Allahabad: क्या आपको इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन लेना है या फिर पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करना चाहते हैं. एडमिशन कहीं भी लेना हो इसके लिए आपको सीएमओ ऑफिस जाकर मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना पड़ेगा. लेकिन सीएमओ ऑफिस से मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना इतना आसान भी नहीं है. सर्टिफिकेट बनवाने के स्टूडेंट्स को घंटों मशक्कत करनी पड़ रही है. मॉर्निंग में क्यू में लगने के बाद शाम तक ही नंबर आ पाता है. कभी-कभी तो दिनभर की भाग-दौड़ के बाद भी सक्सेस नहीं मिलती. इंजीनियर बनने की चाह रखने वाले सुनील और अतुल दुबे तो यहां तक कहते हैं कि सर्टिफिकेट बनवाना किसी जंग को जीतने से कम नहीं है.



सुबह आठ बजे लाइन में लगे

सुनील यादव चौफटका के रहने वाले हैं. उनके फ्रेंड अतुल दुबे कैंट में रहते हैं. दोनों इंटर के बाद इंजीनियर बनना चाहते हैं. दोनों का यूपीटीयू में सेलेक्शन हो चुका है. इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन से उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना था. अतुल ने बताया कि उसके फ्रेंड ने पहले ही बता दिया था कि इंटरनेट से मेडिकल सर्टिफिकेट का पेज डाउनलोड करके प्रिंट आउट निकाल लेना. फिर सीएमओ ऑफिस जाने से पहले बेली हॉस्पिटल जाना. अतुल और सुनील ने यही किया. ट्यूजडे की सुबह आठ बजे सुनील और अतुल बेली हॉस्पिटल पहुंच गए. वहां पर एक रुपए की पर्ची बनवाने के लिए लम्बी लाइन लगी थी. दोनों लाइन में लग गए.

एक घंटे बाद नंबर आया

डॉक्टर को दिखाने के लिए पर्ची बनवाने में ही एक घंटे का समय लग गया. वहां से रूम नंबर 16 में दोनों पहुंचे. वहां भी लम्बी लाइन पहले से लगी थी. कम से कम दो घंटे की मशक्कत के बाद रूम नंबर 16 में एंट्री मिली, जहां डॉक्टर ने कलर ब्लाइंडेस की जांच की और अपनी रिपोर्ट लगाई. फिर वहां से दोनों रूम नंबर 8 में गए, जहां पर उनकी हाइट मापी गई. फिर उन्हें रूम नंबर 19 में भेज दिया गया. दोनों स्टूडेंट वहां पहुंचे तो वहां के कर्मचारियों ने सीधे सीएमओ ऑफिस जाने को कहा.

CMO office में भी वही हाल

सीएमओ ऑफिस पहुंचते-पहुंचते 12 बच चुके थे. एक बार फिर अतुल और सुनील को एक लम्बी लाइन में लगनी थी. सुनील को एक डॉक्युमेंट की फोटो कॉपी करानी थी. वहां सीएमओ ऑफिस के बगल की शॉप पर पहुंचा तो उसे एक कॉपी कराने में पांच रुपए खर्च करने पड़े. फिर एक घंटे और लाइन में लगने के बाद बेली के डॉक्टर की रिपोर्ट को देखने के बाद उसका हाइट चेक हुआ.

तीन बजे मिला

डॉक्टर की पर्ची फिर वहीं पर जमा हो गई थी. सीएमओ ऑफिस वालों ने बताया कि अब आप लोग बाहर जाकर इंतजार करें. सर्टिफिकेट बनते ही आपको कॉल किया जाएगा. कैंपस में ही अतुल और सुनील दूसरों लड़कों की तरह इंतजार करने लगे. करीब तीन बजे सुनील यादव का नाम पुकारा गया. पता चला कि उसका सर्टिफिकेट बन गया है. लेकिन साढ़े तीन बजे तक अतुल को सर्टिफिकेट नहीं मिला था. कुछ इस तरह सीएमओ ऑफिस में बन रहा है मेडिकल सर्टिफिकेट. सर्टिफिकेट बनवाना स्टूडेंट्स की मजबूरी है. यही वजह है कि वो प्रॉब्लम फेस करने को विवश हैं.

Posted By: Vijay Pandey