रांची (ब्यूरो)। झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने एक लॉ ऑफिसर और रांची के मामलों को देखने के लिए चार अधिवक्ताओं की नियुक्ति की है। इसके अलावा हजारीबाग, जमशेदपुर, सरायकेला, पलामू और धनबाद के मामले चार अन्य वकील देखेंगे। वकीलों की नियुक्ति का मकसद कोर्ट में पेंडिंग मामलों को जल्द से जल्द सुलझाना है, ताकि बोर्ड की संपत्ति पर जो कब्जा है, उसे हटाया जा सके।

400 मामले हैैं पेंडिंग

बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि रांची सहित राज्य भर में 400 से अधिक केस चल रहे हैैं। इसमें अधिकतर केस बोर्ड की प्रोपर्टी के कब्जे को लेकर चल रहे हैैं। बोर्ड में सभी जगह एडवोकेट नहीं होने की वजह से पेंडिंग मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। बार्ड का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता नहीं थे। अब लॉ ऑफिसर सहित अधिवक्ताओं को भी इम्पैनल्ड किया गया है, जो बोर्ड के मामलों से जुड़े सभी जिलों की अदालतों से लेकर हाईकोर्ट में भी पक्ष रखेंगे।

लोगों ने कर लिया है अवैध कब्जा

झारखंड राज्य आवास बोर्ड की कई खाली जमीन और घर पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। लोग अवैध रूप से कब्जा कर घर पर रह रहे हैं। उनके पास कागजात कुछ भी नहीं है, फिरभी कोर्ट में पिटीशन देकर मामले को फंसाकर रखे हुए हैं। ऐसे लोग बोर्ड की संपत्ति पर अपना अधिकार जता रहे हैं। बोर्ड में अधिवक्ता नहीं होने के कारण बोर्ड का पक्ष कोई नहीं रख पाता था, जिस कारण अवैध कब्जेधारियों का हौसला बढ़ा रहता था। अब नए अधिवकता इम्पैनल्ड हो जाने के बाद कब्जेधारियों से अवैध कब्जा मुक्त कराने में मदद करेंगे।

208 एकड़ जमीन पर है कब्जा

झारखंड राज्य आवास बोर्ड की बेशकीमती 208 एकड़ जमीन पर कब्जा है। आवास बोर्ड के भूखंडों पर सबसे अधिक अतिक्रमण जमशेदपुर में है। यहां 180 एकड़ से अधिक भूखंड पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। रांची में भी अरगोड़ा और हरमू में 20 एकड़ से अधिक भूखंड पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है। धनबाद में चार एकड़ में अतिक्रमण किए जाने की सूचना है। इसी तरह आवास बोर्ड के फ्लैट और मकान पर अतिक्रमण के दो हजार से अधिक मामले हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने कहीं न कहीं से किराए पर आवंटन के कागजात प्राप्त कर लिए हैं। सरकार ने पूर्व में ही फैसला लिया था कि वर्षों से कब्जा कर रह रहे लोगों के पास दावे प्रमाणित करने के कागजात होंगे, तो उन्हें फ्लैट अथवा मकान आवंटित कर दिए जाएंगे।

बोर्ड में कर्मचारियों की है कमी

झारखंड राज्य आवास बोर्ड में अब भी कर्मचारियों की भारी कमी है। बिहार से अलग होने के बाद झारखंड राज्य आवास बोर्ड में स्वीकृत कर्मचारियों की संख्या 592 थी, जिसमें से अभी सिर्फ 92 कर्मचारी के भरोसे ही पूरा राज्य आवास बोर्ड है। राज्य आवास बोर्ड मुख्यालय में सिर्फ 15 कर्मचारियों के भरोसे ही काम किया चल रहा है।

राज्य बनने के बाद नहीं हुई नियुक्ति

झारखंड राज्य आवास बोर्ड से पहले बिहार राज्य आवास बोर्ड हुआ करता था। राज्य बनने के बाद 2000 में झारखंड राज्य आवास बोर्ड बना। बिहार से अलग होने के बाद जितने कर्मचारी झारखंड को मिले उनके सहारे ही काम होता रहा। 22 सालों में अधिकतर कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं। इस दौरान एक बार भी नियुक्ति नहीं हो पाई। बीच-बीच में कांट्रैक्ट पर कर्मचारियों को रखा गया, लेकिन उनका समय भी पूरा हुआ और उनको हटा दिया गया।

अनुकंपा पर हुए नियुक्त

सबसे खास बात यह है कि आवास बोर्ड में 22 साल में एक बार भी नियमित नियुक्ति भी नहीं हुई है। जो कर्मचारी हैं, उनमें से बहुत सारे लोग अनुकंपा पर नौकरी में आए हैं। आवास बोर्ड में काम करने के दौरान जिन कर्मचारियों की मौत हो गई थी, उनके परिजन को ही नियुक्ति मिली। यही वजह है कि आवास बोर्ड का सारा काम पेंडिंग होता चला जा रहा है।