कड़कड़ाती ठंड में जमीन पर 'सोना'
-9वीं बिहार जूनियर महिला हॉकी प्रतियोगिता के खिलाडि़यों के साथ आखिर यह अनदेखी क्यों?
PATNA: देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी के साथ खेल प्रबंधन द्वारा हमेशा मजाक किया जाता है। ताजा मामला पटना में आयोजित हुए राज्य स्तरीय 9वीं बिहार जूनियर महिला हॉकी प्रतियोगिता से जुड़ा है। इसमें खेलने आई अंडर-19 की महिला खिलाडि़यों को सोने के लिए बेड तक नसीब नहीं हुआ। हैरत की बात ये है कि इतनी ठंड में खिलाडि़यों को जमीन पर ही सोना पड़ा। प्रबंधन द्वारा सिर्फ गद्दे और कंबल की व्यवस्था की गई। नाम नहीं छापने की शर्त पर प्लेयर ने बताया कि रातभर ठंड से कंपकंपाते रहे और दिन में मैच खेला। एनर्जी जूस की जगह पानीहॉकी खिलाडि़यों को तरोताजा रखने के लिए जूस दिया जाता है। लेकिन शास्त्री नगर गर्ल्स हाईस्कूल में आयोजित राज्य स्तरीय महिला हॉकी प्रतियोगिता में खिलाडि़यों को सुबह नाश्ता, दोपहर और रात का खाना दिया गया। इसके साथ ही खेल से पहले और सुबह उठने के बाद जूस तक नहीं दिया गया। ऐसे में ये खिलाड़ी बिहार का क्या नाम रोशन करेंगी जब इनकी सुविधा को भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
धक्का खाते हुए गए खिलाड़ीप्रतियोगिता में बक्सर, लखीसराय, सीवान, पूर्णिया और भोजपुर की महिला टीमें खेलने आई थी। मैच खेलने के लिए जो टीम बाहर से आई थी उनके लिए बस की व्यवस्था भी नहीं की गई थी। आम लोगों के तरह ये खिलाड़ी बस में धक्का खाते हुए शास्त्री नगर स्कूल पहुंची। मैच जीतने के बाद ये खिलाड़ी वैसे ही धक्का खाते हुए बस स्टैंड गई और वहां से बस पकड़ पूर्णिया के लिए रवाना हुई। सवाल यह है कि आखिर राष्ट्रीय खेल हॉकी को लेकर यह किसकी गलती है।
मैं अभी बाहर हूं। मुझे जहां तक पता है खिलाडि़यों को बेड दिया गया था। मैं इस मामले में पता कर लेता हूं। जहां तक जूस की बात है तो इतना बजट हम लोगों को नहीं मिल पाता। -रोशन कुमार, कनवेनर, बिहार हॉकी एसोसिएशन