आत्‍महत्‍या नाम सुनते ही दिल दहल सा जाता है। रोंगटे खड़े हो जाते हैं और धड़कने तेज हो जाती है। लेकिन क्‍या कभी आप ने सोचा है कि जो लोग आत्‍महत्‍या करते हैं उनकी मनोस्थिती क्‍या होती होगी। वो क्‍या सोचते होंगे। शायद हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। दुनिया का इतिहास उठा कर देखने पर कई ऐसी दिल दहला देने वाली घटनाएं मिलती हैं जिन्‍हें सोचने मात्र से इंसान का दिल दहल जाता है। हम आप को ऐसी दस सामूहिक आत्‍महत्‍याओं के बार में बताएंगे जिन से दुनिया स्‍तब्‍ध रह गई।


2- पृथ्वी छोड़ कर आसमानी दुनिया में जाने के लिए हैवेन गेट अवे टीम के 39 लोगों आत्महत्या की थी26 मार्च 1937 को 39 लोगों को मृत पाया गया था। जहां वे साफ़-सुथरे कपड़ों में बैगनी कपड़े ओढ़ के लेटे हुए थे। उन्हें सभी को किसी हिप्नोटाइज कर दिया था। मौत के बाद वे दूसरी दुनिया यानी जन्नत का हिस्सा बन जाएंगे। उन्हें जन्नत लेजाने के लिए उड़नतश्तरी आएगी। जन्नत का हिस्सा बनने की में उन्होंने वोदका और अनानास के साथ फेनोर्बाबिटल का सेवन किया था। अपनी सांस रोकने के लिए उन्होंने अपने गले में प्लास्टिक बांध कर अपनी जान दी थी। 4- बादुंग शहर के परिवारों ने डच सेना से बचने के लिए की थी आत्महत्या


डच आर्मी ने बाली के बादुंग शहर पर सन् 1906 मे हमला किया था। तब बाली के अधिकारियों को इस बात का पूरा अंदाज़ा हो गया था कि वे डच आर्मी से नहीं जीत पायेंगे। दुश्मनों के हाथ लगने के बजाय उन्होंने एक-दूसरे को ही मारना ठीक समझा। अपने परिवार के सदस्यों को लोगों ने खुद ही मार डाला। डच सेना के पहुंचने से पहले ही पूरा शहर खून में नहा चुका था। छोटे-छोटे बच्चों को भी नहीं बख्शा गया था। पूरे शहर का नज़ारा कुछ ऐसा था कि इसे देख कर डच सैनिक तक सदमें में आ गए थे।6- सन् 1945 जर्मनी में साइनाइड चाट कर दी थी हजारों लोगों ने जानजर्मनी में हजरों लोगों ने अलग-अलग कारणों से सन् 1945 में आत्महत्याएं कर लीं थी। इनमें एक वजह डेमिन शहर की आतमहत्याएं थीं। जर्मनी की द्वितीय विश्व युद्ध में हार भी इन सामूहिक आत्महत्याओं का कारण थी। युद्ध के अंतिम दिनों में अधिकतर जर्मनवासियों को अपनी हार का अंदाज़ा हो गया था। उन्होंने साइनाइड कैप्सूल खाकर सामूहिक आत्महत्या की थी।8- चित्तौड़ की रानियों ने किया था जौहर

शाही राजपूत घरानों की औरतें दुश्मनों से युद्ध में हारने की सूचना मिलने पर सामूहिक आतमदाह कर लेती थीं इसे जौहर कहा जाता था। चित्तौड़ के राणा सांगा खानवा के युद्ध के बाद सन् 1528 में चल बसे। उनकी मौत के बाद मेवाड़ और चित्तौड़ का इलाका उनकी विधवा पत्नी रानी कर्णवती के जिम्मे आ गया। राणा सांगा की मौत के बाद गुजरात के बहादुर शाह ने चित्तौड़गढ़ पर कब्जा कर लिया था। चारों तरफ़ से युद्ध के बादल घिरने के बाद जब मदद की उम्मीद उन्हें नजर नहीं आई तो महारानी ने 8 मार्च, 1535 को राज्य की महिलाओं के साथ जौहर कर लिया था। राजस्थान और चित्तौड़ में ऐसी कई दंतकथाएं आज भी सुनी जाती हैं।10- जोन्सटाउन में 900 लोगों ने की थी सामूहिक आत्महत्यासन् 1978 में पीपल टेम्पल ग्रुप नामक धार्मिक संगठन के 900 लोगों ने जोन्सटाउन में सामहिक रूप से आत्महत्या की थी। गुयाना के जोन्सटाउन में 18 नवम्बर सन् 1978 को पीपल टेम्पल ग्रुप नामक धार्मिक संगठन के 900 लोगों की लाशें मिलीं। उन्होंने आत्महत्या करने के लिए जहरीला पेय पदार्थ पिया था। वहां मौजूद 300 बच्चों को जबरदस्ती जहरीले इंजेक्शन दिए गए थे।

Posted By: Prabha Punj Mishra