15 दिसंबर 1924 को जन्‍में नेक चंद सैनी चंडीगढ़ के प्रसिद्ध 'रॉक गार्डन' के शिल्पकार थे। इन्‍होंने ही चंडीगढ़ को रॉक गार्डन की पहचान दी। अब आप सोच रहे होंगे कि इस रॉक गार्डन में ऐसी क्‍या खास बात है। बता दें कि बड़ी बात ये है कि कचरे के ढेर से तैयार किया गया ये 'रॉक गार्डन' अपने आप में नायाब है। इसी गार्डन के निर्माण को लेकर भारत सरकार ने इन्‍हें 1984 में पद्मश्री पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया। आइए ऐसे कामयाब शिल्‍पकार नेकचंद के बारे में जानें कुछ ऐसा जिसे जानकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे।

1 . 15 दिसंबर 1924 को इनका जन्म पाकिस्तान में हुआ था।
2 . इनके बनाए 'रॉक गार्डन' के कंस्ट्रक्शन साइट पर गौर करें तो अहम बात ये है कि इसको पूरी तरह ये री-साइकल्ड मटीरियल से तैयार किया गया है।
3 . टूटे हुए चीनी मिट्टी के मग और प्लेट के टुकड़ों से मूर्ती, कांच की चूड़ियों को पंछियों का आकार, सेरेमिक के बेकार हो चुके फ्यूज़ प्लग से कलाकृति। वह तमाम चीज़ें जिन्हें लोग अक्सर बेकार समझकर कूड़े के ढेर का हिस्सा बना देते हैं। एक रोड इंस्पेक्टर ने उन्हें तराशकर कुछ यूं सहेज दिया।  
4 . नेक चंद ने इस 'रॉक गार्डन' पर 1957 से काम करना शुरू कर दिया था और अथॉरिटी को इसके बारे में 1975 में मालूम पड़ा।
5 . जनता की राय है कि इनके रॉक गार्डन को विध्वंस से बचाने में हर पुरजोर मदद की जाए।
6 . एक बार तो एक अफसर ने रॉक गार्डन पर बुलडोज़र तक चलाने की कोशिश की, लेकिन इसको बचाने के लिए चंडीगढ़ की जनता उनके साथ खड़ी हो गई।

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Posted By: Ruchi D Sharma