किसानों के आर्द्र भूमि में बनेंगे तालाब
PATNA: सात से आठ माह तक पानी में डूबी रहने वाली आर्द्र भूमि किसानों के लिए आय का जरिया बनेगी। राज्य सरकार ने प्रदेश की आर्द्र भूमि को मछली पालन के लिए विकसित करने का फैसला किया है। इसमें पटना, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, सुपौल, सहरसा, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्णिया, मधेपुरा और अररिया जिले शामिल हैं। पटना समेत एक दर्जन जिले की आर्द्र भूमि में तालाब विकसित किए जाएंगे।
एक एकड़ पर भ् लाख खर्चजानकारी के अनुसार प्रदेश में आर्द्र भूमि नौ लाख हेक्टेयर में फैली है। यह इलाका साल के सात से आठ महीने तक पानी में डूबा रहता है। इसके चलते किसानों को जमीन से ज्यादा लाभ नहीं होता है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा प्रदेश में मछली का उत्पादन बढ़ाने को आर्द्र भूमि में तालाब बनाने का फैसला लिया गया है। पिछले साल मोकामा टाल के इलाके को पाइलट प्रोजेक्ट के तौर पर चयनित किया गया था। मछली पालन में रुचि रखने वाले किसानों से आवेदन मांगे गए गए थे। कई किसानों ने मछली पालन करने के लिए अपनी भूमि पर तालाब बनाने का आवेदन दिया। विभाग द्वारा एक एकड़ का तालाब बनाने पर पांच लाख रुपए खर्च की सीमा तय की गई।
मछली उत्पादन पर एक नजर
मछली का उत्पादन : भ् लाख मीट्रिक टन मछली की खपत : म्.भ् लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य : 8 लाख मीट्रिक टन प्रदेश में आर्द्र भूमि : 9 लाख हेक्टेयर