सेहत के लिए खतरा बन रहा 'स्ट्रोक'
जल्दी पता नही चलते हैं साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
PRAYAGRAJ: हार्ट अटैक का पता तो चल जाता है। लेकिन, ब्रेन स्ट्रोक की जानकारी नही हो पाती। दिमाग की नसें फटने से ब्लीडिंग बढ़ जाती है और पेशेंट गंभीर अवस्था में चला जाता है। अब तो छोटी उम्र के लोग भी इसका शिकार बनने लगे हैं। इसे साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक कहा जाता है। अनियमित जीवनशैली व शारीरिक सक्रियता की कमी से स्ट्रोक या ब्रेन अटैक का खतरा बढ़ जाता है। नजरअंदाज न करें तेज सिरदर्द डॉक्टर्स का कहना है कि तेज सिरदर्द हो रहा है तो उसे कतई नजरअंदाज न करें। यह स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है। ऐसी स्थिति में सिरदर्द की दवा लेने से राहत मिल जाती है। लेकिन, लगातार ऐसा करना घातक है। सिर की धमनियों में खून का थक्का बनने या बीपी अधिक होने से हार्ट पर अधिक प्रेशर पड़ता है।इससे स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती हैं।
डायबिटीज के रोगियों में भी ब्रेन स्ट्रोक की संभावना अधिक होती है। बचाव -धूम्रपान न करें -शराब न पिएं -संतुलित आहार लें -वसायुक्त आहार अधिक मात्रा में न लें -नमक कम मात्रा में खाएं -नियमित व्यायाम करें -शारीरिक सक्रियता बनाए रखें -वजन नियंत्रित रखें -रक्तचाप नियंत्रित रखें-रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रित रखें
-कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रखें -हृदय रोगी नियमित जांच करवाएं इन बातों का रखें ध्यान व्यक्ति को तत्काल हॉस्पिटल ले जाएं। शरीर के एक हिस्से में दिक्कत होना। बोलने, समझने और देखने में तकलीफ बिना किसी कारण अचानक चक्कर या सिरदर्द। महत्वपूर्ण तथ्य स्ट्रोक के दस फीसदी मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। 25 फीसदी मामूली विकृति के साथ ठीक होते हैं। 40 फीसदी हल्की से लेकर गंभीर विकलांगता के शिकार हो जाते हैं। उन्हें विशेष देख-रेख की ज़रूरत पड़ती है। 10 फीसदी की नर्सिग होम या दीर्घकालिक देखरेख की जरूरत होती है। 15 फीसदी मरीज स्ट्रोक के कुछ समय बाद मर जाते हैं। शुरुआती लक्षणों को पहचानने के साथ मरीज को स्ट्रोक के खतरे से बचाया जा सकता है। हमें अपनी जीवनशैली को नियंत्रित करना होगा। शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम जरूरी है। इससे मन, मस्तिष्क और देह तीनों स्वस्थ रहते हैं। डॉ। प्रकाश खेतान, न्यूरो सर्जन, प्रयागराज