रांची (ब्यूरो)। सिटी में कई सारे सरकारी प्रोजेक्ट्स डिरेल हो चुके हैं। इसके पीछे सिविल सोसायटी का मानना है कि हर प्रोजेक्ट की सफलता केवल पॉजिटिव इच्छाशक्ति से ही संभव है। सरकारी अफसरों को प्रोजेक्ट्स को लेकर गंभीर होना होगा और नेगेटिव माइंडसेट खत्म करनी होगी। पिछले एक सप्ताह से दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने प्रोजेक्ट्स ऑफ ट्रैक टाइटल से एक अभियान चलाया और पब्लिक को बताया कि कैसे करोड़ों के प्रोजेक्ट्स आउट ऑफ ट्रैक हो चुके हैं। शनिवार को इस विषय पर सिविल सोसायटी के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें मौजूद लोगों ने खुलकर अपनी बातें रखीं। यहां प्रस्तुत है चुनिंदा लोगों की खास बातें।

योजनाएं तो कई बनीं। घोषणाएं सरकार करती रहीं, लेकिन इसे पूरा करने पर सरकार का ध्यान नहीं रहा। नतीजन योजनाएं आधी-अधूरी ही रह गईं या उद्देश्य सिद्ध नहीं हुआ।
-धीरज कुमार

लाखों-करोड़ो रुपए खर्च करने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ है। कांके रोड अर्बन हाट के निर्माण में करीब छह करोड़ रुपए खर्च हुए पर कोई लाभ आम लोगों को नहीं मिल पाया है।
-आशुतोष द्विवेदी

किसी भी शहर की पहचान आधारभूत संरचनाएं होती हैं। शहर में एक फ्लाईओवर का निर्माण 10 साल से चल ही रहा है। सरकार करोड़ो खर्च कर चुकी है पर चौक-चौराहे बदहाल ही हैं।
-संगीता कुमार

योजनाओं के पूरा न होने के पीछे बड़ी वजह इच्छा शक्ति का अभाव है। सरकार की इच्छा शक्ति नहीं होने से समय पर न तो योजनाएं पूरी होती हैं और न ही इसका फायदा मिल पाता है।
-दिपेश निराला

पेंडिंग योजनाएं सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ी करती हैं। सिर्फ चुनाव के समय बडे-बड़े वादे और दावे किए जाते हैं। मंत्रियों के बंगले रिकार्ड समय में तैयार होते है। लेकिन गरीबों का आवास अटक जाता है।
-अमृतेश पाठक

दर्जनों इंस्फ्रास्ट्रक्चर बने हुए हैं, जिनका उपयोग नहीं हो रहा है। कुछ योजनाओं की रफ्तार धीमी है, तो कुछ बंद पड़ गई हैं। सीवरेज-ड्रेनेज में करोड़ों रुपए बहा दिए।
-अनु कुमारी

राजधानी रांची का बूरा हाल है। डेवलपमेंट के नाम पर कई काम हो रहे है। शहर अस्त-व्यस्त है, फ्लाईओवर, अंडरग्राउंड केबलिंग, सीवरेज के नाम पर सड़क-नाली का बुरा हाल है। जाम से निजात नहीं मिला है।
-निशात आरा

करोड़ो खर्च कर स्लॉटर हाउस तो बना दिया, लेकिन कभी इसका इस्तेमाल ही नहीं किया गया। यहां लगीं मशीनें जंग खा रही हैं। ऐसा ही हाल कई अन्य प्रोजेक्ट्स का भी है। सरकार बिना तैयारी पैसे झोंक दे रही है। कोई फायदा नहीं है।
-अभिमन्यु कुमार

सिटी में जाम और पार्किंग की बड़ी समस्या है। तीन फ्लाईओवर बन रहे हैं। यहां सर्विस लेन तो बनाई गई है, लेकिन यह परेशानी का सबब बन गया है। सरकार को कोई फिक्र नहीं है। हर बार घोषणा कर काम करना सरकार भूल जाती है।
-अजय राय

टैक्स और फाइन वसूलने में सरकार पीछे नहीं है, लेकिन सुविधा देने में हमेशा पीछे रहती है। नो पार्किग में गाड़ी खड़ी करने पर चालान कट जाता है, लेकिन पार्किंग बनाने की सरकार की इच्छा नहीं है। पब्लिक को सुविधा देने के मामले में सरकार फेल साबित हुई है।
-अमर शर्मा