- कैंडिडेट्स द्वारा एससी, एसटी और ओबीसी के फर्जी प्रमाणपत्र का हो रहा इस्तेमाल

- काउंसिल ने ऐसे मामलों का डाटाबेस तैयार करने का लिया निर्णय

- दाखिलों में फर्जीवाड़े की रोकथाम करना है पहल का मकसद

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DEHRADUN: दाखिलों के वक्त फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे वेटेज लेना अब मुमकिन नहीं होगा। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) अब हर प्रमाणपत्र का हिसाब रखेगी। काउंसिल ने फार्जीवाड़े को रोकने के लिए प्रमाणपत्रों का डाटाबेस तैयार करने का फैसला किया है।

दर्जनों आई थीं शिकायतें

एआईसीटीई ने देशभर के संस्थानों को सर्कुलर जारी करते हुए कहा है कि शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्रों का उपयोग किया जा रहा है। इसे लेकर दर्जनों शिकायतें और फर्जीवाड़े के मामले भी सामने आ चुके हैं। सरकार भी ऐसे फर्जीवाड़ों के मामलों को लेकर चिंतित है। ऐसे में इन मामलों पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है। इसी को देखते हुए काउंसिल ने संस्थानों से ऐसे मामलों की पहचान के लिए तंत्र तैयार करने को कहा है। जिससे दाखिले की प्रक्रिया के दौरान फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के उपयोग की पहचान की जा सके।

काउंसिल करेगी साझा

एडमिशन के वक्त कैंडिडेट्स द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के फर्जी प्रमाणपत्र का इस्तेमाल करने के कई मामले बीते दिनों प्रकाश में आए। मामलों को लेकर संसाधन विकास मंत्रालय ने गंभीर संज्ञान लिए जाने की जरूरत बताई। काउंसिल ने इसी क्रम में देश के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों व अन्य संस्थानों को लेटर जारी करते हुए ऐसे प्रकरणों को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए हैं। काउंसिल ने ऐसे मामलों का डाटाबेस तैयार करने का निर्णय किया है ताकि इसकी रोकथाम के उपाय किये जा सके। इन शिक्षण संस्थानों में ऐसे मामलों का सालाना आधार पर एक डाटाबेस तैयार किया जाएगा जो काउंसिल से साझा किया जाएगा।

एडमिशन के दौरान कैटेगरी कैंडिडेट्स को विशेष रियायत मिलती है। इसी को देखते हुए फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर इस रियायत का फायदा कुछ लोगों द्वारा लिया जाता है। काउंसिल का मकसद है कि एक डाटाबेस तैयार कर ऐसे लोगों को चिन्हित करते हुए कार्रवाई कर ऐसे मामलों की रोकथाम की जा सके। संस्थान अपने मौजूदा और एडमिशन के दौरान कैटेगरी कैंडिडेट्स का डाटा सर्टिफिकेट की जानकारी के साथ काउंसिल से साझा करेंगे। यह पहल ऐसे मामलों पर निश्चित रूप से लगाम लगाएगी।

----- प्रो। प्रमोद कुमार, डायरेक्टर, तुलाज इंस्टीट्यूट

Posted By: Inextlive