हमारी गृहस्थी भी संवारिए 'सीता जी'
6000 रुपए तक था पिछले साल घरेलू मंथली बजट
8000 रुपए तक पहुंच चुका है यह बजट अभी तक 25 फीसदी तक की आई है महंगाई में उछाल -बिगड़ रहा है किचन का बजट -ज्वैलरी खरीदना अब तो सपना हुआ -ब्यूटी प्रोडक्ट भी हुए महंगे prayagraj@inext.co.in PRAYAGRAJ: पिछले कुछ वक्त में महंगाई ने सभी को परेशान किया है। बात चाहे किचन की हो या फिर सजने-संवरने की। प्राइस हाइक की आग हर तरफ बराबर लगी है। डोमेस्टिक गैस से लेकर, प्याज और किचन की अन्य चीजों के दाम आसमान छूने लगे हैं। वहीं गोल्ड भी महंगाई के शिखर पर पहुंचने लगा है। इसके चलते घर की 'फाइनेंस मिनिस्टर' के चैलेंजेज बढ़ गए हैं। इन सबके बीच गृहणियों को उम्मीद है कि आम बजट 2020-21 में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण उन्हें कुछ सौगातें देंगी। साल भर में 25 फीसदी बढ़े किचन आइटम्स के दामकिचन में महंगाई ने जबर्दस्त तड़का लगाया है। पहले तो प्याज ने आंसू निकाले। वहीं नए साल में रसोई गैस सिलेंडर के बढ़े दाम ने झटका दिया। पिछले माह तक जो डोमेस्टिक गैस सिलेंडर 713.50 रुपए में मिल रहा था, वहीं अब यह 732.50 रुपए में मिल रहा है। खाने-पीने की चीजों के दाम पिछले साल में 20 से 25 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। उड़द की दाल पिछले साल इस समय 69 रुपए प्रतिकिलो थी। आज आज की तारीख में यह 90 रुपए प्रतिकिलो में मिल रही है। पिछले साल मंडी में आलू इसी समय आठ रुपए प्रतिकिलो था। इस साल यह 20 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से मिल रहा है। वहीं 18 रुपए प्रतिकिलो वाला गेहूं इस साल 21 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच चुका है।
एक साल में इतने बढ़े किचन के दाम सामान रेट जनवरी 2019 रेट जनवरी 2020 चावल 30.09 34.70 गेहूं 25.59 29.24 आटा 27.39 29.82 चना दाल 66.43 68.15 तुअर दाल 72.84 90.00 उड़द दाल 71.83 91.45 मूंग दाल 75.75 90.15 मसूर दाल 61.81 65.00 मूंगफली का तेल पैक बंद 126.17 135.68 सरसों का तेल 109.35 115.12 वनस्पति तेल 80.58 83.54सोया तेल पैक बंद 91.21 95.14
सूरजमुखी तेल 98.14 103.00 पॉम ऑयल पैक बंद 75.80 80.00 आलू 16.93 20.00 प्याज 18.00 80.00 टमाटर 22.00 20.00 चीनी 38.25 40.00 गुड़ 42.30 50.00 दूध खुला 42.00 45.00 दूध पैकेट 50.00 58.00 खुली चाय 208.00 220.02नमक 16.00 22.00
(रेट वस्तुनुसार रु। प्रति किलो/प्रति लीटर) किचन के लिए यह है उम्मीद -किचन प्रोडक्ट्स के दाम नियंत्रण में लाए जाएं। -डोमेस्टिक गैस के दाम कम होने की है उम्मीद -डेली यूज की चीजों के दाम कम किए जाएं। -सब्जियों के बढ़ते दाम पर भी नियंत्रण किया जाना चाहिए। ---------------- 'सोणा' नहीं रहा सोना महिलाओं को ज्वैलरी पहनना और खरीदारी करना सबसे ज्यादा पसंद है। लेकिन लगातार बढ़ रही महंगाई महिलाओं से यह अधिकार छीन रही है। सोने का भाव पिछले कुछ सालों में काफी ज्यादा बढ़ा है। पिछले एक साल के अंदर तो गोल्ड रेट छह से सात हजार रुपए प्रति दस ग्राम बढ़ा है। जनवरी 2019 में सोने का भाव 34 हजार रुपये प्रति दस ग्राम था, जो इस समय 40,800 रुपये के करीब है। कुछ दिन पहले सोने का भाव, 42,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया था। सेविंग को लेकर ये है महिलाओं की उम्मीदें- -बजट में बिजनेस ग्रोथ के उपायों पर घोषणा होनी चाहिए। -दस लाख पर 30 प्रतिशत का टैक्स स्लैब कम होना चाहिए। -सभी टैक्सपेयर्स के लिए छूट की सीमा ढाई से बढ़ाकर पांच लाख रुपए हो।-सेविंग और एफडी पर ब्याज दरों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
-महिलाओं को स्टार्टअप के लिए भी एडिशनल बेनिफिट दिया जाना चाहिए। -वित्त मंत्री बजट में एजुकेशन और हेल्थ केयर पर ज्यादा फोकस करें। पिछले एक साल में आटा, सरसों तेल, दाल, चावल, चीनी, दूध जैसी अधिकतर जरूरी प्रोडक्ट्स के बढ़ते भाव ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। महंगाई की वजह से लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है। सबसे ज्यादा असर लोअर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास पर पड़ा है। -नीतू सिंह दाल, चावल और आटा के डिब्बे महीना समाप्त होने के पहले खाली हो जाते हैं। औसतन पांच सदस्यों वाले परिवार का राशन का मासिक खर्चा पांच से छह हजार रुपए आता था। लेकिन अब बढ़ती महंगाई के कारण यह खर्च सात से लेकर आठ हजार तक पहुंच गया है। -स्वाती गुप्ता सरकार महिलाओं के ट्रैफिक एक्सपेंस खर्च कम करने के लिए कोई उपाय करे। महंगाई बढ़ने से हर चीज के दाम बढ़ रहे हैं। इसमें ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी बढ़ गया है। साथ ही हमें टैक्स में भी छूट मिलनी चाहिए ताकि सेविंग बढ़ सके। इससे थोड़ी राहत मिलेगी। -अंजली केसरवानी सजना-संवरना हर महिला की ख्वाहिश होती है। लेकिन जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है उसमें अब ज्वैलरी खरीदना, ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदना महिलाओं के लिए सपना होता जा रहा है। एक मध्यम वर्गीय घरेलू महिला के लिए ज्वैलरी खरीदना अब आसान नहीं रह गया है। -वंदना शर्मा घरेलू महिला की सबसे बड़ी प्राथमिकता है रसोई। इस समय सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। रसोई गैस की कीमतें भी नियंत्रण में रहनी चाहिएं। डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों की वजह से बच्चों को स्कूल भेजने तक का खर्च बढ़ गया है। निर्मला सीतारमण से महिलाओं को बड़ी आशा है। -दीप्तिमा सिंह