--शहीद जवान की पत्नी का रो-रोकर था बुरा हाल, रांची स्थित जैप वन में दी गई सलामी

--लोहरदगा में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान आइईडी विस्फोट में शहीद हो गए दुलेश्वर परास

-हेलीकाप्टर से रांची मेडिका अस्पताल लाने के बाद डाक्टरों ने बताया मृत

कहां तुम चले गए अब किसके सहारे मैं रहूंगी। तीनों बच्चों के बारे में भी नहीं सोचा। उनलोगों से आखिर क्या गलती हुई थी। तुमने होली में लंबी छुट्टी लेकर घर आने का वादा किया था। ये क्या हो गया है तुम्हें। मैं तो रोज भगवान की पूजा किया करती थी। आखिर मुझसे वो क्यों रूठ गया। यह विलाप शहीद जवान दुलेश्वर परास की पत्नी के थे, जिसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनका पति अब इस दुनिया में नहीं है। जवान के शहीद होने की सूचना पर पुलिस की टीम पत्नी रेखा देवी और पिता दशरथ साव को गुमला से लेकर रांची स्थित जैप वन कैंपस पहुंची थी, जहां सभी शहीद के अंतिम दर्शन को जुटे थे।

होली बाद बनाना था घर

शहीद जवान की पत्नी ने बताया कि दिसंबर में उनके भाई के बेटे की शादी के लिए आए थे। फिर होली में लंबी छुट्टी लेकर आने की बात कह वापस लौटे थे। उन्होंने बताया कि गुमला के लक्ष्मण नगर में एक जमीन खरीदी थी। उस जमीन पर होली के बाद मकान बनाने वाले थे। कहते-कहते पत्नी रोने लगी। दुलेश्वर परास अपने पीछे तीन बच्चे, सत्यम, सत्या और सिवान को छोड़ गए। रेखी देवी ने बताया कि वर्ष 2012 में दुलेश्वर पुलिस में भर्ती हुए थे।

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पलक झपकते ही हो गया ब्लास्ट

झारखंड के लोहरदगा जिले में मंगलवार को नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को माओवादियों ने निशाना बनाया। भाकपा माओवादी संगठन द्वारा चपाल जंगल में लगाए गए आइईडी की चपेट में आने से स्माल एकशन टीम (सैट)-3 के एक जवान दुलेश्वर परास घायल हो गए। उन्हें लोहरदगा से हेलीकाप्टर द्वारा तत्काल मेडिका अस्पताल रांची पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया। वह गुमला जिले के डुमरी थाना क्षेत्र के क¨टबा गांव के रहने वाले थे। यह घटना सेरेंगदाग थाना क्षेत्र के जुड़वानी-चपाल के बीच लोहरदगा और गुमला जिले के सीमावर्ती चपाल जंगल में हुई।

पत्थर में छिपा रखा था विस्फोटक

लोहरदगा पुलिस को सूचना मिली थी कि भाकपा माओवादी का दस्ता दुंदरू जंगल में सक्रिय है। इसके बाद सीआरपीएफ-158 बटालियन, सैट और जिला पुलिस बल के जवानों ने अभियान शुरू किया। मंगलवार सुबह 9.15 बजे जैसे ही दुंगरु-चपाल गांव को पार कर जवान चपाल जंगल में पहुंचे, दुलेश्वर का बायां पैर आइईडी बम पर पड़ गया। जोरदार विस्फोट हुआ। दुलेश्वर का पैर उड़ गया। माओवादियों ने पत्थर जमा कर आइईडी लगा रखा था। एक-दूसरे से दूरी बनाकर चलने के कारण दूसरे जवान बम की चपेट में आने से बच गए। विस्फोट के बाद जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। जब काफी देर तक कोई फाय¨रग नहीं हुई तो घायल जवान को तुरंत राजकीय मध्य विद्यालय उपर तुरियाडीह दुंदरू के मैदान के पास ले गए। पुलिस मुख्यालय ने हेलीकाप्टर भेज कर जवान को रांची मंगवाया।

ग्रीन कॉरिडोर बना कर अस्पताल

हेलीकाप्टर से जवान को रांची खेलगांव लाया गया। यहां से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एंबुलेंस से मेडिका अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस दौरान रांची पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे। पूरे इलाके को ग्रीन कॉरिडोर बना रखा था। एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, सदर डीएसपी प्रभात रंजन बरवार, सदर थाना प्रभारी सहित कई अधिकारी मुस्तैद रहे।

छापेमारी अभियान तेज

इस वारदात के बाद नक्सलियों के विरुद्ध छापेमारी अभियान तेज कर दिया गया है। इस घटना से पहले भाकपा माओवादी ने वर्ष 2020 में 30 अक्टूबर को सेरेंगदाग थाना से सौ मीटर की दूरी पर पुलिस टीम पर हमला बोल दिया था। दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घटना के साढ़े तीन माह बाद माओवादियों ने फिर जवानों को निशाना बनाया। झारखंड पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की छोटी-छोटी टुकडि़यों को प्रशिक्षित कर उसे स्माल एक्शन टीम का नाम दिया है, जो नक्सलियों के खिलाफ अभियान में मोर्चे पर जाती है।

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माओवादियों को दिया जाएगा मुंहतोड़ जवाब

जवान के मेडिका अस्पताल पहुंचने के बाद डीजीपी नीरज सिन्हा भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि माओवादियों को इस घटना का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने के लिए विशेष रणनीति तैयार की जाएगी। खासकर आइईडी ब्लास्ट और प्रेशर कुकर बम के मद्देनजर विशेष एक्शन प्लान बनाया जाएगा।

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सीएम, सीएस और डीजीपी ने दी श्रद्धांजलि

रांची : लोहरदगा के सेरेंगदाग स्थित दुंदरू जंगल में नक्सलियों के लैंड माइंस विस्फोट में शहीद स्मॉल एक्शन टीम (सैट) के जवान दलेश्वर परास का पार्थिव शरीर मंगलवार की दोपहर रिम्स में पोस्टमार्टम के बाद डोरंडा के जैप वन परिसर में लाया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, डीजीपी नीरज सिन्हा सहित पुलिस अधिकारियों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। शहीद को साथी जवानों ने सलामी दी। इसके बाद शहीद का शव गुमला जिला स्थित उनके पैतृक गांव के लिए रवाना कर दिया गया। इस मौके पर पुलिस मुख्यालय ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान में विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश जारी किया है।

जैप वन परिसर में डीजीपी नीरज सिन्हा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गुमला-लोहरदगा सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ सर्च अभियान चल रहा था। दोनों जिलों की पुलिस के पास बम निरोधक दस्ता भी था। गुमला जिले की टीम सर्च अभियान चलाने के बाद वापस लौट चुकी थी। लोहरदगा जिले की स्मॉल एक्शन टीम के जवान लौट रहे थे, तभी दुलेश्वर का पैर आइईडी पर पड़ गया। उसे गंभीर हालत में हेलीकाप्टर से रांची लाया गया, लेकिन पूरी कोशिश के बाद भी बचाया नहीं जा सका। अब शहीद जवान के परिवार को बीमा के 45 लाख रुपये, अनुग्रह अनुदान के 25 लाख रुपये, शेष सेवानिवृत्ति तक की एकमुश्त वेतन राशि व एक आश्रित को सरकारी नौकरी मिलेगी। इस घटना के बावजूद पुलिस का मनोबल ऊंचा है। नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा।

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दुलेश्वर की शहादत का लेंगे बदला

झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश कुमार पांडेय ने कहा कि नक्सलियों कीइस कायराना हरकत का झारखंड पुलिस मुंहतोड़ जवाब देगी। पुलिस शहादत का बदला लेकर रहेगी। उन्होंने नक्सलियों से आह्वान किया कि नक्सली उग्रवाद का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ें और सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाएं। झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के पदाधिकारी-सदस्य शहीद जवान के परिवार के दुख में उनके साथ हैं।

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