आसाराम की ज़मानत पर फ़ैसला सुरक्षित
यौन दुर्व्यवहार के आरोप में जेल भेजे गए आसाराम बापू की ज़मानत पर जोधपुर की अदालत ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है. माना जा रहा है अदालत आज दोपहर तक इस बारे में फ़ैसला सुना सकती है.आसाराम की तरफ़ से बचाव पक्ष का कहना था कि रिपोर्ट में काफ़ी विरोधाभास हैं, मेडिकल रिपोर्ट से भी छेड़खानी की गई है. इसके अलावा केस डायरी के पेजों के नंबर नहीं हैं.बचाव पक्ष के वकील की तरफ़ से कहा गया कि लड़की नाबालिग़ है या बालिग़, यह कहना मुश्किल है और उसकी उम्र की जांच होनी चाहिए. बचाव पक्ष का आरोप था कि मीडिया ट्रायल होने की वजह से आसाराम के खिलाफ़ यह हो रहा है.दूसरी तरफ़, सरकारी वकील ने इन सभी बातों का खंडन किया और कहा कि यह गंभीर मामला है और असल में दबाव बनाया जा रहा है.'धमकाने की कोशिश'
अतिरिक्त महाधिवक्ता और सरकारी वकील आनंद पुरोहित के मुताबिक़ पुलिस अधिकारियों को धमकाया जा रहा है और पुलिस उपायुक्त अजय लांबा को धमकी भरे संदेश भेजे गए हैं.सरकारी वकील के मुताबिक़ जांच को प्रभावित करने के लिए दबाव के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.
सरकारी वकील ने अदालत से इन पहलुओं का ध्यान रखने का निवेदन किया और आसाराम को ज़मानत दिए जाने का विरोध किया. उनका कहना था कि इससे मुक़दमे और उसकी जांच पर असर पड़ेगा.
इसके बाद पुलिस ने डॉक्टरों की मदद ली और उनका पुरुषत्व परीक्षण कराया, जो सही पाया गया.पुलिस ने उनसे पूछा था कि 15 अगस्त की रात आश्रम में क्या हुआ था. जानकारी के मुताबिक़ इस पर आसाराम का जवाब था कि बालिका और उसके माँ-पिता खुद यहाँ आए थे.पुलिस ने फिर पूछा कि पीड़िता के साथ अकेले में क्या किया? आसाराम ने कहा, "हम साधना कर रहे थे."जानकारी के मुताबिक आसाराम ने कुबूल किया कि पीड़िता के साथ उन्होंने एक घंटा एकांत में बिताया.