फर्जीवाड़ा के मामले में सहायक विकास अधिकारी समाज कल्याण विभाग सुनील कुमार अतिरिक्त प्रभारी बेरूआरबारी भानू प्रताप और विभाग के पटल सहायक रवींद्र गुप्ता एवं वरिष्ठ सहायक पिछड़ा वर्ग कल्याण वीरेंद्र कुमार के अलावा 14 आरोपितों के खिलाफ मनियर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

वाराणसी (ब्यूरो)बलिया में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले 17 गिरफ्तार आरोपितों के खिलाफ पुलिस चार्जशीट लगाने की तैयारी में है। एसपी देवरंजन वर्मा का कहना है कि हर हाल में सोमवार तक चार्जशीट कोर्ट में पहुंच जाएगी। इस मामले में चार सरकारी अधिकारियों के अलावा 13 आरोपित अभी भी जेल में हैं। पुलिस की कड़ी पैरवी के चलते स्थानीय अदालत से उन्हें राहत नहीं मिल सकी।

फर्जीवाड़ा के मामले में सहायक विकास अधिकारी समाज कल्याण विभाग सुनील कुमार, अतिरिक्त प्रभारी बेरूआरबारी भानू प्रताप और विभाग के पटल सहायक रवींद्र गुप्ता एवं वरिष्ठ सहायक पिछड़ा वर्ग कल्याण वीरेंद्र कुमार के अलावा 14 आरोपितों के खिलाफ मनियर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

इस मामले में ग्राम विकास अधिकारी मनोज कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने सीडीओ ओजस्वी राज को सौंपी थी। एसपी ने विवेचना के लिए बीस प्रभारी निरीक्षकों की ड्यूटी लगाई थी। लाभार्थियों का बयान दर्ज होने के बाद पुलिस जांच पूरी कर चुकी है। एसपी ने बताया कि आरोपितों के खिलाफ शीघ्र ही चार्जशीट कोर्ट में भेज दी जाएगी.

पात्र मिले लाभार्थियों का किया गया भुगतान

शासन की ओर से 1640 लाभार्थियों की शादी कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। बेल्थरारोड तहसील क्षेत्र के हल्दीरामपुर स्थित इंटर कालेज में 17 जनवरी को सियर, नवानगर, पंदह, नगरा, रसड़ा, गड़वार ब्लाक के 662 जोड़ों की शादी कराई गई थी जबकि 25 जनवरी को मनियर में 568 जोड़ों ने एक साथ जीने मरने की कसमें खाई थीं। मनियर इंटर कालेज में आयोजन के दिन ही इंटरनेट मीडिया पर वीडियो प्रसारित होने के बाद जिलाधिकारी रवींद्र कुमार और सीडीओ ओजस्वी राज ने अधिकारियों की टीम जांच के लिए लगा दिया। उपहार में दिए गए सामान की रिकवरी कर ली गई। सीडीओ ने बताया कि पात्र मिले लाभार्थियों को भुगतान करते हुए पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है.

सामूहिक विवाह योजना में जांच गहराई से हुई होती तो अधिसंख्य लोग अपात्र मिलते। यही नहीं कई ब्लाक अधिकारी एवं कर्मचारी से खाली हो जाते। जांच में संदिग्ध अधिकारी भी बच निकले। नगरा सहित अन्य ब्लाकों में उपहार के सामन वापस तो कराया गया लेकिन अधिकारी कुछ भी बोलने से अब भी कन्नी काट रहे हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपक श्रीवास्तव तो अब भी इस प्रकरण से अनभिज्ञता जाहिर करते हैं। उनका कहना है कि जो भी जांच और भुगतान किया गया है। इसकी पूरी जानकारी सीडीओ के पास है.

Posted By: Inextlive