रांची (ब्यूरो) । एक ओर बर्ड फ्लू का खतरा बना हुआ है, तो वहीं राजधानी वासियों को मच्छर भी परेशान करने लगे हैं। गर्मी शुरू होते ही सिटी में मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ गया है। रांची के हर इलाके में मच्छरों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। सिर्फ मुहल्ले और कॉलोनी ही नहीं, बल्कि अस्पतालों में भी मरीजों को मच्छर परेशान कर रहे हैं। शाम होते ही घरों और आसपास मच्छरों का मंडराना शुरू हो जाता है। लेकिन इसे रोकने में नगर निगम की ओर से कोई पहल नजर नहीं आ रही है। निगम के अधिकारियों के लापरवाह रवैये से बीमारी बढऩे का खतरा बढ़ गया है। हालत यह है कि वार्ड पार्षदों की गुहार के बावजूद निगम की ओर से फॉगिंग मशीनों से दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा है। इस बात को नगर निगम के वार्ड पार्षद लगातार अलग-अलग माध्यम से उठा रहे हैं। पार्षदों की ओर से नगर निगम में आवेदन भी दिया गया है, फिर भी निगम इसे लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा।
वीआईपी इलाकों में दवा छिड़काव भी
ऐसा नहीं है कि नगर निगम बिल्कुल लापरवाह बैठा है। निगम के पदाधिकारी वीआईपी इलाकों में मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं। वीआईपी इलाकों में न सिर्फ समय से फॉगिंग हो रही है बल्कि दवा का छिड़काव भी समय से कराया जा रहा है। सीएम आवास, गर्वनर हाउस व मंत्री-विधायक आवास के आसपास समय से फागिंग कराई जा रही है। इधर मुहल्ले, कॉलोनी और बस्ती के लोगों को मच्छरों का डंक सहना पड़ रहा है। जबकि होल्डिंग से लेकर तमाम प्रकार के टैक्स मुहल्ले, बस्ती और कॉलोनी में रहने वाले लोगों से ही लिया जाता है। दर्जनों ऐसे इलाके हैं जहां सालों से लोगों ने फॉगिंग मशीन नहीं देखी है।
11 फागिंग मशीन और 53 वार्ड
जानकारी के मुताबिक, मच्छरों से निबटने के लिए नगर निगम के पास 11 फॉगिंग मशीन हैं। इनमें 9 कोल्ड फॉगिंग और 2 थर्मल फॉगिंग मशीन हैं। लेकिन वर्तमान में सिर्फ तीन-चार फॉगिंग मशीन से ही पूरे 53 वार्ड में काम चलाया जा रहा है। बाकी फॉगिंग मशीन नगर निगम के स्टोर की शोभा बढ़ा रही है। समय के साथ निगम क्षेत्र में लगातार आबादी बढ़ती गई। लेकिन नगर निगम ने संसाधन बढ़ाने में ध्यान नहीं दिया। सिर्फ दो या तीन मशीन से पूरे शहर में मच्छरों से निपटना नाकाफी साबित हो रहा है। 2011 के जनगणना के मुताबिक, राजधानी के सभी वार्डोंं में 11 लाख की आबादी थी। पिछले 13 साल में आबादी में बेतहाशा वृद्धि हुई है। लेकिन आबादी के अनुसार, फॉगिंग मशीनों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है और न ही जो मशीनें उपलब्ध हैं, उनसे काम लिया जा रहा है।
खर्च हर साल 15 लाख
आम नागरिकों को मच्छरों से बचाने के लिए नगर निगम हर साल करीब 15 लाख रुपए तेल व केमिकल में खर्च करता है। लेकिन पॉश इलाकों को छोड़ कर अन्य इलाकों में कभी-कभार ही फॉगिंग मशीन नजर आती है। इस संबंध में कई लोगों का कहना है कि फॉगिंग के दौरान सिर्फ पानी की ही बौछार की जा रही है। वहीं कीटनाशक भी कम मात्रा में डाला जाता है। तेल ज्यादा डालकर सिर्फ फॉगिंग की खानापूर्ति की जाती है। यही वजह है कि मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हो रहा है।

मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है। बार-बार निगम में शिकायत के बाद अब थोडी बहुत पहल हुई है, लेकिन वह नाकाफी है।
-अरुण कुमार झा, पार्षद, वार्ड 26

निगम के पास नौ फागिंग मशीन है। जिसमें तीन नई और छह पुरानी हैं। जैसे-जैसे शिकायतें आएंगी मशीनों का उपयोग किया जाएगा।
-संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, आरएमसी