-शहर में चाइनीज मांझा से कई लोग हुए जख्मी

-बैन के बाद भी बाजारों में बिक रहा बिना चाइनीज मांझा

केस-1

दो दिन पहले बाइक से महमूरगंज-मंडुवाडीह आरओबी से दवा कारोबारी महेश अग्रवाल मढ़ौली जा रहे थे। फ्लाईओवर से उतरते ही उनका चेहरा डै्रगन के मांझे ने काट दिया। गंभीर रुप से घायल महेश ने पास के ही एक प्राइवेट क्लिनिक में जाकर उन्होंने अपना इलाज कराया।

केस-2

श्रीनगर कॉलोनी निवासी विनय शुक्ल बाइक से सिगरा के लिए निकले। रास्ते में सिद्धगिरी बाग पहुंचते ही अचानक उनके चेहरे के पास मांझा आ गया। हेलमेट होने की वजह से चेहरा तो बच गया, लेकिन गर्दन जख्मी हो गयी। उन्होंने तत्काल अपना इलाज पास के ही एक सर्जन से कराया।

ये तो सिर्फ दो केस आपको बताने के लिए हैं। शहर में एक महीने से चाइनीज मंझा बिक रहा है, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया गया। इसके चलते हर दिन किसी का चेहरा या किसी की गर्दन कट रही है। मकर संक्रांति का त्योहार जैसे-जैसे करीब आ रहा है, उसी रफ्तार से चाइनीज और कांच के मांझे का अटैक भी बढ़ गया है। हर रोज कहीं न कहीं ये मांझा लोगों के गले की फांस बन रहा है। पिछले साल चाइनीज मांझे को लेकर मिले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने इसकी बिक्री पर रोक लगाई थी, लेकिन इस बार पुलिस की लापरवाही से पतंग की दुकानें चाइनीज मांझे से पटी पड़ी हैं और लोगों को आसानी से उपलब्ध भी हो जा रही है।

प्रशासन सुस्त, पुलिस मौन

चाइनीज मांझा इंसानों के लिए तो खतरनाक है। साथ ही बेजुबान परिंदे भी इसमें फंसकर अपनी जान गंवा रहे हैं। बैन के बावजूद शहर के प्रमुख बाजारों में चाइनीज मांझा की बिक्री हो रही है। लेकिन प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया। पुलिस महकमा भी मौन है। स्थानीय थानों ने भी इसके खिलाफ अभियान नहीं चलाया। ऐसे में पब्लिक के पास एहतियात बरतने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

यहां मौजूद है चाइनीज मांझा

दालमंडी और औरंगाबाद जैसे बड़े मार्केट के साथ ही कोयला बाजार, मच्छोदरी, शिवाला, लंका, नवाबगंज, सुंदरपुर, लल्लापुरा, औरंगाबाद, अर्दली बाजार, पाण्डेयपुर, पंचक्रोशी समेत कई बाजारों में चाइनीज मांझा बिक रहा है। सिटी में पांच सौ से अधिक दुकानों से मांझे की बिक्री हो रही है। इनमें से कई दुकानें थाना, चौकी और पुलिस पिकेट के पास मौजूद हैं। प्रमुख बाजार दालमंडी और औरंगाबाद से ही पूरे पूर्वाचल-बिहार तक चाइनीज मांझा की सप्लाई होती है।

मामला मोटी कमाई का

बेहद शार्प होने की वजह से चाइनीज मांझे की अच्छी डिमांड रहती है। पतंगबाज इसके लिए मुंहमांगी रकम अदा करने को तैयार रहते हैं। शहर में बिकने वाला चाइनीज मांझा इसे भले ही कहते हैं लेकिन इसे अलीगढ़, बरेली, आगरा में ही तैयार किया जाता है। कई बड़े दुकानदार बनारस में ही इसे बनाते हैं। सामान्य मांझा को शार्प बनाने के लिए उसमें तागे के तौर पर नायलोन का इस्तेमाल किया जाता है। इस पर केमिकल केसाथ शीशे के बुरादे का लेप भी लगाया जाता है।

बेजुबान की जा रही जान

यह मांझा नीचे लोगों के शरीर को काट रहा है तो आसमान में उड़ने वाले पक्षियों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। उनके पंखों में उलझकर उनकी जान ले रहा है। इसके साथ ही प्लास्टिक के बिजली के तारों को भी काट रहा है। जिससे आपकी बिजली भी गुल हो रही है।

खुद की सेफ्टी बहुत जरूरी

कल यानी 15 को मंकर संक्रांति है। इस मौके पर पूरे दिन जमकर पंतगबाजी होती है। बच्चे ही नहीं, बड़े भी पंतग उड़ाने मशगूल रहते हैं। चाइनीज मंझे से जख्मी होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में खुद की सेफ्टी जरुरी है। ऐसे में बिना हेलमेट बाइक न चलायें। तेज गति से बाइक न चलाएं। गर्दन में गमछा, मफलर, स्कार्प जरूर बांधे रखें। छोटे बच्चों को बाहर ले जाने से बचें।

शहर में प्रतिबंधित चाइनीज मांझा की बिक्री और खरीद की शिकायत मिल रही है। स्थानीय पुलिस सख्ती बरत रही है। बावजूद इसके अगर किसी को जानकारी होती है तो नजदीकी थाना/चौकी, डायल-112 पर सूचना दें, ताकि कार्रवाई की जा सके।

- प्रभाकर चौधरी, एसएसपी

Posted By: Inextlive