सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद के पुत्र सूबे के स्वास्थ्य मंत्री हैं जो विधानमंडल में बीमारी का बहाना बना कर सवालों के जवाब देने से बचते हैं और बेटा की जगह लालू प्रसाद आईजीआईएमस का निरीक्षण कर वहां के निदेशक और विभागीय प्रधान सचिव को निर्देश देते हैं। अगर लालू प्रसाद का बस चले तो कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करने भी चले जाएं। कहा कि दरअसल लालू प्रसाद, नीतीश कुमार को जहां कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर विफल साबित कर रहे हैं वहीं सरकार के कार्यों में सीधा हस्तक्षेप कर उन्हें उनकी औकात भी बता रहे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए बेहतर होगा कि वे लालू प्रसाद को 'सुपर सीएमÓ का दर्जा देकर उन्हें ठीक उसी प्रकार सलाहकार परिषद का चेयरमैन बना लें जिस तरह से तत्कालीन प्रधानमंत्री डा। मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी को बना लिया था। वैसे भी लालू प्रसाद, नीतीश कुमार को केवल नसीहत ही नहीं दे रहे हैं बल्कि बार-बार उन्हें 80 विधायकों का सुप्रीमो और 'बड़े भाईÓ होने का अहसास भी करा रहे हैं। कहा कि इससे बड़ी हास्यास्पद बात और क्या हो सकती है कि अपने 15 साल के लंबे शासनकाल के दौरान बिहार को 'अव्यवस्थाÓ का पर्याय बनाने वाले लालू प्रसाद आज कानून-व्यवस्था, सुशासन और अपराध नियंत्रण का गुर सिखा रहे हैं? लालू प्रसाद को बड़ा भाई मान चुके नीतीश कुमार को अब उन्हें अपना 'गुरुÓ भी मान लेना चाहिए.
आरजेडी सुप्रीमो के पक्ष में उतरा जेडीयू
लालू प्रसाद के आईजीआईएमएस पहुंचने पर राजनीति गरमा गई है। बेटा हेल्थ मिनिस्टर और पिता का निरीक्षण, जैसा सवाल उठ खड़ा हुआ है। इस पर सुशील मोदी ने सवाल उठाया तो जेडीयू की ओर से जवाब भी आ गया। जेडीयू मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने लालू यादव के पक्ष में बयान जारी करते हुए कहा है कि सुशील मोदी को कुछ बातों को याद करना होगा। बात चुनाव से पहले की है जब मोदी पूरे बिहार में घूम-घूमकर अधिकारियों को धमकाया करते थे। कहते थे कि बिहार में सरकार बनी तो वो उन पर कार्रवाई करेंगे.
सुशील मोदी को लिया आड़े हाथों
संजय सिंह ने पूछा है कि किस हैसियत से आप अधिकारियों को धमकी देते थे? जिस तरह से चुनाव के पूर्व सुशील मोदी ने अधिकारियों को खौफ दिखाने का काम किया, उससे ये लगता था कि सरकार मे यदि बीजेपी आई तो सभी अधिकारियों पर कार्यवाई करेगी और उन्हें सजा देगी। कहा कि सुशील मोदी बताएं कि आज उनकी सरकार नही बनी तो उन अधिकारियों से और उनके परिजनों से माफी मांगेंगे। इतना ही नहीं सुशील मोदी किस हैसियत से रेलवे कारखानों का निरीक्षण करने चले गए थे , ना तो वे केंद्र में मंत्री हैं और ना ही पदाधिकारी। ये भी बताएं कि पटना के दीघा सोनपुर पुल के निरीक्षण पर वो किस हैसियत से गए थे?
वैसे सुशील मोदी की जानकारी के लिए बता दें कि लालू यादव आईजीआईएमएस में अपने एक बीमार परिजन को देखने गए थे। अब लालू जी वहां गए तो वहां कि व्यवस्था देखेंगे ही, वो महागठबंधन के नेता हैं। वैसे भी लालू जी ने वहां सिर्फ बातचीत की थी कोई निर्देश नही दिया था.
सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद के पुत्र सूबे के स्वास्थ्य मंत्री हैं जो विधानमंडल में बीमारी का बहाना बना कर सवालों के जवाब देने से बचते हैं और बेटा की जगह लालू प्रसाद आईजीआईएमस का निरीक्षण कर वहां के निदेशक और विभागीय प्रधान सचिव को निर्देश देते हैं। अगर लालू प्रसाद का बस चले तो कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करने भी चले जाएं। कहा कि दरअसल लालू प्रसाद, नीतीश कुमार को जहां कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर विफल साबित कर रहे हैं वहीं सरकार के कार्यों में सीधा हस्तक्षेप कर उन्हें उनकी औकात भी बता रहे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए बेहतर होगा कि वे लालू प्रसाद को 'सुपर सीएमÓ का दर्जा देकर उन्हें ठीक उसी प्रकार सलाहकार परिषद का चेयरमैन बना लें जिस तरह से तत्कालीन प्रधानमंत्री डा। मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी को बना लिया था। वैसे भी लालू प्रसाद, नीतीश कुमार को केवल नसीहत ही नहीं दे रहे हैं बल्कि बार-बार उन्हें 80 विधायकों का सुप्रीमो और 'बड़े भाईÓ होने का अहसास भी करा रहे हैं। कहा कि इससे बड़ी हास्यास्पद बात और क्या हो सकती है कि अपने 15 साल के लंबे शासनकाल के दौरान बिहार को 'अव्यवस्थाÓ का पर्याय बनाने वाले लालू प्रसाद आज कानून-व्यवस्था, सुशासन और अपराध नियंत्रण का गुर सिखा रहे हैं? लालू प्रसाद को बड़ा भाई मान चुके नीतीश कुमार को अब उन्हें अपना 'गुरुÓ भी मान लेना चाहिए।
लालू प्रसाद के आईजीआईएमएस पहुंचने पर राजनीति गरमा गई है। बेटा हेल्थ मिनिस्टर और पिता का निरीक्षण, जैसा सवाल उठ खड़ा हुआ है। इस पर सुशील मोदी ने सवाल उठाया तो जेडीयू की ओर से जवाब भी आ गया। जेडीयू मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने लालू यादव के पक्ष में बयान जारी करते हुए कहा है कि सुशील मोदी को कुछ बातों को याद करना होगा। बात चुनाव से पहले की है जब मोदी पूरे बिहार में घूम-घूमकर अधिकारियों को धमकाया करते थे। कहते थे कि बिहार में सरकार बनी तो वो उन पर कार्रवाई करेंगे.
संजय सिंह ने पूछा है कि किस हैसियत से आप अधिकारियों को धमकी देते थे? जिस तरह से चुनाव के पूर्व सुशील मोदी ने अधिकारियों को खौफ दिखाने का काम किया, उससे ये लगता था कि सरकार मे यदि बीजेपी आई तो सभी अधिकारियों पर कार्यवाई करेगी और उन्हें सजा देगी। कहा कि सुशील मोदी बताएं कि आज उनकी सरकार नही बनी तो उन अधिकारियों से और उनके परिजनों से माफी मांगेंगे। इतना ही नहीं सुशील मोदी किस हैसियत से रेलवे कारखानों का निरीक्षण करने चले गए थे , ना तो वे केंद्र में मंत्री हैं और ना ही पदाधिकारी। ये भी बताएं कि पटना के दीघा सोनपुर पुल के निरीक्षण पर वो किस हैसियत से गए थे?
वैसे सुशील मोदी की जानकारी के लिए बता दें कि लालू यादव आईजीआईएमएस में अपने एक बीमार परिजन को देखने गए थे। अब लालू जी वहां गए तो वहां कि व्यवस्था देखेंगे ही, वो महागठबंधन के नेता हैं। वैसे भी लालू जी ने वहां सिर्फ बातचीत की थी कोई निर्देश नही दिया था.
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