आज 21वीं सदी में परंपराओं को अंधविश्‍वास समझ कर उन्‍हें मानने से इंकार कर दिया जाता है। लोगों को यह लगता है कि ये सब महज टाइम पास हैं लेकिन शायद वे यह भूल जाते हैं कि इस दुनिया में कुछ भी बेकार नहीं हैं। ठीक इसी तरह धार्मिक परंपराओं के पीछे भी कई साइंटिस्‍ट लॉजिक भी होते हैं। जो हमारे जीवन के लिए काफी महत्‍वपूर्ण होते हैं। आइए जानें इन 10 धार्मिक परंपराओं के पीछे छिपे विज्ञान के बारे में...

 


सोना-चांदी खरीदना:

शुभअवरों पर सोना व चांदी खरीदना काफी शुभ माना जाता है। सोने-चांदी की कीमत हमेशा बाजार के हिसाब से घटती बढती रहती है। इससे परिवार को आर्थिक-स्थिरता मिलती है।

होली में रंग:
होली में रंग खेलना कम पसंद करते हैं। लोगों को लगता है कि रंग खेलने से त्वचा को काफी नुकसान पहुंचता है, लेकिन यह लोगों की भूल है। गीला व सूखा अबीर रोम छिद्रों से जाकर बॉडी के Ions को मज़बूत करता है। इससे त्वचा और ज्यादा खिल जाती है।

रमज़ान में व्रत:
व्रत रखने से पाचन क्रिया ठीक रहती है। इसीलिए रमजान का व्रत रखा जाता है। रमजान में सूरज निकलने से पहले हल्का भोजन और सूरज छिपने के बाद मीठा भोजन खाया जाता है। इससे शरीर में रक्त-चाप और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है।

मंदिर जाना:
मंदिरों में मैग्नेटिक और इलेक्ट्रिक वेव से शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा केंद्र में स्थापित मूर्तियों की दक्षिणावर्त परिक्रमा करने से शरीर शरीर को ऊर्जा मिलती है।


दही खाना:

किसी शुभ काम के लिए जाने से पहले दही खाने को कहा जाता है। यह काफी पुरानी परंपरा है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि इससे पाचन-शक्ति बेहतर होती है और लोग काफी अच्छा फील करते हैं।

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Posted By: Shweta Mishra