रांची (ब्यूरो) । गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा, कृष्णा नगर कॉलोनी में मंगलवार को चार दिवसीय गुरमत समागम के अंतिम दिन सुबह पांच बजे से विशेष दिवान सजाया गया। दिवान की शुरुआत सुबह पांच बजे से सवा छह बजे तक विशेष रूप से पधारे बाबा लखा सिंह जी, कलेरा नानकसर वाले द्वारा श्री सुखमनी साहिब जी का पाठ से हुई, जिसमें उन्होंने साध संगत को श्री सुखमनी साहिब जी का पाठ उच्चारण कराया और सवा छह बजे से सात बजे तक वाहेगुरु का सिमरण कराया।

गुरवाणी का उल्लेख

साध संगत से गुरमत विचार सांझा करते हुए गुरवाणी का उल्लेख करते हुए कहा कि भजो गोबिंद भूल मत जाह, मानस जनम की येही लाह। गुर सेवा ते भगत कमाई तब यह मानस देहि पाई, इस देहि को सिमरे देव सो देहि भज हर की सेवा अर्थात हे जीव! यह मनुष्य देह तुम्हें गुरु की सेवा तथा भक्ति की कमाई करने के लिए मिला है। इस देह के लिए देवी-देवता भी तरसते हैं। वह भी चाहते हैं कि हम मनुष्य शरीर को धारण करके गुरु की भक्ति कर सकें और आप इस मूल्यवान शरीर को पाकर सिमरन के काम में आलस्य करते हैं तथा वाहेगुरु के सिमरन के कार्य को कल पर छोड़ते हैं, यह तेरी उस व्यक्ति वाली मिसाल है जिसे एक साधु की सेवा करने से एक सप्ताह के लिए पारस मिला था परंतु उसने उससे कोई भी लाभ न लिया।

गुरुनानक जी के सिद्धांत

उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से रोजाना श्री सुखमनी साहिब जी तथा श्री जपुजी साहिब जी का पाठ करने को कहा तथा गुरुनानक जी के सिद्धांत नाम जपो अर्थात प्रति दिन ईश्वर का नाम जपो, वाहेगुरु का सिमरन करो तथा कीरत करो अर्थात कठिन मेहनत करके ईमानदारी से कमाओ एवं वंड के चखो अर्थात अर्जित की गई वस्तुओं को दूसरों से साझा करो और साथ मिलकर उसका उपभोग करो को अपने जीवन में आत्मसात करने को कहा। दीवान में सुंदर दास मिढा,हरगोविंद सिंह,अशोक गेरा, वेद प्रकाश मिढ़ा,अमरजीत गिरधर, चरणजीत मुंजाल,जीवन मिढा, मोहन काठपाल, मनोहर लाल मिढ़ा,सुरेश मिढा समेत अन्य श्रद्धालु शामिल हुए।