आप पार्टी के संस्‍थापक सदस्‍य प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के पार्टी से बाहर निकलते ही 'आप' के अंदर का माहौल बिगडता जा रहा है. इन दोनों नेताओं के पीएसी से निकाले जाने के बाद पार्टी के अंदर घमासान शुरु हो गया है. इस बार विरोध के सुर राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्‍य मयंक गांधी ने उठाए हैं. मयंक ने सीधे तौर पर केजरीवाल को ही निशाना बनाया है.

मयंक ने ब्लॉग लिखकर किया हमला
मयंक ने आप पार्टी के अंदर चल रही आपसी खींचतान का जिक्र अपने ब्लॉग में किया. उन्होंने कहा, कि वह पार्टी की अंदरुनी बातों का खुलासा कर रहे हैं और मैं जानता हूं कि इस मामले के बाद मुझे इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. हालांकि मयंक के इस ब्लॉग पर योगेंद्र यादव ने कमेंट करते हुए कहा कि सच को सामने आना चाहिए. मयंक ने अपने ब्लॉग में लिखा, 'प्यारे कार्यकर्ताओं मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक की बातों को शेयर करूंगा. हालांकि इसके लिए मैं माफी चाहता हूं क्योंकि मैं अंदर की बातें बहर बोलने के आदेश को तोड़ रहा हूं. अरविंद कहते थे कि जब वे लोग 2011 में लोकपाल को लेकर ज्वॉइंट ड्रॉफ्ट कमेटी में काम कर रहे थे तो कपिल सिब्बल उनसे कहा करते थे कि बाहरी दुनिया को कुछ न बताएं. इसके जवाब में अरविंद कहते थे कि, देश की जनता को कार्यवाही के बारे में बताना जरूरी होता है.'
अरविंद ने दी थी धमकी
मयंक आगे लिखते हैं कि, 'योगेंद्र यादव के खिलाफ यह आरोप लगाया गया कि वह अरविंद के खिलाफ साजिश रच रहे हैं. हालांकि इस मसले पर कुछ लोगों ने सबूत भी पेश किए. अरविंद के प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव से गंभीर मतभेद थे और आपसी विश्वास की कमी के चलते यह दूरियां और बढ़ती चली गईं. 26 फरवरी की रात जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अरविंद केजरीवाल से मिलने पहुंचे तो उन्होंने साफ कह दिया कि, अगर दोनों लोग पीएसी के सदस्य बने रहेंगे तो वह संयोजक पद पर काम नहीं करेंगे.'
योगेंद्र यादव खुद हट रह थे
मयंक ने अपने ब्लॉग में लिखा, 'योगेंद्र समझ गए थे कि अरविंद केजरीवाल उन्हें पीएसी से हटाना चाहते हैं. जिसके चलते उन्होंने खुद ही हटने की पेशकश की थी. योगेंद्र यादव ने कहा था कि, वह और प्रशांत भूषण स्वत: ही पीएसी से हटने के लिए तैयार हैं. योगेंद्र यादव ने दो विकल्प सुझाए थे कि या तो पीएसी फिर से बनाई जाए या पीएसी काम करती रहे और वह दोनों बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे. इसके बाद केजरीवाल के वफादारों ने विचार-विमर्श किया और उन दोनों को हटाने का प्रस्ताव रखा. मयंक गाधी ने यहां पर सवाल उठाए कि, जब वह दोनों हटने के लिए तैयार थे, तो इस प्रस्ताव को सार्वजनिक रूप से लाने का क्या औचित्य था.'

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari