रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची में वाहन चोरी की वारदात दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। हर दिन सिटी में करीब तीन से चार वाहन चोरी हो रही है। महीने में लगभग 120 वाहनों की चोरी की शिकायतें राजधानी के अलग-अलग थानो में दर्ज हो रही हैैं। बीते एक साल में 1454 टू व्हीलर की चोरी रांची के अलग-अलग इलाकों से हुई है। इनमें रिकवर होनेवाले वाहनों की संख्या काफी कम है। चोरी के बढ़ते मामले को देखते हुए एसएसपी ने खुद इसे संज्ञान में लिया है।

पैनी है निगाह

वाहन चोरी करने वाले अपराधियों और इसकी खरीद-बिक्री करने वाले लोगों पर पुलिस अब पैनी निगाह रखेगी। इसकी जांच के लिए पुलिस ने स्पेशल टीम गठित की है, जो थानों में दर्ज मामलों के आधार पर वाहन चोरी वाले स्थानों पर पुलिस अनुसंधान करेगी। साथ ही सिटी और और आसपास के इलाके में वे कौन लोग हैं जो सेकेंड हैंड वाहन की खरीद बिक्री करते हैं और उनसे पूछताछ की जाएगी। वाहन चोरी मेें सबसे ज्यादा टू व्हीलर की चोरी होती है। किसी भी पब्लिक प्लेस से चोर बडी आसानी से गाड़ी पार कर देते है।

फर्जी पेपर पर बिक्री

चोरी के वाहनों को ठिकाने लगाने के लिए पहले इसका फर्जी पेपर तैयार किया जाता है। यह पेपर बिलकुल असल दस्तावेज की तरह नजर आते हैं, जिनसे आसानी से कोई भी धोखे में आ सकता है। फर्जी पेपर को असल पेपर समझ कर रुरल एरिया में रहने वाले भोले-भाले लोग आसानी से इसे खरीद लेते हैं। चोरों का यह गिरोह कभी भी जिस जिले से वाहन चोरी करता है उसे उसी जिले में नहीं बेचता। रांची की बाइक पलामू, लोहरदगा, डाल्टनगंज, लातेहार समेत अन्य इलाकों में बेचा जाता है। इसी प्रकार दूसरे शहर से चुराई गई गाड़ी रांची और ग्रामीण इलाकों में बेच दी जाती है। इसी हफ्ते पुलिस ने गिरोह के दो सदस्यों को अरेस्ट किया है, जिन्होंने वाहन चुराने से लेकर फर्जी दस्तावेज तैयार करने की भी बात स्वीकारी है।

बाइक चोरों की निगरानी

शहर में बाइक चोरी के बढ़ते मामलों को देखते हुए एसएसपी के निर्देश पर स्पेशल टीम का गठन किया गया है। जो पब्लिक प्लेस पर बाइक की सुरक्षा का इंतजाम करेगी। वन एएसपी एम राजपुरोहित के नेतृत्व में टीम काम करेगी। इसमे अरगोड़ा, डोरंडा, जगन्नाथपुर और कोतवाली इंस्पेक्टर सह थाना प्रभारी को शामिल किया गया है। एम राजपुरोहित ने बताया कि सिर्फ सिटी ही नहीं बल्कि पूरे स्टेट में बाइक चोर गिरोह एक्टिव है। इनका संगठित गिरोह है जो सभी एक दूसरे कनेक्ट हैं। बाइक चोरी से लेकर इसे कहां बेचना है, किसके नाम पर पेपर बनेंगे आदि सभी बात की प्लानिंग होती है। तबतक के लिए गाड़ी किसी अंजान स्थान पर छिपा कर रख दी जाती है।

थाना पहुंच रहा मामला

लगातार बाइक चोरी का मामला थाना पहुंच रहा है, लेकिन कभी-कभार ही इसकी गिरफ्तारी हो पाती है। लाख प्रयास के बाद भी चोरी की बाइक पुलिस रिकवर नहीं कर पा रही है। विभिन्न थाना क्षेत्रों में स्थित पब्लिक प्लेस, सब्जी मंडी, शॉपिंग मॉल के अलावा रिम्स और सदर हॉस्पिटल के आसपास भी चोरों का आतंक है। जब तक पुलिस एक गिरोह को सलाखों के पीछे भेजती है, तब तक दूसरा गिरोह बेल पर बाहर आ जाता है और फिर से चोरी का धंधा चालू कर देता है। बाइक चोर गिरोह के पास कई मास्टर चाभी होती हैैं, जिसकी मदद से कोई भी गाड़ी आसानी से खोलकर ये लोग उसे लेकर गायब हो जाते हैं। चोरी करने में ये इतने शातिर होते हैं कि आसपास के लोगों को लगता है कि ये बाइक उन्ही की है। बकायदा इन चोरों को इसकी पूरी ट्रेनिंग दी जाती है। गिरोह में कई कम उम्र के बच्चे भी हैैं, जो नशा और दूसरी जरूरत के लिए इस अपराध को करने के लिए तैयार हो जाते हैं। चोरी के इन वाहनों को ज्यादातर अवैध कार्यों में यूज किया जाता है।

बाइक चोरी के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्पेशल टीम का गठन किया गया है, जो चोरों के संगठित गिरोह पर नजर रखेगी और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजने का काम करेगी।

कौशल किशोर, एसएसपी, रांची