रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची में बेटियां सुरक्षित नहीं है। आए दिन लड़कियों के साथ कोई न कोई हादसा हो रहा है। सिटी के अलग-अलग थानों में लड़कियों के साथ होने वाली शिकायत पहुंच रही है। कभी यौन शोषण का मामला तो कभी छेड़छाड़ और कभी अपहरण का मामला पुलिस स्टेशन पहुंच रहा है। बुधवार को भी लालपुर, कोतवाली और गोंदा थाना में बेटियों से जुडी शिकायतें पहुंची। बुधवार की सुबह एक स्टूडेंट को कुछ लोग जबरदस्ती किडनैप करने का प्रयास कर रहे थे। आस-पास खड़े लोगों ने जब हंगामा होता देखा तो बहादूरी दिखाते हुए युवती को बचाया गया और युवक को पुलिस के हवाले कर दिया गया। हालांकि कोतवाली थाने का इस मामले में कहना है कि लड़का और लड़की पहले से परिचित थे। वहीं सुखदेव नगर थाने में भी एक मां अपनी बच्ची की गुमशुदगी की शिकायत लेकर पहुंची। कुछ दिनों पहले ही रांची के टाटीसिलवे में एक युवती को ट्रेन के आगे धकेल कर मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसे ही दर्जनों मामले हैं, जिनमे बेटियों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैैं।

प्रशासन के दावे और प्रयास फेल

बेटियों की सुरक्षा को लेकर रांची पुलिस भले दावे करती हो लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। पुलिस बेटियों को सुरक्षा देने में विफल साबित हो रही है। लड़कियों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन के सभी दावे और प्रयास फेल हो रहे हैैं। यहां तक जब कोई पीडि़त अपनी फरियाद लेकर थाने जाता है तो वहां भी उसे मदद नहीं की जाती।

चार दिसंबर से लापता

सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली चंचला देवी की बेटी बीते चार दिसबंर से लापता है। पुलिस से भी उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है। चंचला देवी ने बताया कभी सुखदेव नगर तो कभी कोतवाली दौड़ाया जा रहा है। पुलिस वाले कहते माथा पर चढऩे से काम नहीं होता है। कोई भी काम धीरे-धीरे होता है। एक मां जिसकी ब'ची बीते 14 दिन से लापता है, उसके दर्द को भी रांची की पुलिस नहीं समझ पा रही है। इधर गोंदा थाने में नादिया की बहन उसे इंसाफ दिलाने के चक्कर लगा रही है। एक ओर प्रशासन शक्ति कमांडो और रक्षा शक्ति ऐप की मदद से लड़कियों को सुरक्षा मुहैया कराने की बात कहता है। वहीं दूसरी ओर लड़कियों के साथ हो रही घटनाएं सभी दावों का पोल खोल रही है।

घटनाओं में कमी नहीं

एनबसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़ों की माने तो झारखंड में लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैैं। महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं के मामले में झारखंड आठवें स्थान पर है। राज्य में दुष्कर्म के 1425 मामले दर्ज किए गए। इसी प्रकार अब तक झारखंड में महिलाओं पर हमला करने के 164 मामले, दहेज प्रताडऩा के 1805 मामले, दुष्कर्म करने के प्रयास से संबंधित 164 मामले सामने आए। 46 ऐसे मामले दर्ज किए गए जिसमें महिलाएं या बच्चियां दूसरी बार दुष्कर्म का शिकार हुईं। लेकिन पुलिस महिलाओं और लड़कियों को सुरक्षा देने के बजाए महिला पुलिस को वीवीआईपी की सुरक्षा में तैनात करती है। न तो किसी गल्र्स कॉलेज या स्कूल के पास पुलिस के जवान या पीसीआर है, और न ही शॉपिंग मॉल दूसरे स्थानों पर पुलिस की उपस्थिति नजर आ रही है, जिसका फायदा अपराधी उठा रहे है। मंगलवार को राजधानी के सबसे वीवीआईपी सड़क हरमू में महिला पर हुई फायरिंग इसका सबसे बडा उदाहरण है। अपराधी फायरिंग कर आसानी से भागने में सफल रहे।