यह भी जानें

-75 परसेंट महिलाओं ने जुलाई माह में बच्चों को जन्म के बाद कराया ब्रेस्ट फीडिंग

-441 बच्चों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में महिलाओं ने जन्म दिया।

-40 बच्चे जन्म के बाद रोए नहीं तो उनको ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराया

-98 महिलाओं ने बच्चों को जन्म देने के बाद नहीं कराया ब्रेस्ट फीडिंग

-303 महिलाओं ने बच्चों को जन्म के बाद ब्रेस्ड फीडिंग

-नवजात बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए शासन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शुरू की पहल

-प्रसव के बाद ब्रेस्ट फीडिंग का डाटा करना होगा अपलोड, न करने पर होगी कार्रवाई

बरेली: मां ने बेबी को ब्रेस्ट फीडिंग कराया या नहीं, इसकी निगरानी अब 'बेबी फ्रेंडली' करेगा। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में जन्म लेने वाले नवजात बच्चों को एक घंटे के अंदर बे्रस्ट फीडिंग कराना अनिवार्य होता है, लेकिन कई बार लापरवाही और अन्य कारणों से बेबी को मां ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पाती, जिससे उन्हें बाद में प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। शासन की ओर से बे्रस्ट फीडिंग कराने के लिए एक एप लांच किया है। इसमें दिन का डाटा फीड करना होगा। साथ ही उस डाटा को मंथली रिपोर्ट से मैच किया जाएगा। इसके बाद अगर गड़बड़ी मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

प्रसव केन्द्रों पर डेली जाएगी टीम

डॉ। सत्येंद्र ने बताया कि क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर 'क्यूएएम' नर्स, और मेंटर सभी प्रसव केंद्र में जाकर डेली बे्रस्ट फीडिंग का डाटा फीड करेंगे। यह डाटा प्रसव केंद्र प्रभारी की तरफ से शासन को भेजा जाएगा। गड़बड़ी होने पर शासन स्तर से कार्रवाई होगी। वहीं बताया कि अभी इस एप से सरकारी हॉस्पिटल में प्रसव कराने वाली प्रसूताओं की निगरानी होगी लेकिन अभी निजी हॉस्पिटल को नहीं रखा गया है। निजी हॉस्पिटल को भी रखने के लिए योजना बनाई जा रही है।

एप पर यह करना होगा फीड

एप में मंडल जिला व क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर, मेंटर का नाम, विजिट की तारीख व समय, प्रसव का समय, प्रसव का प्रकार, बच्चे का वजन, ग्राम, केएमसी, कंगारू मदर केयर, विटामिन के1, म्युकस, नाल काटने का समय, बर्थ कंपैनियन, प्रसूता के साथ कोई है या नहीं, मां की तरफ से स्तनपान की शुरूआत हुई या नहीं, बच्चे ने स्तनपान कब शुरू किया, कहां शुरूआत हुई लेबर रूम, पीएमसी या केएमसी, स्टाफ नर्स और आशा द्वारा इसकी शुरूआत में सहायता प्रदान की गई या नहीं समेत 18 प्वॉइंट की जानकारी फीड करनी होगी।

मातृ-शिशु मृत्यु दर में आएगी कमी

एप लांच करने का मेन मकसद बे्रस्ट फीडिंग के लिए महिलाओं को अवेयर करना है। जिससे मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहे। वहीं स्वास्थ्य विभाग की ओर से अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं। ज्ञात हो एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह भी चलाया जा रहा है।

'मां' के जरिए कर रहे अवेयर

डॉक्टर्स की माने तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा स्तनपान की दर में बढ़ोत्तरी लाने के लिए मां कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत चिकित्सा ईकाईयों को बेबी फ्रेंडली बनाना तभा सभी चिकित्सा इकाईयों में संस्थागत प्रसवों में जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु का मां का दूध पिलाना है। किसी भी चिकित्सा ईकाईयों को बेबी फ्रेंडली घोषित करने के पहले कम से कम तीन महीने तक उसे 80 परसेंट अंक हासिल करना जरूरी होगा।

ब्रेस्ट फीडिंग से बच्चों को यह हैं फायदे

1. शिशु को डायरिया से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

2. संक्रमण नहीं होता और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।

3. मां का दूध शिशु आसानी से डायजस्ट कर लेते हैं। उनका पेट खराब नहीं होता।

4. इससे बच्चों पर चर्बी नहीं चढ़ती है।

5. इससे ब्लड कैंसर, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा कम हो जाता है।

6. बच्चों के दिमाग के विकास तेजी से होता है। उनकी बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।

7. बच्चे के साथ भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है।

8. मां का दूध शिशु को उसी तापमान में मिलता है, जो उसके शरीर का है। इससे शिशु का सर्दी नहीं लगती है।

ब्रेस्ट फीडिंग कराने से मां को यह हैं फायदे

1. प्रेग्नेंसी के बाद होने वाली शिकायतों से मुक्ति मिल जाती है।

2. इससे डिप्रेशन कम होता है और प्रेग्नेंसी के बाद होने वाले रक्तस्त्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

3. बे्रस्ट या गर्भाशय के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

4. ब्रेस्ट फीडिंग एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है।

5. खून की कमी से होने वाले रोग एनिमिया का खतरा कम होता है।

6. वजन कम करने और मोटापे से बचने में मदद करता है।

एप का मेन उद्देश्य ज्ञान जिज्ञासा और क्वालिटी बढ़ाना है। एप के माध्यम से बेबी को ब्रेस्ट फीडिंग की जानकारी शासन स्तर से होगी। इसके लिए विन्दुवार एप पर पूरी डिटेल्स फिल करनी होगी। एप की डिटेल्स प्रसव केन्द्र पर जाकर ही कर्मचारी को फीड करनी हेागी।

डॉ। सतेंद्र, डीसीक्यू (जिला सलाहकार क्वालिटी इंश्योरेंस)

Posted By: Inextlive