अटलांटिक महासागर के पश्‍चिमी हिस्‍से में स्‍थित बरमूडा ट्राएंगल कितना रहस्‍यमयी है यह हम सभी जानते हैं। यहां से कई एयरक्राफ्ट और जहाज यहां से गायब हो चुके हैं लेकिन इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया। लेकिन अगर हम वेदों पर नजर डालें तो इस रहस्‍य से जुड़े कुछ सुराग मिलते हैं जो बताते हैं कि आखिर कहां गायब होते हैं ये जहाज...

चुंबक की तरह खींच लेता है
बरमूडा ट्राएंगल के रहस्य को सुलझाने के कई दावे किए जा चुके हैं लेकिन अभी इसका पुख्ता प्रमाण कुछ भी नहीं मिला। अभी तक जितना सुनने में आया है कि बरमूडा ट्राएंगल के अंदर एक पिरामिड छुपा है, जो चुम्बक की तरह हर चीज़ को खींचता है। लगातार जहाजों के गायब होने के चलते तकरीबन 500 साल बाद इसे 'डेंजर रीजन' का नाम दिया गया। बताया तो यह भी जाता है कि साल 1492 में अमेरिका की यात्रा के दौरान कोलम्बस ने भी यहां पर कुछ चमकता हुआ देखा जिसके बाद उनका मैग्नेटिक कंपास खराब हो गया था।

अथर्व वेद का यह है कहना
अथर्व वेद में कई रत्नों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से एक रत्न है दर्भा रत्न है। उच्च घनत्व वाला यह रत्न न्यूट्रॉन स्टार का एक बहुत ही छोटा रूप है। दर्भा रत्न का उच्च गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र, उच्च कोटि की एनर्जेटिक रेज़ का उत्त्सर्जन और हलचल वाली चीज़ों को नष्ट करना आदि गुणों को बरमूडा ट्रायंगल में होने वाली घटनाओं से जोड़ा जाता है। इस क्षेत्र में दर्भा रत्न जैसी परिस्थिति होने के कारण अधिक ऊर्जावान विद्युत चुंबकीय तरंगों का उत्त्सर्जन होता है और वायरलेस से निकलने वाली इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तरंगों के इसके संपर्क में आते ही वायरलेस ख़राब हो जाता है और उस क्षेत्र में मौजूद हर चीज़ नष्ट हो जाती है।

Interesting News inextlive from Interesting News Desk

 

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari