108 के संचालन में कॉल सेंटर एप्लीकेशन का अड़ंगा
कैंप कंपनी के सामने कॉल सेंटर एप्लीकेशन को तैयार करने का चैलेंज
जीवीके ने अपनी एप्लीकेशन देने से किया इनकार देहरादून, राज्य में इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा 108 के संचालन के लिए नई कैंप कंपनी के सामने कॉल सेंटर एप्लीकेशन का अड़ंगा लग गया है. राज्य में 108 का संचालन जीवीके ईएमआरआई द्वारा देखने के बाद अब जिम्मेदारी कैंप, कम्युनिटी एक्शन थ्रो मोटिवेशन प्रोग्राम कंपनी को मिली है, जिसे 31 मार्च तक टेकओवर लेना है. जीवीके ईएमआरआई कंपनी जिस कॉल सेंटर एप्लीकेशन को यूज कर रही है, वो नई कंपनी को नहीं सौंपेगी. जबकि कैंप कंपनी का दावा है कि टेंडर की शर्तो के हिसाब से जीवीके को पूरा सिस्टम हेंडओवर करना होगा. ऐसे में नई कंपनी कैंप के सामने उत्तराखंड की पूरी डिटेल जुटाने के साथ सारी हेल्थ फैसिलिटी को उसमें शामिल करना बड़ी चुनौती होगी. कैंप के अधिकारी कर रहे मॉनीटरिंगराज्य में 11 साल तक इमरजेंसी सेवा 108 का संचालन देखने के बाद अब जिम्मेदारी कैंप को मिली है, जो कि 31 मार्च तक पूरा सिस्टम अपने हैंडओवर लेने जा रही है. इसके लिए पिछले 3 हफ्ते से कैंप के टेक्नीकल टीम के कर्मचारी 108 के ऑफिस में संचालन का कार्य देख रहे हैं. कैंप के सामने सबसे बड़ी समस्या उत्तराखंड का पूरा डाटा, हॉस्पिटल, हेल्थ सेंटर और हेल्थ की पूरी फैसिलिटी का डाटा तैयार कर कॉल सेंटर एप्लीकेशन को तैयार करना है. कैंप के जीएम प्रोजेक्ट, अनिल शर्मा ने बताया कि टेंडर में इस बात का जिक्र किया गया था कि पुरानी कंपनी नई कंपनी को पूरा सिस्टम उसी स्थिति में सौंपेगी, लेकिन अब कंपनी अपने स्तर से इस पूरे एप्लीकेशन को तैयार कर रही है. वर्तमान में 108 का संचालन कर रही जीवीके ईएमआरआई के स्टेट हेड मनीष टिंकू ने बताया कि उन्होंने महेन्द्रा टेक से इस एप्लीकेशन को तैयार करवाया था, जो कि काफी महंगा है, ऐसे में कंपनी इस एप्लीकेशन को नई कंपनी को नहीं सौंपा जा सकती. उन्होंने इस तरह की शर्त से इनकार कर दिया है.
26 या 27 मार्च को पहला डेमोकैंप के जीएम प्रोजेक्ट, अनिल शर्मा ने बताया कि अब तक कंपनी के पास 650 से ज्यादा एप्लीकेशन्स आ चुकी है. जिनमें से कई सलेक्ट हो चुके हैं जिन्हें लेटर भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि कंपनी को करीब 700 स्टाफ की जरुरत है. जिनमें ईएमटी, पायलट कर्मचारी, डीओ, एचआर आदि अन्य स्टाफ की आवश्यकता है. जिनके सापेक्ष 800 से ज्यादा स्टाफ रखा जाएगा. जो कि जल्द ही भर्ती कर लिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि 26 या 27 मार्च को कंपनी पहले डेमो के माध्यम से संचालन का कार्य देखेगी. इसके बाद अगले एक हफ्ते में पूरा संचालन खुद देखेगी. उन्होंने बताया कि कंपनी सर्विस में किसी तरह की इंटरेप्ट नहीं चाहती है, ऐसे में कोई जल्दबाजी नहीं की जा रही है.
वर्जन टेंडर की शर्तो के अनुसार पुरानी कंपनी को कॉल सेंटर एप्लीकेशन को भी सौंपना चाहिए. हमनें अपने स्तर से इस एप्लीकेशन को तैयार किया जा रहा है. अनिल शर्मा, जीएम प्रोजेक्ट, कैंप ----- टेंडर की शर्तो में कहीं भी कॉल सेंटर एप्लीकेशन का जिक्र नहीं है. नई कंपनी को किसी भी सूरत में एप्लीकेशन नहीं दी जा सकती है. मनीष टिंकू, स्टेट हेड, जीवीके ईएमआरआई ---------------------------------------------- -वर्तमान में 108 सर्विस के तहत 139 एंबुलेंस प्रदेशभर में ऑपरेट की जा रही हैं, जबकि 95 व्हीकल खुशियों की सवारी संचालित हो रही है. -31 मार्च तक कैंप कंपनी को संभालना है संचालन नई कंपनी के लिए शर्ते- -कंपनी प्रतिमाह 1.18 लाख रुपये प्रति एंबुलेंस पर सेवा का संचालन करेगी -सर्विस की सख्त मॉनीटरिंग का प्रावधान -लापरवाही सामने आने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान- शहर व गांव के अलावा दूरस्थ क्षेत्रों को वर्गीकृत किया गया है.
-एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम 20 से 30 मिनट रखा गया है. -अगर एंबुलेंस इसमें टाइम लगाएगी तो उसे जुर्माना देना होगा. - सेवा की गुणवत्ता के तहत फोन कॉल अटैंड नहीं होने व लोगों के साथ व्यवहार पर भी नजर रखी जाएगी.