्कत के बाद मामला शांत हुआ। इस घटना के बाद से ही रिम्स के पारामेडिकल स्टूडेंट्स आक्रोशित हैं और लगातार हॉस्टल की डिमांड कर रहे हैं। प्रीति नामक छात्रा ने बताया कि घटना के बाद से सभी लड़कियां सहमी हुई हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने में असहज महसूस कर रही हैं। इसकी जानकारी रिम्स डायरेक्टर को भी दी गई हैं। लेकिन फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि हमेशा खतरा बना हुआ रहता है।
रास्ते में छिनतई भी हुई
रिम्स में पारामेडिकल का कोर्स कर रहे स्टूडेंट्स झारखंड के अलग-अलग जिलों से है। इनकी संख्या करीब 500 है। स्टडी के साथ-साथ ये स्टूडेंट्स मेडिकल वर्क भी संभालते हैं। हॉस्टल नहीं होने की वजह से स्टूडेंट्स इधर-उधर किराये के मकान में रहते हैं। देर शाम रिम्स से रूम लौटते वक्त इनके साथ छिनतई जैसी घटनाएं भी हो चुकी हैं। बीते महीने कुछ बदमाश एक छात्रा का मोबाइल फोन छिनकर भाग गए। कुछ स्टूडेंट्स ने बताया कि नाइट शिफ्ट में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। ऐसे में परेशानी बढ़ जाती है। आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट्स को किराये के घर में रहने पर ज्यादा दिक्कत होती है। रूम रेंट के साथ-साथ हर दिन रिम्स आने-जाने के भाड़े में भी पैसे खर्च होते हैं।
हर साल 266 एडमिशन
पारा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन काउंसिलिंग के माध्यम से होती है। इसमें राच्य भर के स्टूडेंट्स नामांकन करवाते हैं। हर साल 266 नामांकन होते हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि स्टूडेंट्स के रहने के लिए एक कमरा तक नहीं है। जीबी में इन मुद्दों को रखते हुए भविष्य की जरूरत को देखते हुए 200-200 बेड के छात्र व छात्रा हॉस्टल बनाने पर सहमति बनी थी। इस पर अब काम शुरू होने की संभावना है। इसे लेकर रिम्स की ओर से भवन निर्माण विभाग को पत्र भी लिखा गया है।
स्टूडेंट्स की पीड़ा
हॉस्टल नहीं रहने से कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। हम लड़कियों को तो काफी परेशानियां होती हैं। बीते दिनों हुए हादसे से वैसे ही सभी लड़कियां डरी हुई हैं।
-खुशबू कुमारी

कई बार हॉस्टल की मांग की गई है, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है। यहां सुरक्षा देने वाले सुरक्षाकर्मियों को भी रहने के लिए जगह दी गई है, फिर स्टूडेंट्स को क्यों नहीं।
- विपुल कुमार

2016 से ही हॉस्टल की लगातार मांग होती आ रही है। पहले हमारे सीनियर्स इसकी मांग कर रहे थे, अब हम। एक बार फिर से हॉस्टल की मांग को लेकर आंदोलन हो रहा है।
-विवेक कुमार

नाईट शिफ्ट में परेशानी बढ़ जाती है। रात में रूम जाने में डर लगता है। कुछ दिन पहले ही एक स्टूडेंट से लूटपाट करने का प्रयास किया गया था। पीसीआर की आवाज सुन कर वह भाग गया।
-प्रीती कुमारी

पारा मेडिकल स्टूडेंट्स के हॉस्टल का सपना जल्द पूरा होगा। इस दिशा में पहल कर दी गई है। 400 बेड के हॉस्टल निर्माण के लिए 3-4 दिनों के भीतर मापी कराई जाएगी। एक साल के भीतर हॉस्टल का निर्माण करा लिया जाएगा।
-डॉ संजय कुमार, को-आर्डिनेटर, पारा मेडिकल कॉलेज, रिम्स