RANCHI: रिम्स के अधिकतर वार्डो में जितने मरीजों का बेड पर इलाज हो रहा है, उससे ज्यादा मरीज जमीन पर इलाज करवा रहे हैं। मरीजों की संख्या बेड से लगभग डेढ़ गुनी बढ़ गई है। आलम यह है कि गैलरी में मरीज भरे पड़े हैं। आने-जाने वालों को पैर रखने के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। बरसात के मौसम में मरीज जमीन पर लेटे पड़े हैं। ऐसे में रिम्स को सुरपस्पेशियलिटी से लेकर तमाम सुविधाओं से लैस करने का विभागीय दावा दिन में सपने दिखाने जैसा है। क्योंकि जहां मरीजों को बेड ही नहीं मिल पा रहा है, वहां अत्याधुनिक सुविधाओं की उम्मीद करना किसी मायने में सही नहीं हैच्
बच्चों का भी फर्श पर इलाज
मरीजों की संख्या बढ़ जाने से सबसे ज्यादा परेशानी पेडियाट्रिक वार्ड में भतचर्् बच्चों को हो रही है। उन्हें भी अन्य मरीजों की तरह ही जमीन पर ही अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। शनिवार तक पेडियाट्रिक वार्ड में च्भ् बच्चों का इलाज चल रहा था, जबकि वार्ड में बेडों की संख्या 80 है।
मेडिसीन के आधे मरीज जमीन पर
हास्पिटल में सबसे ज्यादा मरीज मेडिसीन वार्ड में आए हैं। इस वार्ड में आए दिन काफी संख्या में मरीज भर्ती रहते हैं। अभी मेडिसीन वार्ड के डॉ। विद्यापति की यूनिट में म्फ् मरीजों का इलाज चल रहा है। जबकि इस यूनिट में मात्र फ्8 बेड है। वहीं बगल में ही डॉ। सीबी शर्मा की यूनिट में छह बेड खाली पड़े हैं। इसके बावजूद दूसरी यूनिट के खाली बेड मरीजों को नहीं मिल रहे हैं।
बेड पर तीन, इनक्यूबेटर में ब् नवजात
रिम्स में नवजच्त बच्चों के इलाज के लिए नियोनैटल यूनिट बनाई गई है। लेकिन इस यूनिट में स्थिति यह है कि अभी च्भ् बच्चों पर केवल सात बेड ही है। वहीं एक नर्स के जिम्मे ही सच्ी बच्चों की देखरेख की जिम्मेवारी है। हालत यह है कि एक बेड पर तीन-तच्न बच्चों का इलाज हो रहा है। वहीं, इनक्यूबेटर में चार-चच्र बच्चों को रखकर उनका इलाज किया जा रहा है।
न्यूरो की गैलरी में भीग रहे मरीज
हास्पिटल का यह वार्ड ऐसा है, जहां मरीजों की संख्या कभी घटती नहीं है। हर दिन एक्सीडेंट के कारण इस वार्ड में मरीज भरे रहते हैं। मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण जमीन पर बेड लगाकर उनका इलाज चल रहा है। वहीं, बारिश के मौसम में मरीजों को गैलरी छोड़कर भागने की नौबत आ जाती है। कुछ लोग तो मजबूरी में वहीं पड़े रहते हैं।
किस वार्ड में कितने बेड और कितने मरीज
मेडिसीन क्
बेड पेशेंट
फ्8 म्फ्
मेडिसीन ख्
ब्ख् ब्9
पेडियाट्रिक
80 9भ्
नियोनैटोलॉजी
7 फ्भ्
वर्जन
तत्काल बेड बढ़ाने से भी समस्या का समाधान नहीं होगा। मरीज रिम्स आ रहे हैं, तो उन्हें लौटाया नहीं जाता है। छोटी से छोटी बीमारी के लिए भी उन्हें रिम्स रेफर कर दिया जाता है। इस वजह से भी भीड़ बढ़ गई है। जल्द ही सदर हास्पिटल को चालू करा दिया जाएगा। तब रिम्स पर मरीजों का बोझ कम हो जाएगा। हालांकि रिम्स में बेड बढ़ाने की भी बात चल रही है। लेकिन उसमें समय लगेगा। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
-रामचंद्र चंद्रवंशी, स्वास्थ्य मंत्री, झारखंड