-चौथे प्रयास में मिली सफलता, सपना हुआ पूरा

-कुणाल को मिला 458वां रैंक

-पापा डॉ एके महतो आरयू के एक्स एग्जामिनेशन कंट्रोलर

-मां स्नेह प्रभा महतो मारवाड़ी कॉलेज में इंग्लिश की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं

>RANCHI: जब कुछ खास करने का जुनून सवार हो, तो सफलता मिलने में देर नहीं लगती। कुछ यही कर दिखाया है रांची के कुणाल ने। सिविल सेवक बनने के इनके इस जूनुनू ने आज इन्हें सफलता दिलाई है। रांची यूनिवर्सिटी के पूर्व एग्जामिनेशन कंट्रोलर डॉ। एके महतो के बेटे कुणाल ने जॉब करते हुए यूपीएससी की तैयारी की और ब्भ्8वां रैंक लाया है।

क्0 घंटे जॉब के बाद यूपीएससी की तैयारी

हर दिन टीसीएस बेंगलुरू में दस घंटे की नौकरी फिर घर आकर सिविल सेवक बनने के जुनून को पूरा करना। माता-पिता ने दिया सहयोग तो कंपनी ने भी जॉब के घंटो में थोड़ी रियायत दे दी। खुद की मेहनत और सभी के सहयोग से कुणाल अब अधिकारी बन जाएंगे। यूपीएससी के जारी रिजल्ट में कुणाल कुमार को ब्भ्8वां रैंक मिला है। इनके पिता रांची यूनिवर्सिटी के पूर्व एग्जामिनेशन कंट्रोलर डॉ। एके महतो हैं। वहीं माता स्नेह प्रभा महतो मारवाड़ी कॉलेज में इंग्लिश की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। कुणाल ने क्लास प्रेप से क्ख्वीं तक की पढ़ाई जेवीएम श्यामली से की है। इसके बाद ख्009 में एनआईटी मणिपाल से इंजीनियरिंग करने के बाद इसी साल टीसीएस बेंगलुरू में ज्वाइन कर लिया। इसी बीच एमबीए की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन कुछ ही दिन में मन नहीं लगा और एमबीए की तैयारी छोड़ दी।

समाज के लिए करना चाहता हूं काम

कुणाल कहते हैं कि मैं समाज और देश के लिए कुछ करना चाहता हूं। कंपनी में सब कुछ अच्छा था लेकिन वहां जो कुछ भी करना था कंपनी के लिए। अब एक सिविल सेवक के तौर पर दूसरों के लिए कुछ अधिक करने का मौका मिलेगा। कुणाल ने चौथी बार में सफलता हासिल की है। इससे पहले ख्0क्क् में लगातार तीन बार मेंस तक पहुंचे थे। शुरू से अंत तक इनका एक ही सब्जेक्ट रहा सोशियोलॉजी। तैयारी में कोचिंग से कोर्स मैटेरियल लिया लेकिन कभी क्लास नहीं की। इनकी एक बहन रिया यूएसए से पढ़ाई कर रही हैं। कुणाल मानते हैं कि यदि सच्ची लगन व ईमानदारी से मेहनत हो तो काम करते हुए भी सफलता हासिल करना मुश्किल नहीं है।