शहरी इलाकों में लगातार नीचे जा रहा पानी का लेवल

पिछले पांच साल में 3 से 4 फीट तक का आया अंतर

गंगा से बढ़ती दूरी और रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं होना चिंताजनक

PATNA: पानी जिसके बिना जीवन संभव नहीं। यानी जल ही जीवन है। लेकिन स्थिति है कि दुनिया भर में और भारत के कई शहरों में पीने के पानी के लिए आए दिन झगड़े-झंझट की खबरें आती रहती हैं। ये भी कहा जा रहा है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए ही होगा। चाहे दिल्ली हो, मुंबई हो, कोलकाता हो या फिर पटना सिटी। गंगा किनारे होने के बावजूद पटना सिटी के कई इलाकों में पीने के पानी की गंभीर समस्या है। गर्मी के दिनों में कई जगहों पर पानी के लिए लंबी लाइन लगती है।

लाखों की आबादी के लिए नहीं है पर्याप्त पानी

ख्भ् लाख से ज्यादा की आबादी वाले पटना शहर में नगर निगम वाटर बोर्ड के जरिए पाइपलाइन से पानी की सप्लाई करता है। हालांकि बढ़ती आबादी और शहरीकरण के मुताबिक पाइपलाइन और पानी की सप्लाई उस अनुपात में नहीं हो पाई है। पटना के कई इलाकों में आज भी पाइपलाइन से पानी की सप्लाई नहीं है। समस्या की गंभीरता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने अपने सात निश्चयों में हर घर नल से जल को भी प्राथमिकता दी है।

वाटर लेवल नीचे जा रहा और ग्राउंडवाटर हो रहा प्रदूषित

पिछले दस सालों में गौर करें तो पटना शहर से गंगा करीब ख् किलोमीटर तक दूर जा चुकी है। गंगा के दूर जाने का मतलब है वाटर लेवल पर फर्क पड़ना। सिर्फ यही नहीं, एनवायरनेंट और वाटर मैनेजमेंट से जु़ड़े विशेषज्ञों की राय की भी लगातार अनदेखी हो रही है। राज्यस्तरीय एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी की अप्रेजल कमिटी के सदस्य प्रो। एस के सिंह के मुताबिक हर सरकारी बिल्डिंग और अन्य बड़े अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी है। इसे ग्रीन बिल्डिंग कॉनसेप्ट के नाम से जाना जाता है। इसमें सोलर एनर्जी भी शामिल है। लेकिन पटना में इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

बॉक्स

पटना शहर की आबादी ख्म् लाख(लगभग)

पटना में वार्डो की संख्या 7ख् वार्ड

पाइपलाइन से सप्लाई क्ब् लाख लोगों को(लगभग)

शहरी क्षेत्र में ग्राउंड वाटर लेवल भ्0-म्0 फीट

प्रति व्यक्ति पानी की जरूरत क्फ्भ् लीटर प्रति दिन

प्रति व्यक्ति पानी की सप्लाई 80 लीटर (लगभग)

कोट

पटना में पानी का लेवल अभी ज्यादा चिंताजनक नहीं है। लेकिन ग्राउंड वाटर का पॉल्यूट होना काफी चिंताजनक है। पटना के आसपास के इलाकों में पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड का हाई लेवल भी काफी अलार्मिग है। खासकर पटना शहर में जिस तरह ग्राउंडलेवल पानी का दोहन हो रहा है, उस अनुपात में वाटर रिचार्ज नहीं हो रहा है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग बहुत जरूरी है, लेकिन सरकारी विभाग भी इसे फॉलो नहीं कर रहे हैं। जिससे आने वाले समय में पटना के कई इलाकों में पानी की गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है-

-प्रो। एस के सिंह, एनवायरमेंट एंड वाटर मैनेजमेंट, ए एन कॉलेज, पटना

कोट

पटना शहर में पानी का लेवल अभी ज्यादा चिंताजनक नहीं है। वाटर बोर्ड की तरफ से हम 7ख् फीट तक की गहराई तक से पानी की सप्लाई करते हैं। लेकिन सभी इलाकों में पानी की सप्लाई नहीं है। करीब ब्भ् फीसदी लोग खुद की बोरिंग से पानी निकाल रहे हैं। लेकिन पानी का अनुचित तरीके से दोहन और बर्बादी रोकना जरुरी है। क्योंकि पिछले दस साल में करीब पांच फीट तक पानी का स्तर घटा है। गर्मी के दिनों में तो पटना शहर में वाटर लेवल क्भ् फीट तक नीचे चला जाता है-

अनिल कुमार, अधीक्षण अभियंता, बिहार राज्य जल पर्षद, पटना

Posted By: Inextlive